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हमें एक मजबूत प्लेयर के रूप में उभरकर निकलना होगा: पीएम मोदी

हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, उसे अपनी उपज बेचने की आजादी मिले, उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है। हमारा किसान सिर्फ गेहूं - चावल तक सीमित न रहकर, दुनिया में जो आवश्यकता है, उसका उत्पादन करके बेचे।

SK Gautam
Published on: 10 Feb 2021 4:19 PM IST
हमें एक मजबूत प्लेयर के रूप में उभरकर निकलना होगा: पीएम मोदी
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LIVE: लोक सभा में PM मोदी कर रहे संबोधन शुरू, सदन में मौजूद सभी सांसद

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोक सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर अपना संबोधन दिया। इससे पहले सोमवार को प्रधानमंत्री ने राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया था। पीएम मोदी ने कहा कि पोस्ट कोरोना के बाद दुनिया में एक नया संबंधों का वातावरण आकार लेगा। भारत को सशक्त होना होगा और इसका एकमात्र रास्ता है आत्मनिर्भर भारत। ऐसी स्थिति में भारत एक कोने में कटकर नहीं रह सकता। हमें एक मजबूत प्लेयर के रूप में उभरकर निकलना होगा।

आज गरीब से गरीब परिवार तक स्मार्टफोन पहुंच रहा है-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि हम प्रोगेसिव पॉलिटिक्स में विश्वास करते हैं। भोजपुरी में कहावत है कि न खेलब न खेले देब खेल बिगाड़ब। पीएम मोदी ने आगे कहा कि देश के लिए पब्लिक सेक्टर जरूरी है तो प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी भी उतनी ही जरूरी है।

आज गरीब से गरीब परिवार तक स्मार्टफोन पहुंच रहा है। आज हिंदुस्तान में सबसे सस्ता डेटा है। क्या भारत के सभी वैक्सीन निर्माता सरकारी हैं क्या। हम किसी भी प्राइवेटाइजेशन को नकार देंगे तो गलत होगा।

हर किसी को अवसर मिलना चाहिए। किसी को गाली देना और बेईमान कह देना गलत होता है। सबकुछ बाबू करेंगे क्या, बाबुओं को ताकत देकर हम क्या करेंगे। युवाओं को जितनी ताकत देंगे उसका उतना ही फायदा होने वाला है। आशंकाओं को हवा दी जाती है। माहौल ये आंदोलनजीवी पैदा करते हैं।

परतंत्रता की दुर्गंध आती रहे, तो स्वतंत्रता की सुगंध नहीं फैल सकती”

पीएम मोदी ने आगे कहा कि हिंदुस्तान इतना बड़ा देश है, कोई भी निर्णय शत प्रतिशत सबको स्वीकार्य हो ऐसा संभव ही नहीं हो सकता। ये देश विविधताओं से भरा हुआ है, किसी जगह वो बहुत लाभ करता होगा और किसी जगह कम लाभ करता होगा।

चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने सरदार पटेल की याद दिलाते हुए कहा कि सरदार पटेल कहते थे कि "स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी यदि परतंत्रता की दुर्गंध आती रहे, तो स्वतंत्रता की सुगंध नहीं फैल सकती” जब तक हमारे छोटे किसानों को नए अधिकार नहीं मिलते तब तक पूर्ण आजादी की उनकी बात अधूरी रहेगी।

आजादी के बाद हमारे देश में 28 प्रतिशत खेतहर मजदूर थे-पीएम मोदी

-पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि आजादी के बाद हमारे देश में 28 प्रतिशत खेतहर मजदूर थे। 10 साल पहले जो जनगणना हुई तो ये संख्या 55 प्रतिशत हो गई। ये किसी भी देश के लिए चिंता का विषय होना चाहिए।

-इस देश के छोटे किसान को कुछ पैसे मिले इसकी किसी भी किसान संगठन ने मांग नहीं की थी। लेकिन प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत उनको हमने सामने से धन देना शुरू किया।

-हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, उसे अपनी उपज बेचने की आजादी मिले, उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है। हमारा किसान सिर्फ गेहूं - चावल तक सीमित न रहकर, दुनिया में जो आवश्यकता है, उसका उत्पादन करके बेचे।

-पीएम मोदी ने आगे कहा कि हिंदुस्तान इतना बड़ा देश है, कोई भी निर्णय शत प्रतिशत सबको स्वीकार्य हो ऐसा संभव ही नहीं हो सकता। ये देश विविधताओं से भरा हुआ है, किसी जगह वो बहुत लाभ करता होगा और किसी जगह कम लाभ करता होगा।

बहुत पुरानी पार्टी कांग्रेस पार्टी- पीएम मोदी

-पीएम मोदी ने आगे कहा कि हम ये मानते थे कि हिंदुस्तान की बहुत पुरानी पार्टी कांग्रेस पार्टी जिसने करीब-करीब 6 दशक तक एकचक्रीय शासन किया इस पार्टी का ये हाल हो गया है कि पार्टी का राज्यसभा का तबका एकतरफ चलता है और पार्टी का लोकसभा का तबका एकतरफ चलता है।

