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इंदिरा-फिरोज के सपना रह गया अधूरा, हाथ से निकल गई पट्टे की भी जमीन

Admin
Published on: 23 April 2016 1:15 PM IST
इंदिरा-फिरोज के सपना रह गया अधूरा, हाथ से निकल गई पट्टे की भी जमीन
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रायबरेली: गांधी-नेहरू परिवार का राजनीतिक गढ़ रहे रायबरेली में कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। यहां कमला नेहरु एजुकेशनल सोसायटी की जमीन तो पहले ही गांधी परिवार के हाथ ने निकल चुकी थी अब फिरोज गांधी कॉलेज की जमीन पर भी संकट के बादल घिरते नजर आ रहे हैं। कब्जेदारों ने इस जमीन को अपने कब्जे में ले लिया है।

1974 में कराया गया था पट्टा

28 दिसंबर 1974 को इंदिरा गांधी की रजामंदी से महिलाओं को सशक्त करने लिए फिरोज गांधी कॉलेज की नींव राखी गई थी। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस कॉलेज में छात्राओं के लिए हॉस्टल, खेल के मैदान को बनाने के लिए नजूल की 11 बीघा, तीन बिस्वा 18 बिस्वांसी जमीन का पट्टा कराया गया था।

कॉलेज के विस्तार के जमीन ले ली गई, योजनाएं बनकर तैयार हो गई लेकिन 30 साल बीत जाने के बाद भी इस योजना ने हकीकती रूप अख्तियार नहीं किया। 2004 में जमीन का पट्टा भी ख़त्म हो गया और कॉलेज प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी ने फिरोज गांधी-इंदिरा गांधी के सारी सपनों को चकनाचूर कर दिया। 2004 में ख़त्म हुए पट्टे के बाद जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया और कॉलेज प्रशासन कुछ भी न कर सका।

आखिर क्यों नहीं कराया गया जमीन का नवीनीकरण

जमीन का नवीनीकरण न कराना कई ऐसे सवाल खड़ा करता है जिसके जवाब का सभी को बेसब्री से इन्तजार है। साल 1995 में एक डीड पर हस्ताक्षर हुए थे, उनमें प्रबंध मंत्री सुनीता घोष, कार्यालय अधीक्षक राम कुमार वर्मा, रेवा शकंर मिश्र के हस्ताक्षर हैं। फिलहाल बहुत कुछ साजिश के घेरे में है।

क्या कहना है कॉलेज प्रबंधन का

कॉलेज प्रबंध कमेटी के उप प्रबंधक अनुभव भार्गव का कहना है कि छात्रवास को बनाने के लिए काफी कोशिश की गई, लेकिन फंड की दिक्कत से काम रुका है। कोई भी योजना रोकी नहीं गई है। पैसा आते ही छात्रवास का निर्माण जरूर कराया जाएगा।

क्या थे पट्टे के नियम

1901 के मालगुजारी अधिनियम के तहत पट्टे पर किराया एक रुपये सालाना निर्धारित किया गया। यह भी कहा गया था कि यदि एक रुपये न दिया जाएं तो साल में दो बार में 50-50 पैसे देकर भी उसे पूरा किया जा सकता है। जमीन पर कॉलेज के छात्रावास तथा भवन को कॉलेज के अध्यापक, छात्र व कर्मचारियों के अतिरिक्त कोई उपभोग में नहीं ला सकेगा। कॉलेज को जब भूमि की आवश्यकता नहीं रह जाएगी तो वह राजस्व विभाग को वापस कर देगा। यदि कॉलेज जमीन का किसी अन्य प्रयोजन में उपभोग करता है तो मुआवजा दिए बिना उसे वापस ले लिया जाएगा

पहले ही हाथ से जा चुकी है कमला नेहरु एजुकेशनल सोसायटी की जमीन

इससे पहले कमला नेहरू एजुकेशन सोसाइटी की पांच बीघा किराये की जमीन स्कूल खोलने के लिए ली गई थी लेकिन यहां स्कूल भी नहीं खुला और जमीन भी हाथ से निकल गई। यह जमीन धीरे-धीरे फ्री होल्ड करा लिया गया।

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