चौतरफा घिरे सिंधिया: जय जयकार के नारे नहीं, अब उठे विरोध के स्वर

ग्वालियर के जयविलास पैलेस में सालों से सिर्फ जय जयकार के नारे गूंजते रहे हैं, लेकिन अब विरोध के सुर भी सुनाई पड़ने लगे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया हाल ही में जब अपने गृह जनपद पहुंचे तो महल से चंद कदमों की दूरी पर कांग्रेसियों ने जमकर उनके विरोध में नारे लगाए।

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Published on: 26 Aug 2020 10:49 AM GMT
चौतरफा घिरे सिंधिया: जय जयकार के नारे नहीं, अब उठे विरोध के स्वर
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चौतरफा घिरे सिंधिया: जय जयकार के नारे नहीं, अब उठे विरोध के स्वर

नई दिल्ली: बीजेपी में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने गृह जनपद पहुंचे तो महल से चंद कदमों की दूरी पर कांग्रेसियों ने जमकर उनके विरोध में नारे लगाए। सिंधिया के बीजेपी में एंट्री से राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं और कभी महल के खिलाफ आवाज बुलंद रखने वाले प्रभात झा और जयभान सिंह पवैया के विरोधी वैसे ही हैं। विरोध और समर्थन के बीच सिंधिया मंगलवार को आरएसएस मुख्यालय पहुंचकर हाजिरी लगाने का काम किया है।

जय जयकार के नारे की जगह विरोध के सुर

अब तक ग्वालियर के जयविलास पैलेस में सालों से सिर्फ जय जयकार के नारे गूंजते रहे हैं, लेकिन अब विरोध के सुर भी सुनाई पड़ने लगे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया हाल ही में जब अपने गृह जनपद पहुंचे तो महल से चंद कदमों की दूरी पर कांग्रेसियों ने जमकर उनके विरोध में नारे लगाए। बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मंगलवार को पहली बार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय पहुंचे।

चौतरफा घिरे सिंधिया: जय जयकार के नारे नहीं, अब उठे विरोध के स्वर

यहां आकर नई ऊर्जा मिलती है-सिंधिया

यहां उनकी मुलाकात आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से तो नहीं हो सकी, लेकिन संघ के अन्य पदाधिकारियों से वह जरूर मिले। सिंधिया ने संघ मुख्यालय में आरएसएस संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के निवास स्थल का निरीक्षण किया। सिंधिया ने कहा, 'राष्ट्र के प्रति समर्पण के भाव का केंद्र है ये। यहां राष्ट्र के प्रति समर्पण की प्रेरणा मिलती है। यहां आकर नई ऊर्जा मिलती है।'

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ज्योतिरादित्य के संघ मुख्यालय पहुंचने से सियासी चर्चाएं तेज

कांग्रेस से जनसंघ में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया का भी संघ से बहुत मजबूत रिश्ता बना रहा है। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नागपुर दौरे को बीजेपी या उनके समर्थक भले ही सामान्य दौरा बताएं, लेकिन उपचुनाव से ठीक पहले सिंधिया का अचानक संघ मुख्यालय पहुंचने से सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं।

चौतरफा घिरे सिंधिया: जय जयकार के नारे नहीं, अब उठे विरोध के स्वर

सिंधिया की इस यात्रा को इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि बीजेपी के कई दिग्गज नेता सिंधिया समर्थक मंत्रियों और पूर्व विधायकों की उपचुनाव में उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं। आने वाले उपचुनाव में कहीं कोई अवरोध न हो, इसके लिए भी उनका प्रयास चल रहा है।

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जयभान सिंह पवैया ने सोमवार को एक ट्वीट कर अपने इरादे साफ कर दिए कि वे किसी भी हालत में झुकने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने लिखा था कि सांप की दो जीभ होती है और आदमी की एक। सौभाग्य से हम मनुष्य हैं। राजनीति में वक्त के साथ दोस्त-दुश्मन बदल सकते हैं पर मेरे लिए सैद्धांतिक तौर पर कल जो मुद्दे थे वे आज भी हैं, जयश्री राम। हालांकि, उन्होंने सांप किसे कहा, क्यों कहा, इसके कई तरह के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।

पवैया-झा बीजेपी के अहम चेहरे

जयभान सिंह पवैया राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक थे। इसके बाद वे सांसद सहित शिवराज सरकार में मंत्री भी रहे। प्रभात झा लंबे समय तक मध्य प्रदेश में भाजपा के मीडिया प्रभारी रहे हैं। फिर कमल संदेश सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं का जिम्मा संभाला। दोनों नेता ग्वालियर इलाके से आते हैं, जहां की 16 सीटों पर उपचुनाव होने हैं।

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उपचुनाव की कमान सिंधिया-शिवराज के हाथ

दरअसल, मध्य प्रदेश उपचुनाव के प्रचार की कमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों में हैं। हाल ही ये दोनों नेताओं ने ग्वालियर इलाके का दौरा करके बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है, लेकिन चुनाव परिदृश्य में पवैया और प्रभात झा की भूमिका अभी तय नहीं है। ऐसे में सिंधिया के संघ के दर पर दस्तक देकर अपने राजनीतिक समीकरण को मजबूत ही नहीं बल्कि अपने विरोधियों को भी संदेश देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

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