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ऐसे थे प्रणब मुखर्जी, बचपन से ही घोड़े वाली बग्गी से था प्यार
पूर्व राष्ट्रपति स्व प्रणब मुखर्जी की सज्जनता और षिक्षा के अलावा राजनीतिक ज्ञान का पूरा देश दीवाना था। वह बचपन से चाहते थें कि उन्हे कोई उच्च पद मिले। यह बात वह अक्सर घर वालों से कहा करते थें।
नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति स्व प्रणब मुखर्जी की सज्जनता और षिक्षा के अलावा राजनीतिक ज्ञान का पूरा देश दीवाना था। वह बचपन से चाहते थें कि उन्हे कोई उच्च पद मिले। यह बात वह अक्सर घर वालों से कहा करते थें। स्कूल जीवन में ही शिक्षा में सबसे आगे रहते थें और अच्छे अंको से पास होेते रहे। राजनीति में आने के बाद उनके सभी दलों से अच्छे सम्बन्ध रहे लोग उन्हे प्यार और सम्मान से दादा कहते थें।
उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के दौरान डबल प्रोमोशन पाया।
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कांग्रेसी आंदोलनों में हिस्सा लिया
प्रणब के राष्ट्रपति बनने पर वीरभूम का नाम ऐसे जिलों में शुमार हो जाएगा। जहां से दो देशों के राष्ट्रपति संबंध रखते हैं। प्रणब से पहले इसी जिले में जन्मे अब्दुल सत्तर (दकर गांव में जन्मे) 1981 से 1982 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे। असल में वह विभाजन के बाद ढाका चले गए थे।
फाइल फोटो
प्रणब मुखर्जी के पिता कामदा किंकर मुखर्जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे और वो 10 वर्ष से भी अधिक जेल में रहे। उन्होंने 1920 से लेकर सभी कांग्रेसी आंदोलनों में हिस्सा लिया। वे अखिल भारतीय कांग्रेस समिति और पश्चिम बंगाल विधानपरिषद (1952- 64) के सदस्य व जिला कांग्रेस समिति, वीरभूम (पश्चिम बंगाल) के अध्यक्ष रहे। शुभ्रा मुखर्जी उनकी पत्नी हैं।
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सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए
फाइल फोटो
स्व मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विधायक हैं। उनकी बेटी शर्मिष्ठा एक नृत्यांगना हैं। उनके भाई शांति निकेतन विश्व भारती यूनिवर्सिटी के इंदिरा गांधी सेंटर फॉर नेशनल इंटीग्रशन के डायरेक्टर पद से रिटायर हुए है।
एक दिन प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति की घोड़े वाली बग्गी को देखकर अपनी बहन अन्नापूर्णा बनर्जी से कहा कि इस आलीशान राष्ट्रपति भवन का आनंद उठाने के लिए वो अगले जन्म में घोड़ा बनना पसंद करेंगे। लेकिन तब उनकी बहन ने उन्हें कहा था। इसके लिए तुम्हें अगले जन्म तक रुकना नहीं पड़ेगा बल्कि इसी जन्म में तुम्हें इसमें रहने रहने का मौका मिलेगा।
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