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सावधान! अब लम्पी बीमारी का प्रकोप, इन राज्यों में हजारों गाय भैंस आईं चपेट में
Lumpy Disease: रोग प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के लिए केंद्रीय टीम के साथ जयपुर गए रूपाला ने शनिवार को लोगों को प्रभावित गायों का दूध पीने के प्रति आगाह किया ।
Lumpy Disease: सावधान! पशुओं की खतरनाक बीमारी फैल रही है। कई राज्य चपेट में आ चुके हैं। केंद्रीय पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा है कि राजस्थान के 11 जिलों में पशुओं के ढेलेदार त्वचा रोग के प्रकोप से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इसके अलावा पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह इस बीमारी के प्रकोप की चपेट में हैं।
रोग प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के लिए केंद्रीय टीम के साथ जयपुर गए रूपाला ने शनिवार को लोगों को प्रभावित गायों का दूध पीने के प्रति आगाह किया और कहा कि ऐसे जानवरों को अलग-थलग कर देना चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, देश के पांच प्रभावित राज्यों में से राजस्थान सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 11 जिलों में ढेलेदार त्वचा रोग के मामले सामने आए हैं। मंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मवेशियों में इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए गंभीर प्रयास कर रही हैं और जल्द ही इसे नियंत्रित करने में सक्षम होंगी।
उन्होंने कहा कि संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखा जाना चाहिए और स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए समर्पित अलगाव केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इस बीमारी को रोकने के लिए बकरी पॉक्स का टीका पूरी तरह से प्रभावी है।
पशुओं में फैल रहे ढेलेदार चर्म रोग की रोकथाम के लिए आर्थिक सहयोग
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दानदाताओं, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों, कर्मियों और समाज के सभी वर्गों से अपील की है कि प्रदेश के पशुओं में फैल रहे ढेलेदार चर्म रोग की रोकथाम के लिए आर्थिक सहयोग करें। ढेलेदार रोग मुख्य रूप से रक्त-पोषक कीटों जैसे वाहकों के माध्यम से गायों और भैंसों को संक्रमित करता है। यह जानवर की त्वचा पर गांठों का निर्माण करता है या गांठ जैसा दिखता है।
आपको बता दें कि लंपी एक खतरनाक बीमारी है। जो हजारों पशुओं में फैल चुकी है। इस बीमारी को लेकर हर कोई यह जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या यह तेज संक्रमण वाली बीमारी इंसानों में भी फैल सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इंसानों में इस बीमारी के फैलने का खतरना न के बराबर है लेकिन सावधानी बरतनी चाहिए। संक्रमित पशु को छूने के बाद हाथ साबुन से अच्छी तरह धो लेने चाहिए। पशुओं को वैक्सीन लगवाकर भी इस बीमारी से बचा जा सकता है।