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लोकपाल अध्यक्ष जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने नवनियुक्त सदस्यों को दिलाई शपथ

भ्रष्टाचार निरोधी संस्था लोकपाल के नवनियुक्त सभी आठ सदस्यों ने बुधवार को शपथ ली। अधिकारियों ने बताया कि लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने इन्हें शपथ दिलाई।

Aditya Mishra
Published on: 27 March 2019 4:28 PM IST
लोकपाल अध्यक्ष जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने नवनियुक्त सदस्यों को दिलाई शपथ
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नई दिल्ली: भ्रष्टाचार निरोधी संस्था लोकपाल के नवनियुक्त सभी आठ सदस्यों ने बुधवार को शपथ ली। अधिकारियों ने बताया कि लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने इन्हें शपथ दिलाई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को देश के पहले लोकपाल के तौर पर न्यायमूर्ति घोष को शपथ दिलाई थी।

विभिन्न उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति दिलीप बी भोसले, न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती, न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी के अलावा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी ने लोकपाल में न्यायिक सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण किया।

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सशस्त्र सीमा बल की पूर्व पहली महिला प्रमुख अर्चना रामसुंदरम, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन, पूर्व आईआरएस अधिकारी महेंद्र सिंह और गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी इंद्रजीत प्रसाद गौतम लोकपाल के गैर न्यायिक सदस्य हैं।

अधिकारियों ने बताया कि इन सभी आठ सदस्यों को बुधवार को लोकपाल अध्यक्ष जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष शपथ दिलाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय चयन समिति ने लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियों की सिफारिश की थी। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नियुक्तियों को मंजूरी दी थी।

न्यायमूर्ति घोष मई 2017 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए थे। जब लोकपाल अध्यक्ष के पद के लिए उनके नाम की घोषणा हुई तो वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य थे। कुछ श्रेणियों के लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को देखने के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति करने वाला लोकपाल कानून 2013 में पारित हुआ था।

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नियमों के अनुसार लोकपाल समिति में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्यों का प्रावधान है। इनमें से चार न्यायिक सदस्य होने चाहिए। नियमों के अनुसार, लोकपाल के सदस्यों में 50 प्रतिशत अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं होनी चाहिए।

चयन होने के बाद अध्यक्ष और सदस्य पांच साल के कार्यकाल या 70 साल की उम्र तक पद पर बने रह सकते हैं। लोकपाल अध्यक्ष का वेतन और भत्ते भारत के प्रधान न्यायाधीश के बराबर होंगे। सदस्यों को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर वेतन और भत्ते मिलेंगे।

इनकी कर सकते हैं जांच

कानून कहता है कि लोकपाल प्रधानमंत्री के खिलाफ अंतर्रराष्ट्रीय संबंधों, बाहरी और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों, पब्लिक आर्डर, एटामिक एनर्जी और स्पेस से जुड़े मुद्दों पर जांच नहीं करेगा, जबतक कि लोकपाल की पूर्ण पीठ जिसमें लोकपाल अध्यक्ष और आठ सदस्य मिल कर विचार करने के बाद कम से कम दो तिहाई सदस्य ऐसी जांच को मंजूरी नहीं देते। कानून यह भी कहता है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच इन कैमरा (गोपनीय) होगी। जांच के बाद अगर लोकपाल को लगता है कि शिकायत खारिज होने लायक है तो उस जांच से संबंधित कोई रिकार्ड पब्लिश नहीं होगा और न ही किसी को उपलब्ध कराया जाएगा।

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सेवानिवृति के बाद पांच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक

लोकपाल अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनकी दोबारा अध्यक्ष या सदस्य पद पर नियुक्ति नहीं हो सकती। न ही राष्ट्रपति उन्हें किसी राज्य का प्रशासक या डिप्लोमेट आदि नियुक्त कर सकता है। न ही वे भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई पद ग्रहण कर सकते हैं। इसके अलावा लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्य पद छोड़ने के बाद पांच वर्ष तक राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति या सांसद अथवा विधायक आदि का चुनाव नहीं लड़ सकते।



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