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आखिर क्यों? माननीय को लुटियन जोन में अपने लिए चाहिए अलग लेन

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लेन ड्राइविंग अभी तक सुनिश्चित नहीं हो पाई है, लेकिन माननीय अपने लिए लुटियन जोन में भी अलग लेन चाहते हैं।

Shreya
Published on: 12 Dec 2019 6:01 AM GMT
आखिर क्यों? माननीय को लुटियन जोन में अपने लिए चाहिए अलग लेन
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लेन ड्राइविंग अभी तक सुनिश्चित नहीं हो पाई है, लेकिन माननीय अपने लिए लुटियन जोन में भी अलग लेन चाहते हैं। समिति का कहना है कि, दिल्ली को जाम से छुटकारा दिलाने के लिए VIP के लिए अलग लेन होना चाहिए। ये सुझाव संसदीय समिति के द्वारा दिया गया है। इसके अलावा दो पहिया वाहन चालकों के लिए भी उन्होंने अलग लेन की सिफारिश की है।

VIP वाहनों के लिए अलग लेन

समिति की ये चिंता इस बात पर है कि, VIP के लिए लुटियन जोन तो बन गया है, लेकिन उनके सुरक्षित आवागमन के लिए अलग लेन का प्रावधान नहीं किया गया है। इसलिए गृह मंत्रालय को VIP वाहनों के लिए भी अलग लेन पर विचार करना चाहिए।

गृह मंत्रालय की इस समिति में कुल 31 सांसद सदस्य हैं। बुधवार को कांग्रेस के आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली इस समिति ने संसद के दोनो सदनों में अपनी रिपोर्ट की पेश की है।

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वाहनों की बढ़ती संख्या पर जताई चिंता

समिति ने दिल्ली में वाहनों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई है और इस पर नियंत्रण लगाने के लिए कई सुझाव दिए हैं। जिसमें समिति ने VIP वाहनों और दो पहिया वाहनों के लिए अलग लेन के साथ-साथ पुराने वाहन को डिस्पोज किए बिना नया वाहन खरीदने वालों के वाहनों का पंजीकरण न करने और ट्रैफिक रुल्स तोड़ने वालों से अधिक इंश्युरेंस प्रीमियम वसूलने जैसे सुझाव दिए हैं।

इसके साथ ही समिति की तरफ से पुराने और अस्वस्थ वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों और 10 साल पुराने डीजल वाहनों को NCR से बाहर करने के NGT के निर्देशों का सख्ती से अनुपालन कराए जाने की सिफारिश की गई है।

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बाहरी सड़कों से गुजरने की अनुमति

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हर रोज लगभग 12 नए माल वाहनों के प्रवेश पर भी समिति ने चिंता जताई है और समिति ने पड़ोसी राज्यों से आने वाले वाहनों पर नियंत्रण लगाने के लिए सिस्टमैटिक फ्रेट ट्रैफिक रेगुलेशन पॉलिसी की आवश्यकता प्रकट की है। समिति का कहना है कि ऐसे वाहनों (माल वाहनों) को केवल बाहरी सड़कों से गुजरने की अनुमति दी जानी चाहिए। बता दें कि दिल्ली में 18 फीसद माल वाहन चलते हैं।

स्वच्छ डीजल पर ध्यान देने को कहा

इसके अलावा समिति ने गृह मंत्रालय द्वारा साल 2020 तक प्रस्तावित अल्पकालिक और साल 2025 तक प्रस्तावित दीर्घकालिक कदमों को समय पर लागू करने को कहा है। साथ ही सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से स्वच्छ डीजल पर ध्यान देने की बात कही है। शहरी आवासन मंत्रालय से समिति द्वारा साइकिल जैसे गैर-मोटर वाहनों के यातायात के लिए डेडीकेटेड ट्रैक के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल स्थापित करने की बात कही गई है।

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बसों की संख्या बढ़ाने की मांग

समिति ने पिछले 10 सालों में दिल्ली में बसों की संख्या न बढ़ाए जाने पर अफसोस प्रकट किया है और दिल्ली सरकार (केजरीवाल सरकार) से तुरंत 6 हजार बसें खरीदने की बात कही और साथ ही एक हजार बसों की पार्किंग के लिए जमीन उपलब्ध कराने को कहा है। समिति का कहना है कि, अगर दिल्ली PWD चौराहों और सड़कों के डिजाइन में साधारण परिवर्तन कर दें और बेकार पड़ी सर्विस लेनो को सड़क से मिला दें तो इससे भी यातायात की स्थिति में काफी सुधार आ सकता है।

समिति ने दिल्ली पुलिस को केवल यातायत नियम के उल्लंघनों पर ध्यान देने के बजाए लेन ड्राइविंग सुनिश्चित कराने का सुझाव दिया है। इसके अलावा समिति ने मेट्रो से यातायात के विभिन्न साधनों के बीच संतुलन स्थापित करने और फीडर बसों की संख्या को बढ़ाने का सुझाव दिया है। वहीं समिति द्वारा DMRC से किरायों को युक्तिसंगत बनाने की अपेक्षा भी की गई है।

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