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Supreme Court: कानून मंत्री रिजिजू का सुप्रीम कोर्ट पर फिर तल्ख बयान, कोई नहीं दे सकता किसी को चेतावनी, जनता है असली मालिक

Supreme Court: कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कोई यहां किसी को चेतावनी नहीं दे सकता। लोकतंत्र में जनता ही देश की मालिक है और संविधान मार्गदर्शक।

Anshuman Tiwari
Published on: 5 Feb 2023 5:02 AM GMT
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कानून मंत्री रिजिजू का सुप्रीम कोर्ट पर फिर तल्ख बयान (Pic: Social Media)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के मसले पर केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच खींचतान का दौर अभी भी खत्म नहीं हुआ है। केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की नियुक्ति पर तो मुहर लगा दी गई है मगर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बार फिर तल्ख बयान दिया है। प्रयागराज में एक कार्यक्रम के दौरान रिजिजू ने कहा कि कोई यहां किसी को चेतावनी नहीं दे सकता। लोकतंत्र में जनता ही देश की मालिक है और संविधान मार्गदर्शक। लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने वाले लोग जनता के सेवक हैं। संविधान के हिसाब से ही देश चलेगा और लोगों की इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश की जाएगी।

कानून मंत्री रिजिजू का बयान इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल में जजों की नियुक्ति में देरी होने पर सख्त नाराजगी जताई थी। शीर्ष अदालत का कहना था कि सरकार का रवैया परेशान करने वाला है क्योंकि हाईकोर्ट में जजों के तबादले की सिफारिश पर कोई अमल नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद सरकार ने शीर्ष अदालत में पांच जजों की नियुक्ति पर मुहर लगा दी थी। अब रिजिजू का एक बार फिर तीखा बयान सामने आया है।

संविधान ही हमारा असली मार्गदर्शक

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के 150वें स्थापना दिवस के समापन समारोह में केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि मैंने एक मीडिया रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट की ओर से चेतावनी दिए जाने का जिक्र पढ़ा है मगर कोई यहां किसी को चेतावनी नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि संविधान हमारे लिए मार्गदर्शक का काम करता है और देश संविधान के हिसाब से ही चलेगा। लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर किसी को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है मगर जिम्मेदार लोगों को किसी भी मुद्दे पर पर बोलने से पहले सोचना जरूर चाहिए।

उन्होंने कहा कि यहां हम जभी जनता की इच्छाओं को पूरा करने के लिए ही बैठे हैं और इसीलिए जनता की इच्छाओं को ही फोकस में रखा जाएगा। यह पहला मौका नहीं है जब कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर इस तरह का बयान दिया है। वे इससे पहले भी शीर्ष अदालत को लेकर तल्ख बयान दे चुके हैं।

न्यायपालिका और कार्यपालिका में टकराव नहीं

वैसे अपने संबोधन के दौरान कानून मंत्री ने न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच टकराव की चर्चाओं को पूरी तरह निराधार बताया। उन्होंने कहा कि यह बात महज कुछ लोगों की ओर से कही जा रही है। कानून मंत्री ने कहा कि सबसे बड़ी चिंता का विषय लंबित मुकदमों की भरमार है। निस्तारण की कोशिशों के बावजूद लंबित मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

उन्होंने कहा कि इसका कारण यह है कि निस्तारण की तुलना में दोगुने केस दर्ज हो रहे हैं। सरकार और न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती लंबित मुकदमों का निपटारा है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से लंबित मुकदमों के त्वरित निपटारे के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं में फैसले दिए जाने और दिन-प्रतिदिन काम किए जाने पर भी जोर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने दिखाए थे तेवर

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच नए जजों की नियुक्ति को लेकर पिछले कई दिनों से खींचतान चल रही थी। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से नए जजों की के नामों को मंजूरी देने के लिए पांच दिनों का वक्त दिया गया था मगर सरकार ने 24 घंटे के भीतर ही पांच नए जजों के नामों को मंजूरी दे दी।

केंद्र सरकार की ओर पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल, राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मिथल, मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीवी संजय कुमार, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मनोज मिश्रा और पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के नामों को मंजूरी दी गई है।

अब इन सभी जजों को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ दिलाने की तैयारी है। इन जजों के शपथ लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 32 हो जाएगी।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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