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LED Light : सावधान! एलईडी लाइट है सेहत के लिए खतरनाक

LED Light: दुनिया भर में LED का उपयोग रोशनी और तमाम तरह के उपकरणों में किया जाता है। अध्ययन के अनुसार, एलईडी की रोशनी का मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

Neel Mani Lal
Published on: 15 Sept 2022 3:26 PM IST
LED Lights
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LED Lights (image social media)

LED Lights: दुनिया भर में एलईडी का उपयोग रोशनी और तमाम तरह के उपकरणों में किया जाता है। लेकिन एक अध्ययन के अनुसार, एलईडी की नीली रोशनी का मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर व्यापक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। एक्सेटर विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) द्वारा लिए गए फोटो के विश्लेषण से पाया है कि यूरोपीय देशों में पुरानी सोडियम लाइटों की नारंगी रोशनी की बजाय एलईडी की सफेद रोशनी बढती जा रही है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि एलईडी लाइटिंग अधिक ऊर्जा कुशल है और चलाने में कम खर्च आता है । लेकिन इससे जुड़े नीला प्रकाश से विकिरण में वृद्धि पूरे महाद्वीप में "पर्याप्त जैविक प्रभाव" पैदा कर रही है। अध्ययन में यह भी दावा किया गया है कि प्रकाश प्रदूषण के प्रभावों के बारे में किये गए पिछले शोधों ने नीले प्रकाश विकिरण के प्रभावों को कम करके आंका है।

नीली रोशनी के स्वास्थ्य परिणामों में मुख्य है मेलाटोनिन के उत्पादन को दबाने की क्षमता। मेलाटोनिन वह हार्मोन है जो मनुष्यों और अन्य जीवों में नींद के पैटर्न को नियंत्रित करता है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों ने चेतावनी दी है कि कृत्रिम नीली रोशनी के संपर्क में आने से लोगों के नींद का पैटर्न खराब हो सकता है । जो समय के साथ कई तरह की बीमारियों को जन्म दे सकता है। यूरोप में नीले प्रकाश विकिरण में वृद्धि ने रात के आकाश में तारों की दृश्यता को भी कम कर दिया है। अध्ययन के अनुसार इससे "लोगों की प्रकृति की भावना पर प्रभाव पड़ सकता है।"

नीली रोशनी चमगादड़ और पतंगे सहित जानवरों के व्यवहार के पैटर्न को भी बदल सकती है, क्योंकि यह प्रकाश स्रोतों के प्रति उनकी गतिविधियों को बदल सकती है। अध्ययन में बताया गया है कि एलईडी नाइट लाइटिंग में संक्रमण के प्रभाव, विशेष रूप से मेलाटोनिन दमन के जोखिम से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से यूके एक है। यूके में 2019 में इक्यावन प्रतिशत स्ट्रीट लाइट एलईडी द्वारा संचालित थीं। इटली, रोमानिया, आयरलैंड और स्पेन को भी उन देशों के रूप में पहचाना गया था , जो नीले प्रकाश विकिरण के प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील थे।

ऑस्ट्रिया और जर्मनी जैसे देशों में प्रभाव बहुत कम महसूस किए गए हैं, क्योंकि यहाँ अब भी पुराने गैस और फ्लोरोसेंट बल्ब का उपयोग किया जाता है। यह शोध साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है। न्यूकैसल विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी और संरक्षण के प्रोफेसर, डैरेन इवांस, ने इस अध्ययन को एक "असाधारण काम" करार दिया है और कहा है कि यह उनके अपने निष्कर्षों की पुष्टि करता है कि कैसे स्थानीय स्ट्रीट लाइटिंग ने नाटकीय रूप से रात्रिकालीन कीट पतंगों की बहुतायत को कम कर दिया है। एक अन्य एक्सपर्ट के कहा है कि प्रकाश प्रदूषण नाटकीय रूप से जीव जंतुओं को प्रभावित कर सकता है।

उन्होंने कहा कि हमें सिर्फ इंसानों की तुलना में व्यापक जैविक परिप्रेक्ष्य से प्रकाश पर विचार करना चाहिए और बेहतर गुणवत्ता वाली प्रकाश व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए जो हमारी प्राकृतिक दुनिया के साथ सामंजस्यपूर्ण है।इंग्लैंड में शहर कुछ परिषदें पहले से ही एलईडी लाइटिंग के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रही हैं। कुछ में रात के घंटों के दौरान रोशनी घटाई जा रही है और कम हानिकारक नीली रोशनी पैदा करने के लिए अपने एलईडी बल्बों के बैंडविंड को बदल रहे हैं।



Prashant Dixit

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