TRENDING TAGS :
Loksabha Elections Exit Poll 2024: कितना EXACT होता है EXIST पोल, क्या कहते हैं पिछले चुनावों के आकड़े
Loksabha Elections Exit Poll 2024: एग्जिट पोल के नतीजे आप लगातार देख रहे होंगें आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पीछले कुछ सालों में चुनावों के नतीजों में एग्जिट पोल कितना सही साबित हुआ है।
Loksabha Elections Exit Poll 2024: एग्जिट पोल के नतीजे आने शुरू हो चुके हैं वहीँ ये आंकड़े कितने सही रहते हैं आइये जान लेते हैं। पिछले कई चुनावों में ये कितने एक्सेक्ट होते आये हैं इसका भी आइये खुलासा कर देते हैं। पिछले दो आम चुनावों 2014 और 2019 में एग्जिट पोल के नतीजे काफी करीब रहे थे। इन दोनों चुनावों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार इंडिया गठबंधन के इन आकड़ों में फेर फेर करने की पूरी उम्मीद कर रहा है।
कितना EXACT होता है EXIST पोल (How Exact is Exit Poll)
सातवें और अंतिम चरण के बाद अब एग्जिट पोल के नतीजे आने शुरू हो चुके हैं। इस समय सभी की निगाहें इसपर टिकीं हुईं हैं। ऐसे में अब ये देखना होगा कि क्या नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए जीत की हैट्रिक लगाएगा या इंडिया गठबंधन पर जीत का सेहरा सजेगा।
साल 2019 में सही नहीं रहे थे एग्जिट पोल के आकड़े
आपको बता दें कि साल 2019 में 13 एग्जिट पोल ने एनडीए को 306 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था और यूपीए को 120 सीटें मिलते दिख रहे थे। लेकिन जब असल नतीजे आये तो देखा गया कि एग्जिट पोल ने एनडीए के प्रदर्शन को कम आंका था। 2019 के आम चुनाव में चौंकाने वाले आंकड़े आये और एनडीए को 353 सीटें मिलीं। वहीँ यूपीए को 93 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा। यहाँ भाजपा ने 303 और कांग्रेस ने 52 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
2009 में भी गलत साबित हुआ था एग्जिट पोल
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार यूपीए सरकार सत्ता में आई थी। जहाँ चार बड़े पोल में यूपीए को औसतन 195 सीटें मिली थीं, जबकि एनडीए को 185 सीटें मिली थीं। वहीँ चुनाव के नतीजों में और एग्जिट पोल के रिजल्ट में काफी अंतर पाया गया था। जहाँ यूपीए के खाते में 262 सीटें आईं थीं, जबकि एनडीए को 158 सीटें ही मिलीं थीं।
1 जून 2024 को सातवां और अंतिम चरण समाप्त होने के बाद एग्जिट पोल के आकड़े लगातार आ रहे हैं। हर कोई जहाँ अपने अपने स्तर पर चुनावों के परिणामों की घोषणा करता नज़र आ रहा है वहीँ ये आकड़े थोड़ी स्पष्ट तस्वीर दे देंगें। लेकिन आखिर किस तरह होता है एग्जिट पोल और भारत में इसका क्या इतिहास रहा है आइये इसे विस्तार से समझ लेते हैं।
क्या है एग्जिट पोल का इतिहास (History of Exit Poll in India)
भारत में एग्जिट पोल के इतिहास की बात करें तो यहाँ पहला एग्जिट पोल 1957 में आयोजित किया गया था। इस दौरान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने दूसरे लोकसभा चुनावों के दौरान एक पोस्ट-पोल का सर्वेक्षण किया था। साल 1996 में सरकारी प्रसारक दूरदर्शन ने देश भर में एग्जिट पोल आयोजित करने के लिए सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज को नियुक्त किया था।
क्या होता है एग्जिट पोल
जब मतदाता मतदान केंद्रों से निकलते हैं तो उसके तुरंत बाद किया जाने वाला सर्वेक्षण ही एग्जिट पोल कहलाता है। इस दौरान चुनाव के नतीजे की भविष्यवाणी करने के लिए, मतदाताओं से सवाल पूछा जाता है कि वे किस उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन करते हैं। ये सर्वेक्षण अधिकतर विभिन्न निजी एजेंसियों द्वारा आयोजित किये जाते हैं। एग्ज़िट पोल ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से किए जा सकते हैं। एग्जिट पोल आयोजित करने के लिए विभिन्न एजेंसियां अलग-अलग नमूना आकार और प्रक्रियाओं का उपयोग करती हैं।
गौरतलब है कि भारत में एग्जिट पोल कई कानूनों के अंतर्गत आते हैं, जिनमें लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126ए भी शामिल है। इतना ही नहीं अगर कोई भी व्यक्ति जो धारा 126ए के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, उसे कम से कम दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इसके साथ आपको बता दें कि इसका अधिकार चुनाव आयोग के पास होता है जो पहले दिन मतदान का समय शुरू होने से लेकर सभी चरणों के अंतिम दिन मतदान समाप्त होने के तीस मिनट बाद तक रहता है।