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Madras High Court: हिंदू नेता की टारगेट किलिंग को नहीं माना आतंकी कृत्य, मद्रास हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी के साथ आरोपी को दी सशर्त जमानत

Madras High Court: मद्रास हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच की ओर से यह टिप्पणी आसिफ मुस्तहीन की ओर से जमानत पर रिहाई की मांग करने वाली अपील पर की गई।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 14 Dec 2023 4:21 AM GMT
Madras High Court
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Madras High Court   (photo: social media )

Madras High Court: मद्रास हाईकोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार एक आरोपी को जमानत देते हुए अहम टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह बहस का मुद्दा है कि क्या हिंदू नेताओं की टारगेट किलिंग को अपने आप में आतंकवादी कृत्य माना जा सकता है? जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले से जुड़े सबूतों से यह बात उजागर होती है कि कुछ निश्चित धार्मिक नेताओं पर हमला करने के लिए साजिश रची गई थी। वैसे यह नहीं स्पष्ट किया गया है कि इसे आतंकवादी कृत्य कैसे माना जाएगा,जैसा कि यूएपीए की धारा 15 के तहत परिभाषित किया गया है।

हाईकोर्ट ने धारा 15 के तहत उठाए सवाल

मद्रास हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच की ओर से यह टिप्पणी आसिफ मुस्तहीन की ओर से जमानत पर रिहाई की मांग करने वाली अपील पर की गई। आसिफ को 26 जुलाई,2022 को यूएपीए के तहत अपराध के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से गिरफ्तार किया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि यूएपीए की धारा 15 के तहत परिभाषित किया गया है कि यह कार्य भारत की एकता,अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को धमकी देने या संभावित रूप से धमकी देने के इरादे या भारत या विदेश में लोगों या लोगों के किसी भी वर्ग में आतंक फैलाने के लिए या संभावित रूप से हमला करने के इरादे से किया जाना चाहिए। इस मामले में ऐसा स्पष्ट नहीं किया गया है।

पहले खारिज हो गई थी जमानत याचिका

इस मामले से जुड़े दो आरोपियों की ओर से पहले भी जमानत याचिका दायर की गई थी मगर इन याचिकाओं को ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। वे पिछले 17 महीने से जेल में बंद थे। कोर्ट में अभियोजन पक्ष की ओर से दलील दी गई कि आरोपी आईएस का सदस्य बनना चाहता था और उसने दूसरे आरोपी के साथ निकटता बढ़ाई, जो वैश्विक आतंकवादी संगठन का सदस्य था। अभियोजन पक्ष की ओर से यह आरोप भी लगाया गया कि दोनों आरोपियों ने भाजपा और आरएसएस से जुड़े हिंदू धार्मिक नेताओं को मारने की साजिश रची थी।

आरोपी को दी सशर्त जमानत

अभियोजन पक्ष की ओर से दी गई दलीलों से पीठ ने असहमति जताई। पीठ का कहना था कि सबूत से इस बात की पुष्टि नहीं होती है कि आरोपी आईएएस में शामिल हो गया और दूसरा आरोपी आतंकी समूह का सदस्य था। कोर्ट का यह भी कहना था कि यह मानते हुए भी कि अभियोजन पक्ष की ओर से एकत्र की गई सामग्री अंततः दोषसिद्धि का कारण बन सकती है,मुकदमे के लंबित रहने तक हिरासत बेमियादी अवधि की नहीं हो सकती।

इसके साथ ही पीठ ने आरोपी को सशर्त जमानत दे दी मगर आरोपी को निर्देश दिया गया है कि उसे इरोड में रहना होगा और हर दिन सुबह 10.30 बजे ट्रायल कोर्ट में पेश होना होगा।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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