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मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया 'टिक टॉक' पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश
रायटर्स न्यूज एजेंसी से बातचीत में फरवरी में तमिलनाडु के आई॰टी मंत्री ने कुछ डांस कंटेंट को आपत्तिजनक बताया था। और पहले भी इस एप को बैन करने की मांग हुई है। कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने इस एप को बैन करने की मांग की थी।
नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से चीनी वीडियो शेयरिंग एप टिक टॉक पर रोक लगाने को कहा है। इस एप पर पॉर्नोग्राफी को बढ़ावा देने का आरोप लगा है। बीजिंग बाइटडांस टेक्नोलॉजी के इस एप का इस्तेमाल छोटे वीडियो बनाने और शेयर करने में होता है। ये एप भारत में काफी चर्चित है।
इसका इस्तेमाल लगभग 130 करोड़ यूजर्स करते हैं। टिक-टॉक के जरिये यूजर्स जोक, वीडियो क्लिप और फुटेज आदि शेयर कर सकते हैं। युवाओं के बीच यह एप काफी चर्चित है।
मद्रास हाईकोर्ट का मानना है, कि चीनी वीडियो शेयरिंग एप टिक टॉक पर आपत्तिजनक कंटेंट मौजूद है
जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस एप की डाउनलोडिंग पर रोक लगाने का निर्देश दिया है।
रायटर्स न्यूज एजेंसी से बातचीत में फरवरी में तमिलनाडु के आई॰टी मंत्री ने कुछ डांस कंटेंट को आपत्तिजनक बताया था। और पहले भी इस एप को बैन करने की मांग हुई है। कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने इस एप को बैन करने की मांग की थी।
मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि जो बच्चे टिक-टॉक का इस्तेमाल करते हैं वह सेक्सुअल शिकारियों की चपेट में आ सकते हैं। टिक-टॉक का इस्तेमाल से बच्चे अपशब्दों और गलियो का प्रयोग करना सीख रहे रहे।
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कोर्ट का मानना है, कि इस एप पर आपत्तिजनक कंटेंट उपलब्ध है। कोर्ट ने ये भी चिंता जाहिर की है कि इसके माध्यम से बच्चे सीधे अनजान लोगों के संपर्क में आ सकते हैं।
इस मामले में टिक टॉक के प्रवक्ता ने रायटर्स से कहा है कि कंपनी लोकल लॉ को फॉलो करने की पूरी कोशिश कर रही है। कंपनी को कोर्ट के आदेश की कॉपी का इंतजार है, जिसके बाद आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
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उन्होंने कहा कि यूजर्स के लिए सुरक्षित और सकारात्मक वातावरण बनाए रखना ही हमारा प्रथम कर्तव्य है। हालांकि इस टिप्पणी पर आईटी मंत्रालय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं कोर्ट ने एप पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही मीडिया में टिक-टॉक वीडियो के प्रसारण पर रोक की बात कही है।
बता दें, कि टिक-टॉक अपने एप में कई बदलाव कर रहा है।