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Maharashtra Election 2024: उद्धव और शरद पवार से डील करने में पिछड़ गई कांग्रेस, सीट शेयरिंग में भाजपा ने दिखाया दम
Maharashtra Election 2024: सीट शेयरिंग के मामले में भाजपा और कांग्रेस की स्थिति को देखा जाए तो कांग्रेस पिछड़ती हुई दिख रही है जबकि भाजपा ने सीटों के बंटवारे में बाजी मार ली है।
Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा की अगुवाई वाले महायुति और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। दोनों गठबंधनों में भाजपा और कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है जबकि दोनों गठबंधनों में शामिल दो-दो क्षेत्रीय दलों को महाराष्ट्र की सियासत में बड़ी ताकत माना जाता रहा है।
ऐसे में सबकी निगाहें दोनों गठबंधनों में सीटों के बंटवारे पर लगी हुई थीं। महाराष्ट्र में मंगलवार को नामांकन दाखिले की आखिरी तारीख समाप्त हो चुकी है। अब यदि सीट शेयरिंग के मामले में भाजपा और कांग्रेस की स्थिति को देखा जाए तो कांग्रेस पिछड़ती हुई दिख रही है जबकि भाजपा ने सीटों के बंटवारे में बाजी मार ली है। हालांकि गठबंधन को मजबूत बनाने के लिए भाजपा ने कुछ सीटों का बलिदान भी किया है।
लोकसभा चुनाव में दम दिखाना भी काम नहीं आया
महाराष्ट्र में चार महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस सबसे मजबूत बनकर उभरी थी। पार्टी ने 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और 13 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी। शिवसेना का उद्धव गुट 21 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ नौ सीटें जीत सका था। स्ट्राइक रेट के मामले में कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में थी। ऐसे में माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग के मामले में कांग्रेस सब पर भारी पड़ेगी मगर हकीकत में ऐसा होता नहीं दिखा है।
महाविकास अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस 100 सीटें हासिल करने में कामयाब हुई है। सीटों के बंटवारे के मामले में उद्धव गुट भी कांग्रेस से ज्यादा पीछे नहीं है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि कांग्रेस सीट बंटवारे की डील में सहयोगी दलों पर ज्यादा दबाव बनाने में कामयाब नहीं हो सकी।
आखिर सहयोगी दलों से क्यों डील नहीं कर पाई कांग्रेस
महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग की बातचीत के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की नाराजगी की खबर भी सामने आई थी। राहुल गांधी महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग की बातचीत करने वाले पार्टी नेताओं से नाराज बताए जा रहे हैं। उन्होंने बातचीत में शामिल नेताओं को फटकार भी लगाई थी। हालांकि बाद में पार्टी की ओर से कहा गया था कि राहुल गांधी की नाराजगी की खबरों में दम नहीं है।
वैसे कांग्रेस के कुछ नेताओं का भी मानना है कि सीट शेयरिंग के मुद्दे पर बातचीत के दौरान कांग्रेस कमजोर नजर आई। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सीट बंटवारे की बातचीत में कांग्रेस के पिछड़ने के दो प्रमुख कारण रहे।
पहला प्रमुख कारण यह रहा कि महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं में सीटों को लेकर आंतरिक मतभेद दिखा। दूसरा कारण यह था कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल दो क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस हाईकमान के साथ सख्त सौदेबाजी में कामयाबी हासिल की।
सहयोगी दलों की सीधे हाईकमान तक पहुंच
कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्षी गठबंधन में शामिल दोनों क्षेत्रीय दलों शिवसेना के उद्धव गुट और एनसीपी के शरद पवार गुट की सीधे कांग्रेस हाईकमान तक पहुंच है। शरद पवार हमेशा सख्त सौदेबाजी करते हैं और वे किसी भी मुद्दे पर हाईकमान से सीधे बातचीत करने में पूरी तरह सक्षम हैं। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी के नेता संजय राउत भी सख्त सौदेबाजी करने में कामयाब रहे। ये दोनों नेता भी सीधे राहुल गांधी से बातचीत करने में सक्षम है।
भाजपा की सख्त सौदेबाजी,पिछड़ गई कांग्रेस
उन्होंने कहा कि यदि सत्तारूढ़ महायुति को देखा जाए तो वहां ऐसी स्थिति नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधी बातचीत करना किसी भी नेता के लिए संभव नहीं है जबकि अमित शाह से संपर्क साधना भी आसान नहीं है। दूसरी बात यह है कि अमित शाह खुद सख्त सौदेबाजी के लिए जाने जाते हैं।
यही कारण था कि भाजपा की तुलना में कांग्रेस सीट बंटवारे में पिछड़ गई। प्रदेश में जब भी गतिरोध की स्थिति बनी तब कांग्रेस के प्रदेश के नेताओं के हाथ में कुछ भी नहीं रह गया। यही कारण था कि कई मजबूत सीटें भी कांग्रेस के हाथ से निकल गईं। ऐसी स्थिति में सीट बंटवारे के मामले में भाजपा मजबूती स्थिति में दिखी जबकि कांग्रेस पिछड़ गई है।