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जानें कौन हैं लिंगायत और क्या है इनका इतिहास

राज्य में चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने लिंगायतों पर एक अहम फैसला लेते हुए गजब की पारी खेली है। कांग्रेस ने लिंगायतों को अलग धार्मिक अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के रूप में मान्‍यता दे दी है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अलग धर्म की मांग करने वाले लिंगायत आखिर कौन हैं? क्यों यह समुदाय राजनीतिक तौर पर इतनी अहमियत रखता है?

tiwarishalini
Published on: 19 March 2018 3:00 PM GMT
जानें कौन हैं लिंगायत और क्या है इनका इतिहास
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बंगलुरु: राज्य में चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने लिंगायतों पर एक अहम फैसला लेते हुए गजब की पारी खेली है। कांग्रेस ने लिंगायतों को अलग धार्मिक अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के रूप में मान्‍यता दे दी है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अलग धर्म की मांग करने वाले लिंगायत आखिर कौन हैं? क्यों यह समुदाय राजनीतिक तौर पर इतनी अहमियत रखता है?

चुनाव से पहले कांग्रेस ने खेली जबर्दस्त पारी, लिंगायत समुदाय को अलग धर्म की मंजूरी

- भक्ति काल के दौरान 12वीं सदी में समाज सुधारक बासवन्ना ने हिंदू धर्म में जाति व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था

- उन्होंने वेदों को खारिज कर दिया और मूर्तिपूजा की मुखालफत की।

- उन्होंने शिव के उपासकों को एकजुट कर वीरशैव संप्रदाय की स्थापना की।

- आम मान्यता ये है कि वीरशैव और लिंगायत एक ही होते हैं। लेकिन लिंगायत लोग ऐसा नहीं मानते।

- उनके मुताबिक वीरशैव लोगों का अस्तित्व समाज सुधारक बासवन्ना के उदय से भी पहले से था।

- वीरशैव भगवान शिव की पूजा करते हैं। वैसे हिंदू धर्म की जिन बुराइयों के खिलाफ लिंगायत की स्थापना हुई थी आज वैसी ही बुराइयां खुद लिंगायत समुदाय में भी पनप गई।

- राज्य की कुल आबादी में 18 फीसदी के हिस्सेदार लिंगायत समुदाय के लोग यहां की अगड़ी जाति में आते हैं।

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