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Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा से पहले बोले लालकृष्ण आडवाणी, राम मंदिर बनना ही था, 'राम ने नरेंद्र मोदी को मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए चुन लिया था'
Ram Mandir: राम मंदिर उद्घाटन को लेकर हिंदी साहित्य पत्रिका राष्ट्रधर्म ने लालकृष्ण आडवाणी से खास बातचीत की। इसमें उन्होंने रथ यात्रा तक का जिक्र किया है। आडवाणी से बातचीत का आर्टिकल ‘श्रीराममंदिर: एक दिव्य स्वप्न की पूर्ति’ नाम से 15 जनवरी को पत्रिका में प्रकाशित होगा। इसे प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित अतिथियों को दिया जाएगा।
Ram Mandir: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन होना है। इसको लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। पूरे देश की नजरें इस पर टिकी हैं। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर करीब 9 हजार मेहमानों को आमंत्रित किया गया है। इस बीच राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर बीजेपी के सीनियर लीडर और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का अहम बयान सामने आया है।
उन्होंने इसे दिव्य सवप्न की पूर्ति करारा दिया और कहा कि वह अयोध्या पहुंचकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखने के लिए आतुर हैं। लालकृष्ण आडवाणी ने इस पल को लाने, भव्य मंदिर बनवाने और संकल्प पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई भी दी। दरअसल, हिंदी साहित्य पत्रिका राष्ट्रधर्म ने राम मंदिर उद्घाटन को लेकर पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से खास बातचीत की। इसमें उन्होंने रथ यात्रा तक का जिक्र किया है।
नियति ने तय कर लिया था कि...
लालकृष्ण आडवाणी से बातचीत का ये लेख ‘श्रीराममंदिरः एक दिव्य स्वप्न की पूर्ति’ नाम से 15 जनवरी 2024 को पत्रिका में प्रकाशित होगा। इसे रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित अतिथियों को दिया जाएगा। पत्रिका में छपे लेख के मुताबिक आडवाणी ने कहा कि नियति ने तय कर लिया था कि अयोध्या में श्रीराम का मंदिर अवश्य बनेगा। बातचीत में आडवाणी ने कहा, रथ यात्रा शुरू होने के कुछ दिन बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था। रथ यात्रा का मुख्य संदेशवाहक रथ ही था और पूजा के योग्य था क्योंकि यह मंदिर निर्माण के पवित्र उद्देश्य को पूरा करने के लिए श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या जा रहा था।
अटल बिहारी वाजपेयी को किया याद
इस बीच उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद किया और कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन में वे उनकी कमी को महसूस कर रहे हैं।
राम ने नरेंद्र मोदी को मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए चुन लिया था
बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने पुरानी बातें याद करते हुए कहा कि रथयात्रा को आज करीब 33 वर्ष पूरे हो चुके हैं। 25 सितंबर, 1990 की सुबह रथयात्रा आरंभ करते समय हमें यह नहीं पता था कि प्रभु राम की जिस आस्था से प्रेरित होकर यह यात्रा आरंभ की जा रही है, वह देश में आंदोलन का रूप ले लेगा। उस समय वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सहायक थे। वे पूरी रथयात्रा में उनके साथ ही रहे। तब वे ज्यादा चर्चित नहीं थे। मगर राम ने अपने अनन्य भक्त को उस समय ही उनके मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए चुन लिया था। आडवाणी अपनी यात्रा सम्बंधी संघर्षगाथा के संदर्भ में कहते हैं कि रथ आगे बढ़ रहा था और उसके साथ ही जनसैलाब भी जुड़ता जा रहा था। जनसमर्थन गुजरात से बढ़ता हुआ महाराष्ट्र में व्यापक हो गया और उसके बाद के सभी राज्यों में भी उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा था। यात्रा में ‘जय श्रीराम’ व ‘सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे’ के गगनभेदी नारे गूंजते रहते थे। रथयात्रा के समय ऐसे कई अनुभव हुए जिन्होंने मेरे जीवन को प्रभावित किया।
लोग अपनी आस्था को जबरन छिपाकर जी रहे थे
उन्होंने कहा कि सुदूर गांव के अंजान ग्रामीण रथ देखकर भाव-विभोर होकर मेरे पास आते और राम का जयकारा करते और चले जाते। यह इस बात का संदेश था कि पूरे देश में राम मंदिर का स्वप्न देखने वाले बहुत हैं। वे अपनी आस्था को जबरन छिपाकर जी रहे थे। 22 जनवरी, 2024 को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही उन ग्रामीणों की दबी हुई अभिलाषा भी पूर्ण हो जाएगी। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे तब वे हमारे भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक का प्रतिनिधित्व करेंगे। मेरी प्रार्थना है कि यह मंदिर सभी भारतीयों को श्रीराम के गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।