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कानूनी खामियों का फायदा उठा दूध बेचने वाले का बेटा बना अरबपति, जानें कैसे
पटना: एक दूध बेचने वाले गरीब परिवार में पैदा हुए बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव का परिवार अब राज्य का सबसे धनाढ्य राजनीतिक परिवार है। पटना में बन रहे अब तक के सबसे बड़े मॉल के अलावा यादव परिवार की संपत्ति राष्ट्रीय राजधानी के सबसे धनी इलाके दक्षिणी दिल्ली के फ्रेंडस कॉलोनी में भी है। ये उनके लिए चौंकाने वाली बात हो सकती है, जो अब तक लालू प्रसाद यादव को एक गरीब दूध बेचने वाले का बेटा समझते रहे हैं।
परत दर परत खुलते जा रहे राज
पटना में उनके बेटे और बेटी के नाम की जमीन पर बन रहे राज्य के सबसे बड़े मॉल की चर्चा जब शुरू हुई तो पहले 90 लाख की मिट्टी घोटाले की बात सामने आई। घोटाले में उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का नाम आया। लेकिन जब परतें, खुलनी शुरू हुई तो पता चला कि जमीन भी उनकी ही है जिसकी कीमत करोड़ों रुपए है।
कानूनी खामियों का उठा रहे फायदा
हालांकि लालू कहते रहे हैं, कि जमीन पटना की हो या दिल्ली की, सब कानूनी तरीके से खरीदी गई है। आंशिक रूप से लालू प्रसाद यादव सही कह रहे हैं क्योंकि देश के कंपनी कानून में ऐसी कई खामियां हैं जिससे काला धन अभी भी सफेद होता है। देश में कई फर्जी कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, जो संपत्ति खरीदती तो अपने नाम से हैं लेकिन धीरे-धीरे मालिकाना हक किसी और को दे देती है।
आगे की स्लाइड्स में पढ़ें धनाढ्य लालू परिवार की हालिया कहानी ...
लालू के बेटे-बेटी हैं कंपनी के डायरेक्टर
पटना में बन रहे सबसे बड़े मॉल की जमीन के साथ भी यही हुआ है। इस जमीन की खरीद में भी लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने यही तरीका अपनाया। मॉल की जमीन एक अंजानी सी कंपनी ने 2008 में खरीदा। लालू प्रसाद यादव उस वक्त देश के रेलमंत्री थे। बाद में उनके दोनों बेटों और एक बेटी उसमें डायरेक्टर बना दिए गए और जमीन औने-पौने दाम में उनके नाम कर दी गई।
40 करोड़ की जमीन दी 5 करोड़ में
मॉल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक विधायक के साथ पार्टनरशिप में बन रहा है। दिल्ली की फ्रेंडस कॉलोनी की जमीन की खरीद में भी यही तरीका अपनाया गया। बिहार में बीजेपी के बड़े नेताओं में शुमार सुशील कुमार मोदी ने जो कागजात दिखाए, उससे बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ। एक अंजानी सी कंपनी ने फ्रेंड्स कॉलोनी की जमीन खरीदी और बाद में उसे लालू के बेटे और अभी बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नाम ट्रांसफर कर दिया। कंपनी ने इसे लालू के बेटे को पांच करोड़ में बेची, जबकि उसकी कीमत 40 करोड रुपए है।
दिलचस्प है, कि लालू के बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी ने चुनाव के नामांकन के वक्त संपत्ति के दिए जाने वाले हलफनामे में इन दोनों का जिक्र नहीं किया था ।
लालू खुद हैं सजायाफ्ता
गौरतलब है, कि लालू प्रसाद यादव 1990 के दशक में हुए चारा घोटाले के सजायाफ्ता हैं और अभी जमानत पर बाहर हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री रहते हुए जब उन्हें पहली बार जेल जाना पड़ा था तो उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का सीएम बना दिया था और जेल से ही सरकार चला रहे थे। यूपीए की सरकार में कोयला और स्पैक्ट्रम घोटाले की राशि के सामने चारा घोटाला कुछ भी नहीं था, लेकिन सौ करोड़ के उस घोटाले की पूरे देश में खूब चर्चा हुई थी। 1990 के दशक में सौ करोड़ बड़ी रकम थी, जिसकी लंबी सीबीआई जांच चली थी। जांच में ये सामने आया कि चारा को ढोने में स्कूटर ओर मोटरसाइकिल तक के नंबर दे दिए गए थे। इस घोटाले में शामिल कुछ लोगों को लालू यादव ने मंत्री पद तक दिया था।