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छठ पूजा 2018: बिहार के सबसे बड़े पर्व को मनाने के पीछे क्या है लोगों की आस्था,जानने के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट

Anoop Ojha
Published on: 10 Nov 2018 4:12 PM IST
छठ पूजा 2018: बिहार के सबसे बड़े पर्व को मनाने के पीछे क्या है लोगों की आस्था,जानने के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट
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लखनऊ : एक ऐसा व्रत जिसमें व्रती नहाय खाय के व्रत की शुरूआत करता है।सूर्य की उपासना की सदियों से चली आ रही परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इसके एक और पक्ष की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने वाला पर्व छठ है। इस पर्व में उगते हुए सूर्य और डूबते हुए सूर्य दोनों अवसरों पर सूर्य की पूजा विधिविधान से तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर की जाती है।छठ पर्व, छठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है।

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छठ पूजा का महापर्व इस साल 11 नवंबर रविवार से शुरू हो रहा है। पूरे चार दिन तक मनाए जाने वाले इस पर्व में चार चरण होते है।जिन्हें चार दिनों में संपन्न किया किया जाता है। पूरे भारत में यह बिहार राज्य के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसके अलावा झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी पूरे उत्साह के साथ छठ मनाया जाता है।हर घर में होने वाली छठ पूजा के मददेनजर राज्य सरकारें श्रद्धालुओं की सुविधा का ध्यान रखते हुए व्यापक इंतजाम करती है।

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इस बार नहाए-खाए 11 नवंबर को, खरना 12 नवंबर को, सांझ का अर्घ्य 13 नवंबर को और सुबह का अर्घ्य 14 नवंबर को है।पंचांग की गणना के अनुसार, इस बार छठ पर्व पर कई दुर्लभ शुभ संयोग बन रहे हैं जो शुभ फलदायी और समृद्धिदायक हैं।

छठ पूजा

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छठ पूजा की विधि

छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान में पहले दिन नहाय-खाए दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

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प्रचलित कथाएँ

छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं; उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा।

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नहाय-खाए

पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की साफ सफाई कर उसे पवित्र किया जाता है। इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के सभी सदस्य व्रती के भोजनोपरांत ही भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है।

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खरना

दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिनभर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

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डूबते हुए सूर्य की पूजा

तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं, के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया साँचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।

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शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं। सभी छठव्रती एक नियत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है; इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले जैसा दृश्य बन जाता है।

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उगते हुए सूर्य को अर्घ्य

चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रति वहीं पुनः इकट्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने पूर्व संध्या को अर्घ्य दिया था। पुनः पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है। सभी व्रती तथा श्रद्धालु घर वापस आते हैं, व्रती घर वापस आकर गाँव के पीपल के पेड़ जिसको ब्रह्म बाबा कहते हैं वहाँ जाकर पूजा करते हैं। पूजा के पश्चात् व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं जिसे पारण या परना कहते हैं।

छठ गीत छठी मइया होई जा सहइया...देसवा के होई कल्याण

ज्यादातर ये गीत भोजपुरी, मैथिली, मगही भाषाओं में होते हैं जो बिहार-झारखंड की बोली है। शारदा सिन्हा के गाए हुए छठ गीत बेहद लोकप्रिय हैं। भोजपुरी के टॉप एक्टर और गायक पवन सिंह का छठ के मौके पर रिलीज हुआ गाना छठी मइया होई जा सहइया...देसवा के होई कल्याण खूब सुना जा रहा है। गाने को सुनने वालों की संख्या 316,577 पहुंच गई है। इस गाने को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनाया गया है।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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