×

विश्व में अंधकार और अज्ञानता को दूर करने का महापर्व है शिवरात्रि

महाशिवरात्रि को विश्व में जीवन से अंधकार और अज्ञानता दूर करने का महापर्व भी माना जाता है। अधिकांश त्योहार दिन में मनाए जाते हैं जबकि महाशिवरात्रि का पर्व रात में मनाया जाता है। कहते हैं शिवरात्रि उस दिन भी थी जब शिव पार्वती का विवाह हुआ।

SK Gautam
Published on: 8 March 2021 12:03 PM GMT
विश्व में अंधकार और अज्ञानता को दूर करने का महापर्व है शिवरात्रि
X
विश्व में अंधकार और अज्ञानता को दूर करने का महापर्व है शिवरात्रि

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: विनाश और सृजन के देवता भगवान शिव उपासना का महापर्व है शिवरात्रि। महाशिवरात्रि का पर्व शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथियों के बीच मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 11 मार्च को पड़ रहा है। महाशिवरात्रि का अर्थ है शिव की महान रात्रि। शिवरात्रि के आने की आहट मात्र से वसंत अंगड़ाई लेने लग जाता है। प्रकृति अपने सुंदरतम रंगों के पुष्प-परिधान एवं गहने धारण कर सज जाती है। खेतों में जौ, गेहूं, मटर, चना, सरसों आदि दलहन तिलहन फसलें गदरा जाती हैं। आम के पेड़ मंजरी से समृद्ध होकर फलों के सिरमौर बन जाते हैं। विश्व का हर प्राणी वासंतिक बयार में मदमस्त होने लगता है तब आती है वासंतिक शिवरात्रि। भारत के कई राज्यों और नेपाल तथा मारीशस जैसे देशों में महाशिवरात्रि के पर्व पर सार्वजनिक अवकाश रहता है।

विश्व को बचाने के लिए भगवान शिव ने हालाहल का पान किया

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसीलिए शिवरात्रि आदिकाल से मनायी जाती रही है। कहते हैं महाशिवरात्रि वह रात है जब भगवान शिव ने इस प्राणिलोक के सृजन, संरक्षण और संहार के लिए तांडव नृत्य किया था। यह भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने विश्व को बचाने के लिए समुद्र मंथन से निकले हालाहल का पान किया था। उन्होंने यह कार्य विश्व को नकारात्मक प्रभाव से बचाने के लिए किया था।

Shivaratri is Mahaparva-3

महाशिवरात्रि को विश्व में जीवन से अंधकार और अज्ञानता दूर करने का महापर्व भी माना जाता है। अधिकांश त्योहार दिन में मनाए जाते हैं जबकि महाशिवरात्रि का पर्व रात में मनाया जाता है। कहते हैं शिवरात्रि उस दिन भी थी जब शिव पार्वती का विवाह हुआ।

ये भी देखें: महिला दिवस पर हुआ मेरा अपमान, ऐसा क्यों बोली नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री देवी

महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग का प्राकट्य हुआ

कहा यह भी जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग का प्राकट्य हुआ था जब ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठ कौन, यह बहस छिड़ गयी थी। उसी समय एक भविष्यवाणी हुई थी कि तुममे से जो मेरे आदि और अंत का पता लगा लेगा वह श्रेष्ठ। ब्रह्मा जी आदि का पता लगाने गए और विष्णु अंत का। विष्णु जब अंत न पा सके तो लौट आए और अपनी असफलता स्वीकार कर ली। उधर ब्रह्माजी भी आदि न पा सके लेकिन उन्हें ऊपर से एक फूल आता दिखायी दिया वह फूल केतकी का था।

Shivaratri is Mahaparva-4

विष्णु को श्रेष्ठ भगवान माना गया

ब्रह्माजी ने उसे झूठी गवाही देने को राजी कर लिया। और शिव से आकर कहा वह आदि पा गए हैं और गवाही में यह केतकी का फूल है। यह सुनकर शिव जी क्रोधित हो गए और केतकी के फूल को झूठ बोलने के कारण श्राप दिया कि तुमने मुझपर अर्पित होने का अधिकार खो दिया है। तब से भगवान शिव की पूजा करते वक्त केतकी के फूल नहीं अर्पित करने चाहिए। विष्णु को श्रेष्ठ भगवान माना गया।

Shivaratri is Mahaparva-2

ये भी देखें: महिला दिवस स्पेशल: मैं दिये की रोशनी सी…..

बेल पत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं

बेल पत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। तीनों लोकों में जितने पुण्य-तीर्थ स्थल हैं, वे सभी तीर्थ स्थल बेल पत्र के मूलभाग में स्थित माने जाते हैं। जो लोग अपने घरों में बेल का वृक्ष लगाते हैं, उन पर शिव की कृपा बरसती है। घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में बेल का वृक्ष लगाने से यश और कीर्ति की प्राप्त‍ि होती है। घर के उत्तर-दक्षिण दिशा में बेल का वृक्ष लगाने से घर में सुख-शांति रहती है। यदि बेल का वृक्ष घर के बीच में लगा हो तो घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है और परिजन खुशहाल रहते हैं। जो व्यक्ति बेल के वृक्ष के मूल भाग की गन्ध, पुष्प आदि से पूजा अर्चना करता है, उसे मृत्यु के पश्चात शिव लोक की प्राप्ति होती है।

Shivaratri is Mahaparva-5

इन तिथियों को बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए

एक और जानने योग्य बात चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। पूजा से एक दिन पूर्व ही बेल पत्र तोड़कर रख लेना चाहिए। सिर्फ इस एक पेड़ की करें पूजा, भगवान शिव, गणपति और शनिदेव तीनों होंगे प्रसन्न। बेल पत्र कभी अशुद्ध नहीं होता है। यदि आपको पूजा के लिए नया बेल पत्र नहीं मिल रहा है तो आप किसी दूसरे के चढ़ाए गए बेल पत्र को स्वच्छ जल से धोकर भगवान शिव को अर्पित कर सकते हैं। बेल पत्र में 3 पत्त‍ियां होनी चाहिए। कटी-फटी पत्तियों का बेल पत्र भगवान शिव को अर्पित नहीं करना चाहिए।

ये भी देखें: मराठा आरक्षण मामला: SC ने राज्यों को जारी किया नोटिस, पूछा ये सवाल

दोस्तों देश दुनिया की और को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

SK Gautam

SK Gautam

Next Story