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Buldhana hair loss cases: ऐसा गेहूं जिससे लोग होने लगे गंजे! क्या था मामला, जानिए सब कुछ
Buldhana hair loss cases: दिसंबर 2024 से इस साल जनवरी के बीच बुलढाणा के 18 गांवों में 279 लोगों में अचानक बाल झड़ने या 'एक्यूट ऑनसेट एलोपेसिया टोटलिस' के मामले सामने आए। पीड़ित लोगों में कॉलेज के छात्र और युवा लड़कियां भी थीं।
Buldhana hair loss cases (photo: social media )
Buldhana hair loss cases: महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में कुछ ऐसा हुआ जो हैरान करने वाला है, चिंताजनक है और जागरूक भी करने वाला है। हुआ ये कि इस जिले में अचानक लोग गंजे होने लगे, लोगों में बाल झड़ने की रफ्तार बहुत तेज हो गई। इसकी काफी चर्चा भी रही। तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे।
मामला क्या था
हुआ ये कि दिसंबर 2024 से इस साल जनवरी के बीच बुलढाणा के 18 गांवों में 279 लोगों में अचानक बाल झड़ने या 'एक्यूट ऑनसेट एलोपेसिया टोटलिस' के मामले सामने आए। पीड़ित लोगों में कॉलेज के छात्र और युवा लड़कियां भी थीं। खासकर लड़कियों को इस स्थिति के कारण दुश्वारियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि बहुतों ने पढ़ाई छोड़ दी और कइयों तय विवाह तक टूट गए। कुछ लोगों ने शर्मिंदगी से बचने के लिए अपने सिर के बाल मुंडवा लिए। लोगों की चिंता देखते हुए अधिकारियों ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
अब हुआ खुलासा
अब इस हैरतअंगेज घटना का कुछ सूत्र पकड़ में आया है। एक चिकित्सा विशेषज्ञ की रिपोर्ट के अनुसार बाल झड़ने की वजह खास तरह के गेहूं की सप्लाई है। रिपोर्ट के अनुसार, लोकल राशन की दुकानों द्वारा सप्लाई किए जाने वाले पंजाब और हरियाणा के गेहूं में सेलेनियम नामक मिनरल की उच्च मात्रा होने के चलते लोगों की सेहत पर ये असर हुआ है।
सेलेनियम मिट्टी में पाया जाने वाला एक मिनरल है और यह प्राकृतिक रूप से पानी और कुछ खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। ये मिनरल हमारे मेटाबोलिज्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है लेकिन लोगों को बहुत कम मात्रा में सेलेनियम की जरूरत होती है।
क्या कहना है डॉक्टर का
रायगढ़ में बावस्कर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के एमडी डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने पीटीआई को बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने और नमूने एकत्र करने के बाद, यह पाया गया कि व्यक्तियों, मुख्य रूप से युवा महिलाओं में सिरदर्द, बुखार, सिर की त्वचा में खुजली, झुनझुनी और कुछ मामलों में उल्टी और दस्त जैसे लक्षण थे।
पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉक्टर बावस्कर ने कहा कि इस प्रकोप का मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा से आयातित गेहूं था, जिसमें स्थानीय रूप से पैदा गेहूं की तुलना में काफी अधिक सेलेनियम पाया गया।
उन्होंने कहा, "प्रभावित क्षेत्र से गेहूं के हमारे विश्लेषण से पता चला है कि इसमें स्थानीय रूप से उगाई जाने वाली किस्म की तुलना में 600 गुना अधिक सेलेनियम था। माना जाता है कि सेलेनियम का यह उच्च सेवन एलोपेसिया के मामलों का कारण है।
उन्होंने कहा कि यह स्थिति तेजी से फैली और इन गांवों में लक्षण शुरू होने के तीन से चार दिनों के भीतर लोगों में पूरी तरह गंजापन हो गया। उन्होंने कहा कि जांच में प्रभावित व्यक्तियों के रक्त, मूत्र और बालों में सेलेनियम के लेवल में क्रमशः 35 गुना, 60 गुना और 150 गुना वृद्धि देखी गई। इससे पता चलता है कि अत्यधिक सेलेनियम का सेवन गंजेपन के प्रकोप में सीधे योगदान है।
डॉक्टर बावस्कर ने कहा - हमारी टीम ने यह भी पाया कि प्रभावित व्यक्तियों में जिंक का स्तर काफी कम था, जो अतिरिक्त सेलेनियम के कारण होने वाले संभावित असंतुलन की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा कि गेहूं की जांच से पता चला कि सेलेनियम की मात्रा बाहरी मिलावट का परिणाम नहीं थी, बल्कि अनाज में ही घुली हुई थी। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा के गेहूं में सेलेनियम की काफी ज्यादा आर्गेनिक उपलब्धता पाई जाती है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की राशन दुकानों से लिए गए गेहूं के नमूनों में कोई महत्वपूर्ण कंटैमिनेशन नहीं पाया गया।
जिस क्षेत्र में यह प्रकोप हुआ, वह अपनी खारी, क्षारीय मिट्टी और बार-बार पड़ने वाले सूखे के लिए जाना जाता है। इसलिए यहां खेतीबाड़ी काफी कम है जिसके चलते बहुत से परिवार राशन की दुकानों से सरकारी सब्सिडी वाले गेहूं पर निर्भर हैं। बावस्कर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रभावित गांवों को सप्लाई किया गया गेहूं उच्च सेलेनियम वाले क्षेत्रों से प्राप्त किया गया था, जिससे इस संकट में योगदान मिला।
सख्त रेगुलेशन की जरूरत
डॉ बावस्कर ने कहा कि बुलढाणा का प्रकोप खाद्य पदार्थों के मजबूत रेगुलेशन की जरूरत को उजागर करता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां लोग सरकार द्वारा प्रदान किए गए राशन पर निर्भर हैं।
इस बीच, अधिकारियों द्वारा लोगों से सेलेनियम युक्त गेहूं का सेवन बंद करने के लिए कहने के बाद, कुछ लोगों ने 5-6 सप्ताह के भीतर आंशिक रूप से बाल उगने की सूचना दी है।