TRENDING TAGS :
'भारत में लिव-इन रिश्ते का मतलब शादी', फिर मत कहना बताया नहीं
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि भारतीय समाज में लिव-इन रिश्ते को शादी के बराबर देखा जाता है। कोर्ट ने एक महिला द्वारा अपने लिव-इन पार्टनर को किसी और से शादी के लिए रोकने की याचिका पर निर्णय सुनाते हुए ये कहा है।
जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि भारतीय समाज में लिव-इन रिश्ते को शादी के बराबर देखा जाता है। कोर्ट ने एक महिला द्वारा अपने लिव-इन पार्टनर को किसी और से शादी के लिए रोकने की याचिका पर निर्णय सुनाते हुए ये कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने बलराम जाखड़ के 7 मई को शादी करने पर रोक लगा दी।
ये भी देखें : मोदी की तमन्ना थी की ममता उनके साथ मीटिंग करें, दीदी का इंकार
जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने कहा, भारत समाज में लिव-इन रिलेशनशिप शादी के बराबर है और समाज उसे केवल इसी रूप में स्वीकार करता है। ऐसे में बलराम को दूसरी शादी नहीं करने दी जा सकती।
महिला ने दावा किया था कि बलराम ने गलत तरीके से बलपूर्वक उसके साथ संबंध बनाए। शादी का विश्वास दिलाकर साथ रहा। महिला का कहना है कि बलराम के आश्वासन के बाद उसने अपने पति को छोड़ दिया।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, बलराम ने जबरन महिला संग यौन संबंध बनाए। 6 फरवरी, 2018 को सदर पुलिस थाने में एक एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी।
ये भी देखें : लोकसभा चुनाव 2019: आंध्र प्रदेश में पांच बूथों पर पुन: मतदान जारी
कैसे हुई मुलाकात
दोनों की मुलाकात 2014 में पढ़ाई के दौरान हुई थी। बाद में आरोपी का चयन इनकम टैक्स कमिश्नर के पद पर हो गया तो वह अपने वादे से मुकर गया।