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200 रुपए की उधारी चुकाने केन्या से आए भारत

raghvendra
Published on: 19 July 2019 3:07 PM IST
200 रुपए की उधारी चुकाने केन्या से आए भारत
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मुंबई: महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक अजीबोगरीब कहानी सामने आई है। यहां रहने वाले काशीनाथ गवली से ३० साल पहले २०० रुपए उधार लेने वाला शख्स सुदूर केन्या से सिर्फ इसलिह आया कि वह काशीनाथ के पैसे वापस कर सके। केन्या से आया शख्स कोई मामूली इनसान नहीं बल्कि वहां का सांसद है।

30 साल पहले केन्या से रिचर्ड टोंगी औरंगाबाद में मैनेजमेंट की पढ़ाई करने आया था। 1985 से 1989 तक वह औरंगाबाद में रहा और यहां के एक कॉलेज में उसने पढ़ाई की थी। कॉलेज के पास ही काशीनाथ गवली की किराना की दुकान थी जहां से रिचर्ड अपनी जरूरत का सामान खरीदता था। कई बार रिचर्ड के पास पैसे नहीं होते थे तो काशीनाथ गवली उसे उधार देते, सो दोनों के बीच विश्वास का रिश्ता बन गया।

पढ़ाई पूरी करने के बाद रिचर्ड केन्या वापस चला गया और वहां राजनीति में सक्रिय हो गया। बाद में रिचर्ड सांसद और केन्या के विदेश मंत्रालय का उपाध्यक्ष भी बना। 30 साल के सफर में उसे कई बार भारत आकर काशीनाथ से मिलने की इच्छा हुई क्योंकि रिचर्ड को इनके 200 रुपए जो लौटाने थे। इस बार एक केन्यायी प्रतिनिधिमंडल के साथ वह भारत आया। दिल्ली में अपना काम करने के बाद वह अपनी पत्नी मिशेल के साथ औरंगाबाद आया। 30 साल में औरंगाबाद शहर काफी बदला था, लेकिन उसने काशीनाथ को ढूंढ ही निकाला। काशीनाथ रिचर्ड को भूल चुके थे, लेकिन रिचर्ड ने उन्हें याद दिलाया और उनके 200 रुपए के बदले 19 हजार रुपए वापस किए। काशीनाथ पैसा नहीं ले रहे थे, लेकिन रिचर्ड ने कहा यह सिर्फ पैसे की बात नहीं है। अंजान देश में उसे जो प्यार मिला उसकी कोई कीमत नहीं।

रिचर्ड की पत्नी मिशेल टोंगी ने कहा कि कि रिचर्ड कई बार अपने भारत के दिनों को बताते थे। आज इन सभी लोगों से मिलने के बाद काफी अच्छा लगा। यहां के लोग बेहद अच्छे हैं।

मेरे पति पर मुझे गर्व तो है ही, लेकिन इन लोगो के साथ जो रिश्ता बना है वह बेहद अनोखा है। काशीनाथ गवली कहते हैं कि ‘मैं तो भूल ही गया था। 30 साल बाद कौन क्या याद रखेगा लेकिन वह मुझे ढूंढते हुए आया। मैंने उन्हें पहचाना ही नहीं, लेकिन उन्होंने बड़े प्यार से सभी बातें बताईं।’

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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