×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Madras High Court: मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं, गैर हिंदुओं को जाने की इजाजत नहीं

Madras High Court: मद्रास उच्च न्यायालय की न्यायाधीश एस श्रीमथी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे गैर-हिंदुओं को अनुमति न दें जो हिन्दू धर्म में विश्वास नहीं करते हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 31 Jan 2024 9:50 AM IST
Madras High Court: मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं, गैर हिंदुओं को जाने की इजाजत नहीं
X

madras high court  (photo: social media )

Madras High Court: मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं हैं। इनमें गैर हिंदुओं के प्रवेश की इजाजत नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने आदेश दिया यदि कोई गैर-हिंदू किसी मंदिर में दर्शन करना चाहता है तो उसे अधिकारियों को एक अंडरटेकिंग देनी होगी कि उसे हिन्दू धर्म में आस्था है और वह हिंदू धर्म और मंदिर के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करेगा। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदुओं को भी अपने धर्म को मानने और उसका पालन करने का मौलिक अधिकार है।

मद्रास उच्च न्यायालय की न्यायाधीश एस श्रीमथी ने कहा कि अधिकारियों को मंदिर के आगमों, रीति-रिवाजों और प्रथाओं का सख्ती से पालन करना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे गैर-हिंदुओं को अनुमति न दें जो हिन्दू धर्म में विश्वास नहीं करते हैं।

नोटिस बोर्ड लगाएं

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ की न्यायमूर्ति एस श्रीमथी ने राज्य सरकार, हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग और मंदिर अधिकारियों को मंदिरों के प्रवेश द्वार, कोडिमारम यानी ध्वज के पास और ऐसे सभी प्रमुख स्थानों पर नोटिस बोर्ड लगाने का निर्देश दिया।

लिखित पत्र देना होगा

अदालत ने कहा कि यदि कोई गैर-हिंदू किसी मंदिर में किसी विशेष देवता के दर्शन करना चाहता है, तो अधिकारियों को उस व्यक्ति से एक वचनपत्र लेना होगा कि उसे देवता में विश्वास है, और वह हिंदू धर्म और मंदिर के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करेगा।इस तरह का वचन पत्र प्राप्त करने पर, गैर-हिंदू को मंदिर में जाने की अनुमति दी जा सकती है।जब भी किसी ऐसे व्यक्ति को वचनपत्र के आधार पर अनुमति दी जाती है तो इसे मन्दिर के एक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। न्यायाधीश ने कहा, "उत्तरदाताओं को मंदिर के आगम (मंदिर के नियमों), रीति-रिवाजों और प्रथाओं का सख्ती से पालन करके मंदिर परिसर का रखरखाव करना होगा।"

क्या थी याचिका

अदालत ने डी सेंथिलकुमार द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता ने केवल हिंदुओं को अरुलमिगु पलानी धनदायुथापानी स्वामी मंदिर और उसके उप-मंदिरों तक पहुंच की अनुमति देने के लिए विशिष्ट निर्देश देने की मांग की थी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने मंदिरों के सभी प्रवेश द्वारों पर इस प्रतिबंध को सूचित करने वाले डिस्प्ले बोर्ड लगाने का भी अनुरोध किया था। भगवान मुरुगन का ये प्रसिद्ध मंदिर डिंडीगुल जिले के पलानी में स्थित है।

सभी मंदिरों पर लागू

याचिका के उत्तरदाताओं यानी राज्य सरकार और मन्दिर प्रबंधन ने कहा कि उक्त रिट याचिका केवल पलानी मंदिर के लिए दायर की गई थी और आदेश केवल उसी तक सीमित हो सकता है। इस तर्क पर अदालत ने कहा कि ये एक बड़ा मुद्दा है और यह सभी हिंदू मंदिरों पर लागू होना चाहिए, इसलिए प्रतिवादियों की याचिका खारिज की जाती है। अदालत ने कहा कि ये प्रतिबंध विभिन्न धर्मों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और समाज में शांति सुनिश्चित करेंगे। इसलिए राज्य सरकार, संबंधित विभाग, प्रतिवादियों और मंदिर प्रशासन में शामिल सभी व्यक्तियों को सभी हिंदू मंदिरों के लिए निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया जाता है।

और क्या कहा अदालत ने

अदालत ने फैसले में कहा कि हिंदू धर्म से संबंधित लोगों को आस्था को मानने और उसका पालन करने का अधिकार है। इसी तरह, अन्य धर्मों के लोगों को भी अपने धर्म को मानने और उसका पालन करने का अधिकार है। लेकिन उनके संबंधित धर्म के रीति-रिवाजों और प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है और किसी भी हस्तक्षेप को कम किया जाना चाहिए।

मंदिर पिकनिक स्पॉट या पर्यटक स्थल नहीं है। वैसे, अरुलमिघु ब्रहदेश्वर मंदिर, तंजावुर में भी अन्य धर्म के लोगों को मंदिर के स्थापत्य स्मारकों को देखने की अनुमति है, लेकिन प्रवेश द्वार के आगे जाने की नहीं। स्थापत्य स्मारकों को देखने के लिए लोग परिसर का उपयोग पिकनिक स्थल या पर्यटक स्थल के रूप में नहीं कर सकते हैं। मंदिर परिसर को श्रद्धापूर्वक और नियमों के अनुसार बनाए रखा जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकार उत्तरदाताओं को अन्य धर्म के लोगों को अनुमति देने का कोई अधिकार नहीं दे रहा है, यदि उनकी हिंदू धर्म में कोई आस्था और विश्वास नहीं है। इसके अलावा, सभी धर्मों के लिए अधिकारों की गारंटी है और इस तरह के अधिकार को लागू करने में कोई पूर्वाग्रह नहीं हो सकता है। हिंदुओं को भी अपने धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने और उसका अभ्यास करने और अपने अभ्यास के तरीके में हस्तक्षेप किए बिना अपने धर्म का प्रचार करने का मौलिक अधिकार है।

उच्च न्यायालय ने कथित तौर पर मंदिरों में गैर-हिंदुओं के प्रवेश की कुछ घटनाओं का भी उल्लेख किया। और कहा कि हिंदुओं को अपने मंदिरों को अपने रीति-रिवाजों, प्रथाओं के अनुसार बनाए रखने का अधिकार है और हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग का कर्तव्य है कि वह मंदिरों को ऐसी अवांछित घटनाओं से बचाए।



\
Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story