-ऐसी डिवाइडेड पार्टी, ऐसी कंफ्यूज पार्टी न खुद का भला कर सकती है देश की समस्याओं के समाधान को लेकर कुछ सोच सकती है। कांग्रेस पार्टी राज्यसभा में भी है।

-कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्यसभा में बैठे हुए हैं। लेकिन वो बहुत ही आनंद और उमंग के साथ चर्चा करते हैं। और यही कांग्रेस पार्टी का दूसरा तबका है। कांग्रेस पर पीएम मोदी के लगातार हमलों की वजह से नाराज कांग्रेस ने लोकसभा से वॉकआउट कर दिया।

-पीएम मोदी ने आगे कहा कि जब ये कहा जाता है कि मांगा गया था क्या, क्या हम सामंतशाही हैं जो जनता को मांगने के लिए मजबूर करें। ये मांगने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती है। सरकारें संवेदनशील होनी चाहिए। जनता के भलाई के लिए सरकार को आगे आना चाहिए।

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जनता ने आयुष्मान भारत योजना नहीं मांगी थी

-जनता ने आयुष्मान भारत योजना नहीं मांगी थी, बैंक अकाउंट के लिए कोई जुलूस नहीं निकला था, स्वच्छ भारत की मांग किसने की थी, किसने अपने घर में शौचालय की मांग की थी। मांगने वाला वक्त चला गया ये लोकतंत्र है, हम नागरिकों को याचक बनाकर उनका आत्मविश्वास नहीं बढ़ा सकते हैं।

-पीएम मोदी ने कहा कि नया कानून किसी के लिए बंधन नहीं है। जहां विकल्प है वहां विरोध की जरूरत नहीं। आंदोलनजीवी जो हुआ नहीं है उसका भी भय पैदा कर रहे हैं। ये सरकार की चिंता का विषय नहीं ये देश की चिंता का विषय होना चाहिए।

-कांग्रेस और कुछ दलों ने बड़े जोर-शोर से अपनी बातें कहीं। दहेज के खिलाफ कानून की मांग किसी ने नहीं की थी, ट्रिपल तलाक पर कानून की किसी ने नहीं की थी। बाल विवाह, शिक्षा पर अधिकार बिना मांग के दिए गए। इतने सुधार हुए जनता ने सभी बदलावों को स्वीकार किया या नहीं किया ये सभी जानते हैं।

- पीएम मोदी ने कहा कि देश की जरूरत के मुताबिक फैसले लेने चाहिए। लोकतंत्र में नागरिक याचक नहीं होता है। कोई भी नियम 100 % कभी स्वीकार नहीं होता है।

टोकाटोकी पर पीएम मोदी हुए गरम, बोले- अधीर रंजन जी अब ज्यादा हो रहा है

-प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के दौरान कांग्रेस पार्टी के सदस्यों की तरफ से किसान बिल को वापस लेने को लेकर मांग उठने लगी जिसमें सांसद अधीर रंजन चौधरी के विरोध करने पर पीएम मोदी ने कहा कि अधीर रंजन जी अब ज्यादा हो रहा है।

हम विश्व के लिए एक आशा की किरण बनकर खड़े हैं

-प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इस सदन में 15 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई है। रात के 12-12 बजे तक चर्चा हुई है। मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूं। पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत आजादी के 75वें वर्ष पर दस्तक दे रहा है।

-आजादी का 75वां वर्ष हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। समाज व्यवस्था में हम कहीं पर हों देश के किसी कोने में हों। हम सब ने मिलकर के आजादी के इस पर्व से एक नई प्रेरणा प्राप्त करके 2047 जब देश आजादी के 100 साल पूरा कर रहे होंगे तो हमारा देश कहां हो इसके लिए संकल्प लेने का काम इस परिसर का है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि अंग्रेज कहा करते थे कि भारत कई देशों का एक द्वीप है और कोई भी इसे एक नहीं कर सकता है। लेकिन आज 75 साल की यात्रा में हम विश्व के लिए एक आशा की किरण बनकर खड़े हैं।

उन्होंने आगे कहा कि कोरोना के दौरान भारत ने जिस प्रकार से अपने आप को संभाला और दुनिया को संभलने में मदद की वो एक प्रकार से टर्निंग प्वाइंट है। जिस भावनाओं को लेकर हम पले बढ़े हैं वो है सर्वेभन्तु निरामया, कोरोना काल में भारत ने इसको करके दिखाया है।

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-आत्मनिर्भर भारत से दुनिया का कल्याण होगा। भारत के कोने कोने में वोकल फार लोकल की गूँज।

-भगवान् की कृपा है दुनिया हिल गई, हम जीत गए। उन्होंने कहा डाक्टर और नर्स भगवान् का रूप होता है। एम्बुलेंस का ड्राइवर भी भगवान् का दूत बन कर आया।

-जो दुनिया नहीं कर सकी वो हमने कर दिखाया। कोरोना काल में हमने लोगों तक सीधे पैसा पहुँचाया, आधार की वजह से हम ये कर पाए। अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए सख्त कदम जरूरी।

-देश की प्रगति के लिए कुछ सख्त क़ानून जरूरी होते हैं।

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