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Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की कवायद, विधि आयोग को मिली जिम्मेदारी
Lok Sabha Elections 2024: देश में दो साल बाद 2024 में लोकसभा चुनाव होना है। उससे पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव के साथ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
Lok Sabha Elections 2024: देश में लोकसभा (Lok Sabha Elections 2024) और विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) एक साथ कराने की चर्चा काफी दिनों से सुनी जा रही है मगर अब केंद्र सरकार ने इस दिशा में कवायद तेज कर दी है। सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अध्ययन और रूपरेखा बनाने की जिम्मेदारी विधि आयोग को सौंपी गई है। विधि आयोग ने 2018 में ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर जोर दिया था।
देश में दो साल बाद 2024 में लोकसभा चुनाव होना है। उससे पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव के साथ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सरकार के इस कदम को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मौजूदा समय में दोनों चुनाव अलग-अलग होने से काफी अधिक आर्थिक खर्चा आ रहा है। इसके साथ ही कई अन्य तैयारियां भी करनी पड़ती हैं। इसी कारण सरकार की ओर से इस दिशा में कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी (PM Modi) इस बात पर जोर देते रहे हैं कि दोनों चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए।
संसदीय समिति ने भी की थी वकालत
संसदीय समिति की ओर से भी 2016 में सरकार को इस संबंध में एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपी गई थी। संसदीय समिति ने भी इस बात पर जोर दिया था कि देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए। हालांकि संसदीय समिति का यह भी कहना था कि सभी राजनीतिक दलों के बीच इस बाबत सहमति बनाई जानी चाहिए और इसमें एक दशक का समय लग सकता है।
केंद्र सरकार की ओर से संसदीय समिति की रिपोर्ट भी विधि आयोग के पास भेजी गई है। संसदीय समिति की रिपोर्ट को भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सरकार ने यह मामला विधि आयोग के पास तो जरूर भेजा है मगर मौजूदा समय में विधि आयोग में कोई अध्यक्ष नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को आयोग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। आयोग का कार्यकाल अगले साल फरवरी में समाप्त होने वाला है। ऐसे में माना जा रहा है कि नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद ही यह मामला रफ्तार पकड़ पाएगा।
पीएम मोदी का रहा है मिशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर जोर देते रहे हैं। उनका कहना है कि इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की जरूरत है क्योंकि इसके जरिए देश के काफी पैसे की बचत की जा सकती है। उनका कहना है कि लगातार किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं और इन चुनावों में सुरक्षाबलों को एक राज्य से दूसरे राज्य भेजना पड़ता है। चुनावों के कारण सरकारी कामकाज भी काफी हद तक प्रभावित होता है। ऐसे में एक साथ चुनाव कराए जाने से आर्थिक खर्चे की बचत के साथ कई अन्य दिक्कतों से भी बचा जा सकता है।
काफी पैसे की होगी बचत
चुनाव आयोग का भी कहना है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव और साफ कराने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी। आयोग का कहना है कि उसे सिर्फ वोटिंग मशीनों की संख्या बढ़ानी होगी। देश में 1951 से लेकर 1967 तक लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव में एक साथ होते रहे हैं मगर उसके बाद यह सिलसिला टूट गया था।
चुनाव में खर्च की जिम्मेदारी केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों को उठानी पड़ती है। लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार पूरा खर्च उठाती है जबकि विधानसभाओं के चुनाव में यह जिम्मेदारी राज्यों को निभानी पड़ती है। 2014 से 2020 के बीच केंद्र सरकार ने चुनावी मद में 5794 करोड़ रुपए जारी किए थे। केंद्र सरकार की दलील है कि जब चुनाव साथ कराए जाएंगे तो केंद्र और राज्य सरकारों को आधा-आधा खर्चे ही वाहन करना पड़ेगा और इसके जरिए काफी पैसे की बचत हो सकती है। अब इस मामले में सरकार की ओर से विधि आयोग को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।