×

जानें कौन है ये महिलाएं, आखिर क्यों ये सरकार को लौटाएंगी बीपीएल कार्ड

Manali Rastogi
Published on: 8 July 2018 7:29 AM GMT
जानें कौन है ये महिलाएं, आखिर क्यों ये सरकार को लौटाएंगी बीपीएल कार्ड
X

मध्य प्रदेश: कुपोषण का गढ़ कहे जाने वाले मध्य प्रदेश का श्योपुर जिले का एक गांव गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले आदिवासी परिवारों का गांव था। यहां के आदिवासी परिवारों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं था। जो भी थोड़ी जमीन और जेवर बचे थे सब गिरवीं रखे हुए थे लेकिन अब इस गांव की सूरत बदल चुकी है। अब हर परिवार लखपति है और सरकार को बीपीएल कार्ड लौटाने जा रहा है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर कैसे इस गांव की सुरत बदल गई है।

क्या है ये पूरा मामला?

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के आदिवासी विकास खंड कराहल का दुबड़ी गांव पिछले 6 साल पहले तक एक गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाला एक आदिवासी गांव था। यहां के 74 आदिवासी परिवारों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं था।

यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव से पहले पिछड़ा वर्ग के बेरोजगारों को प्रशिक्षित कर रोजगार देगी योगी सरकार

उनके परिवार का भरण पोषण बीपीएल कार्ड से मिलने वाला राशन पर ही निर्भर था। गांव की जो भी महिलाएं थीं। उनके जेवर गिरवीं रखे हुए थे। लेकिन अब इस गांव की सूरत बदल चुकी है।

जिन परिवारों ने अपने खेत या महिलाओं ने अपने जेवर गिरवीं रखे थे। उन्होंने उसे छुड़ा लिया है। ये सब केवल स्वालम्बन के कारण मुमकिन हो पाया है। इसका श्रेय इस गांव की महिलाओं को जाता है।

ऐसे बदल गई गांव की सूरत

दुबड़ी गांव की महिलाओं ने स्व सहायता समूहों से जुड़कर अपने सपने को साकार किया है। पूरे जिले में केवल ही एक दुबड़ी गांव ही एक ऐसा गांव है। जहां शत– प्रतिशत महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) द्वारा गठित स्व सहयता समूहों की सदस्य है।

यह भी पढ़ें: BJP विधायक सुरेंद्र सिंह का विवादित बयान, इस बार रेप की घटनाओं के बीच आए भगवान राम

समूहों से लोन लेकर महिलाओं ने खेती बाड़ी, पशुपालन से लेकर लघु उधोग शुरू किये। धीरे –धीरे कुछ ही दिनों के अंदर हर परिवार की स्थिति में सुधार आने लगा। अब हर परिवार लखपति है और महिलाओं के खातें में लाखों रूपये जमा है। उन्होंने अपने परिवार के ऊपर जो कर्ज थे उसे भी उतार दिया है। अब वे सरकार को बीपीएल कार्ड लौटाने जा रही है।

गांव की महिलाओं ने ऐसे दी गरीबी को मात

दुबड़ी गांव की निवासी सुकनी आदिवासी ने बताया कि उसने 5 साल पहले बजरंग स्व सहायता समूह की सदस्यता ली थी और 15 हजार का कर्ज लेकर सोलर सिस्टम लगाया था। पूरा गांव बिजली विहीन था। इसलिए उसने 100 रूपये महीने में 40 घरों को एक सीएफएल का कनेक्शन दे दिया।

यह भी पढ़ें: आर्थिक आकड़ें, विदेशी संकेत तय करेंगे भारतीय शेयर बाजार की चाल

बदले में उसे इनकम होने लगी। कुछ दिनों के बाद ही उसके घर की स्थिति में सुधार होने लगा। पहले बीपीएल कार्ड पर उसका परिवार निर्भर था लेकिन अब ऐसा नहीं है। उसे राशन के लिए अब सरकारी मदद की जरूरत नहीं पड़ती है। वह अपने पैसे से अपने परिवार का अच्छे से खर्च चला पा रही है।

यह भी पढ़ें: J&K: बुरहान वानी की दूसरी बरसी आज, अमरनाथ यात्रा स्थगित, रेड अलर्ट जारी

कालीबाई आदिवासी ने बताया कि उसके पास 12 बीघा जमीन थी जो 100 रूपये सैकड़ा ब्याज पर गिरवीं रखी थी। 11 साल से जो भी कमाते वो साहूकार को दे देते थे। केवल ब्याज चुकता होता था। इसके बाद मैं कालीबाई बैरागी स्व सहायता समूह से जुड़ गई।

समूह से 20 हजार का कर्ज लेकर अपना काम शुरू किया और कुछ ही दिन में उस पैसे से साहूकार के पैसे लौटे दिए। अब मैं अपने खेत में खेतीबाड़ी करती हूं। अब हमें खाने पीने के लिए सरकार से मिलने वाले राशन पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।

क्या कहता है प्रशासन?

मध्य के श्योपुर जिले के एनआरएलएम के जिला प्रबन्धक डॉ. एसके मुद्गल के मुताबिक दुबडी गांव के आदिवासी परिवारों अपने बीपीएल–राशन कार्ड को लौटाने का मन बना चुके है। इस बारें में प्रशासन को सूचित कर दिया गया है।

Manali Rastogi

Manali Rastogi

Next Story