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'रत्न भंडार' - चाबी खोने के लिए जगन्नाथ मंदिर प्रशासन जिम्मेदार

Anoop Ojha
Published on: 8 Jun 2018 5:47 AM GMT
रत्न भंडार - चाबी खोने के लिए जगन्नाथ मंदिर प्रशासन जिम्मेदार
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'रत्न भंडार' - चाबी खोने के लिए जगन्नाथ मंदिर प्रशासन जिम्मेदार

भुवनेश्वर : पुरी गजपति दिव्यासिंघा देव ने गुरुवार को 'रत्न भंडार' के लापता चाबियों के लिए जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। गजपति ने यहां मीडिया को जारी पत्र में कहा कि उन्हें मंदिर प्रशासन के कार्यो के लिए जिम्मेदार क्यों ठहराया जा रहा। उन्होंने कहा कि ओडिशा सरकार ने श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम 1960 लागू कर श्रीमंदिर का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया था। उसके बाद रत्न भंडार और उसकी चाबियों का अधिकार राज्य सरकार को है।

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गजपति ने कहा, "ओडिशा सरकार ने श्रीमंदिर का प्रबंधन मेरे दिवंगत पिता गजपति महाराज बिराकिशोर देब से 1960 में लिया था। रत्न भंडार की चाबियां हमेशा संबंधित सरकारी कर्मचारियों के पास रही है।"

उन्होंने कहा कि 1960 के बाद आंतरिक रत्न भंडार को कई बार खोला गया और उस दौरान श्रीमंदिर प्रबंधन और पुरी के जिलाधिकारी ही चाबियों के संचालन में शामिल थे। पुरी गजपति ने कहा, "1960 से गजपति बाहरी रत्न भंडार की तीन चाबियों में से एक सौंपी गई है। और बाहरी रत्न भंडार खोलते वक्त हमेशा सरकारी प्रतिनिधि मौजूद रहे हैं।"

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बाहरी रत्न भंडार को तब तक नहीं खोला जा सकता, जब तक चाबियों के तीनों संरक्षक - गजपति, श्रीमंदिर प्रशासन और श्रीमंदिर भंडार मेकापा के प्रतिनिधि चाबियों के साथ उपस्थित न हों। गजपति ने कहा, "आंतरिक रत्न भंडार की चाबियों को लेकर मीडिया में गजपति की भूमिका पर विशेष रूप से श्रीमंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के रूप में जो सवाल उठाए जा रहे हैं, वो गलत है।"

यह विवाद जगन्नाथ मंदिर के आंतरिक रत्न भंडार की चाबियों के गुम होने के कारण उठा है।

--आईएएनएस

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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