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Lal Krishna Advani Birthday: स्पष्ट सोच और बेबाक अंदाज रही है आडवाणी की खासियत
Lal Krishna Advani Birthday: आडवाणी ने स्पष्ट रूप से और बिना किसी पूर्वाग्रह के कहा था कि वह एक पंथनिरपेक्ष भारत के साथ हैं। जिसकी अवधारणा लोकमान्य तिलक और गांधी की तरह है।
Lal Krishna Advani Janmdin:आज भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन है। वह 97 साल के हो गए हैं और अपना शतक पूरा करने से कुछ ही दूर हैं। ईश्वर उन्हें दीर्घायु करे। अगर लालकृष्ण आडवाणी के राजनीतिक सफर की बात करें तो भाजपा को इस मुकाम तक पहुचाने वाले कर्णधार आडवाणी जी हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन संगठन को समर्पित कर दिया। ये बात अलग है कि उन्होंने जिन लोगों के हाथों में पार्टी की बागडोर सौंपी वह पार्टी को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।
बेबाकी बनी खासियत
लालकृष्ण आडवाणी की बेबाकी मशहूर रही और यही खासियत उन्हें विशेष बनाती है। इस संबंध में मुझे करन थापर का एक इंटरव्यू याद आ रहा है जो उन्होंने 1990 के दशक में कभी लालकृष्ण आडवाणी का लिया था। जिसमें आडवाणी की स्पष्ट सोच जाहिर होती है। उस इंटरव्यू में आडवाणी से पूछा गया था यदि आपके पास पावर हो तो क्या आप भारत को एक हिंदू देश बनाना चाहेंगे? आधिकारिक तौर पर एक हिंदू देश? आडवाणी का जवाब था मेरा मानना है कि यह एक हिंदू देश है जैसे इंग्लैंड एक ईसाई देश है। न कुछ ज्यादा, न कुछ कम।
राष्टवाद के पक्षधर
इस साक्षात्कार में पूछे गए सवालों के जवाब में आडवाणी ने कहा था कि वह शुद्ध और सरल राष्ट्रवाद के पक्षधर हें। लेकिन उनका मानना है कि हिंदू तत्व से रहित राष्ट्रवाद निरर्थक है। बस इतना ही। आडवाणी ने स्पष्ट रूप से और बिना किसी पूर्वाग्रह के कहा था कि वह एक पंथनिरपेक्ष भारत के साथ हैं। और यह पंथ निरपेक्षता की अवधारणा लोकमान्य तिलक की तरह है, गांधी की तरह है। यह नेहरू की तरह नहीं है... या सरदार पटेल जिनकी धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा वैसी ही थी जैसी मैं मानता हूं। पिछले चार दशकों में चुनावी ज़रूरत ने ही दृष्टिकोण को विकृत कर दिया है। देश के मुसलमानों के संबंध में आडवाणी ने कहा था कि वह उन्हें इस देश का अभिन्न अंग मानते हैं।