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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: बागी बने मुसीबत

raghvendra
Published on: 16 Nov 2018 3:45 PM IST
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: बागी बने मुसीबत
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भोपाल: मध्य प्रदेश में चुनावी सेज सज चुकी है। दोनों मुख्य दल कांग्रेस और बीजेपी ने अपने सभी उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। सभी उम्मीदवारों ने अपने-अपने नामांकन पर्चे भी दाखिल कर दिए हैं लेकिन बागियों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल कांग्रेस की नाक में दम कर रखा है। कई दिग्गज नेता अपनी ही पार्टी के खिलाफ मैदान में उतर आए हंै और पार्टी प्रत्याशी का मामला बिगाडऩे की क्षमता रखते हैं। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेता बागियों को मनाने में लगे हुए हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने दावा किया है कि कांग्रेस के बागियों को मना लिया जाएगा। भाजपा की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता डॉक्टर दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि जिन लोगों ने नामांकन भरा है, वे पार्टी के ही कार्यकर्ता हैं। लिहाजा, उनसे संपर्क किया जा रहा है। पार्टी एक क्षेत्र से एक ही व्यक्ति को उम्मीदवार बना सकती है, लेकिन दावेदार कई हो सकते हैं। इसलिए पार्टी अपने स्तर पर प्रयास कर रही है, सभी को समझाया जा रहा है। उम्मीद है कि पार्टी की बात को कार्यकर्ता मानेगा।

राज्य में पर्चा भरने का काम पूरा हो चुका है। अब तस्वीर ये है कि भाजपा के दिग्गज नेता सरताज सिंह इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। वहीं भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष धीरज पटैरिया निर्दलीय के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसमारिया दमोह से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। भाजपा विधायक नीलम मिश्रा के पति अभय मिश्रा रीवां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

ऐसा नहीं कि सिर्फ भाजपा बागियों से जूझ रही है। वास्तविकता तो ये है कि यही हाल कांग्रेस का भी है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे नितिन चतुर्वेदी उर्फ बंटी समाजवादी पार्टी के टिकट पर राजनगर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं। पूर्व सांसद प्रेमचंद्र गुड्डू के पुत्र अजित बोरासी भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। असल में इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के बड़े नेताओं पर टिकट बांटने में मनमानी करने के आरोप लगे हैं। दोनों दलों के कई नेताओं ने बड़े नेताओं पर टिकट बेचने के खुल्लमखुल्ला आरोप लगाए हैं। कई नेताओं की बातचीत के ऑडियो भी वायरल हो रहे हैं।

भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले पूर्व मंत्री व सांसद रामकृष्ण कुसमारिया के अनुसार, ‘पार्टी ने 75 साल पार कर चुके लोगों को टिकट न देने की बात कही थी। तब मैंने मान लिया था कि मुझे भी उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा, लेकिन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भोपाल में जिताऊ उम्मीदवार की बात की तो मेरे दिल में चुनाव लडऩे की उम्मीद जाग गई। उसी के चलते तैयारी की। जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो बतौर निर्दलीय, उम्मीदवारी का पर्चा भर दिया।’ इसी तरह भाजपा की पूर्व मंत्री कुसुम महदेले ने भाजपा के टिकट वितरण पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कैसा अन्याय है कि पवई से 12 हजार मतों से हारने वाले को पन्ना विधानसभा क्षेत्र से टिकट और पन्ना से 29 हजार वोटों से जीते प्रत्याशी का टिकट काट दिया गया। ऐसा क्यों किया गया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी खुद को सच्चा कांग्रेसी बताते हुए कहते हैं कि उनकी अंतिम सांस भी कांग्रेस की होगी। उन्होंने टिकट वितरण पर सवाल उठाए और कहा कि उनका बेटा 15 साल से पार्टी का टिकट मांग रहा था, लेकिन उसे उम्मीदवार नहीं बनाया गया, बेटा बालिग है और उसे अपने फैसले लेने का अधिकार है।

मोदी और शाह की एंट्री

मध्य प्रदेश चुनाव के प्रचार-प्रसार के आखिरी चरण में अब भाजपा के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की भी एंट्री हो गई है। मोदी पांच दिन और अमित शाह सात दिन का मध्य प्रदेश दौरा करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में सभाएं करेंगे तो अमित शाह रोड शो करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी 16 से 25 नवंबर के बीच पांच दिन प्रदेश के दौरे पर रहेंगे। उनका प्रोग्राम ग्वालियर, शहडोल, छिंदवाड़ा, इंदौर, झाबुआ, रीवां, मंदसौर, छतरपुर, विदिशा और जबलपुर में है। वहीं अमित शाह बड़वानी, शाजापुर, बडऩगर, टीकमगढ़, सागर,दमोह, सतना, सिंगरौली, उमरिया, चुरहट, देवतालाब, मैहर, जबलपुर, नरसिंहपुर, बैतूल, खातेगांव, भोपाल उत्तर, नरेला, लखनादौन, छिंदवाड़ा, बालाघाट, सीहोरा, अशोकनगर, नरवर, भिण्ड, मुरैना, नीमच, रतलाम, कुक्षी और सांवेर में जनसभा और रोड शो करेंगे।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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