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राम मंदिर को मजबूती देगा बुंदेलखंड, शुरू हुई निर्माण की प्रक्रिया
अयोध्या में बनने वाले विशाल राम मंदिर के निर्माण में बुंदेलखंड के पत्थरों से बनी गिट्टी का ही प्रयोग होगा। इन्हीं गिट्टियों पर ये विशाल राम मंदिर खड़ा होगा।
लखनऊ: भगवान राम जब 14 वर्ष के वनवास पर गए थे तो उस समय उनका सहारा बना था बुंदेलखंड का चित्रकूट। भगवान राम ने चित्रकूट के जंगलों में ही सबसे अधिक समय बिताया था। ऐसे में भगवान राम और बुंदेलखंड का रिश्ता काफी पुराना है। अपने जीवन के सबसे मुश्किल समय के दिनों को भगवान राम ने बुंदेलखंड के चित्रकूट में ही गुजारा।
अब एक बार फिर भगवान राम की सेवा और उनके साए में रहने का अवसर बुंदेलखंड को मिल रहा है। इस बार बुंदेलखंड की जिम्मेदारी भगवान राम की रक्षा और उन्हें सुरक्षित रखना भी है। अब आप ये सोच रहे होंगे कि हम ऐसा क्यों बोल रहे हैं। तो हम आपको बता दें कि दरअसल रामनगरी अयोध्या में बनने वाले विशाल राम मंदिर के निर्माण में बुंदेलखंड के पत्थरों से बनी गिट्टी का ही प्रयोग होगा। इन्हीं गिट्टियों पर ये विशाल राम मंदिर खड़ा होगा।
शुरू हुई मंदिर निर्माण की प्रक्रिया
राम मंदिर में लगेंगी बुंदेलखंड की गिट्टी (फाइल फोटो)
पीएम मोदी के भूमि पूजन करने के बाद से अयोध्या में बनने वाले विशाल राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया अब आगे बढ़ने लगी है। 3 सितंबर को अयोध्या विकास प्राधिकरण ने 'श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट' के सचिव और विश्व हिंदू परिषद के नेता चंपत राय को राम मंदिर का स्वीकृत मानचित्र सौंप दिया। मंदिर निर्माण को लेकर अब लगातार बैठके हो रहीं हैं। और कार्यवाही को निरंतर रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है। बीते 2 सितंबर को अयोध्या विकास प्राधिकरण ने बोर्ड की बैठक में राम मंदिर के प्रस्तावित नक्शे को पास कर दिया था।
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जिसके बाद बोर्ड ने श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को विभिन्न देयकों के रूप में 2 करोड़, 11 लाख, 33 हजार, 184 रुपए जमा करने का पत्र दिया था। जिसके बाद फुर्ती दिखाते हुए ट्रस्ट ने पत्र मिलते ही निर्धारित धनराशि को तुरंत ही बोर्ड को जमा कर दिया। जिसके बाद सभी तरह के जरूरी वेरिफिकेशन के बाद प्राधिकरण ने राम मंदिर के प्रस्तावित मानचित्र पर मुहर लगा दी। प्राधिकरण के द्वारा जो नक्शा स्वीकृत किया गया है उसके अनुसार इस नक्शे का कुल एरिया 2.74 लाख वर्ग किलोमीटर है।
राम मंदिर में लगेंगी बुंदेलखंड की गिट्टी (फाइल फोटो)
जिसमें कवर्ड एरिया 12 हजार 879 वर्ग मीटर है। प्राधिकरण ने चंपत राय को मानचित्र सौंपते हुए बिल्डिंग के निर्माण, प्रदूषण और पानी समेत अन्य निर्धारित मानकों के अनुसार कार्य करने को कहा है। ट्रस्ट ने शुरुआत में राम मंदिर के लिए स्वीकृत कुल 2.74 लाख वर्ग मीटर 3.6 प्रतिशत हिस्से पर निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी की है।
मंदिर की भूमि की गुणवत्ता की हो रही जांच
राम मंदिर में लगेंगी बुंदेलखंड की गिट्टी (फाइल फोटो)
मंदिर निर्माण के कार्य में काफी तेजी दिखाई जा रही है। क्योंकि सीएम योगी भी कह चुके हैं कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य शीघ्र किया जाए। और कार्य में तेजी लाई जाए। फिलहाल अब मंदिर निर्माण के लिए निर्धारित कानूनी प्रक्रिया की मंजूरी मिल गई है। अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर को प्रकृति के झंझावतों से बचाते हुए एक हजार साल तक सुरक्षित रखने के लिए देश की प्रतिष्ठिएत संस्थाओं ने अपना शोध शुरू कर दिया है। मंदिर निर्माण से पहले हर बात का ध्यान रखा जा रहा है।
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इसी क्रम में पिछले महीने सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ) रुड़की और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी (आइआइटी) के विशेषज्ञों ने अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल पर पहुंच कर जमीन की गुणवत्ता की जांच की थी। चंपत राय बताते हैं, “जिस निर्धारित स्थान पर मंदिर बनना है वहां की 60 मीटर की गहराई तक सैंपल लिए गए हैं। सैंपलिंग का काम आइआइटी, चैन्नई कर रहा है जबकि दूसरा काम मंदिर के भवन को भूकंप रोधी बनाए रखने का है। इसके लिए सीबीआरआइ, रुड़की को जिम्मेदारी सौंपी गईं।”
आइआइटी चैन्नई कर रही रिसर्च, मंदिर में कौनसी सीमेंट का हो प्रयोग
राम मंदिर में लगेंगी बुंदेलखंड की गिट्टी (फाइल फोटो)
कार्य में पूरी तेजी दिखाई जा रही है। अब इन संस्थाओं की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर की नींव का डिजायन तैयार किया गया है। इसके मुताबिक, जितने हिस्से में मंदिर बनेगा वहां करीब 12 सौ स्थानों पर 35 मीटर गहराई की 'पैलिंग' होगी। इन गड्ढों में मौरंग, गिट्टी और सीमेंट भरा जाएगा. ये मौरंग, गिट्टी और सीमेंट कहां से आएंगे? इसका निर्धारण आइआइटी, चैन्नई को करना है।
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आइआइटी चैन्नई के विशेषज्ञों ने बुंदेलखंड और सोनभद्र के इलाके की कुल 800 गिट्टी मंगाई है जिसकी क्षमता लैब में जांची जाएगी. इसके अलावा बुंदेलखंड में केन और बेतवा नदी के किनारे मिलने वाली लाल मौरंग की 10 क्विंटल मात्रा आइआइटी, चैन्नई भेजी जाएगी. चंपत राय बताते हैं, “अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के निर्माण में बाजार में मिलने वाला सीमेंट उपयोग में नहीं लाया जाएगा। आइआइटी चैन्नई इस बारे में रिसर्च कर रहा है कि किन खनिजों को मिलाकर ऐसा सीमेंट तैयार किया जाए जिससे मंदिर का भवन एक हजार साल तक सुरक्षित रह सके। ”