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Maharashtra Crisis: शिंदे-फडणवीस की मुलाकात से बढ़ा उद्धव खेमे पर दबाव, बड़ा खेल करने में जुटी भाजपा
Maharashtra Crisis: गुजरात में पर्दे के पीछे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे की गुपचुप मुलाकात की ।
Maharashtra Crisis: महाराष्ट्र में कई दिनों से जारी सियासी संकट के बीच उद्धव (Uddhav Thackeray) खेमे पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। उद्धव खेमे के लिए अब सरकार बचाने से ज्यादा बड़ी चिंता पार्टी को बचाने की पैदा हो गई है। बागी विधायकों को मनाने की सारी कोशिशें नाकाम होने के बाद उद्धव खेमा विधायकों को अयोग्य घोषित कराने की मुहिम में जुट गया है। इस पूरे प्रकरण में पर्दे के पीछे से भाजपा (BJP) भी काफी सक्रिय भूमिका निभा रही है।
गुजरात (Gujarat) में पर्दे के पीछे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) और शिवसेना (Shiv sena) के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की गुपचुप मुलाकात के बाद पार्टी नया गुल खिलाने की तैयारी में जुटी हुई है। इस पूरे प्रकरण में एक काबिलेगौर बात यह भी है कि भाजपा ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी है मगर पार्टी लगातार उद्धव खेमे की मुश्किलें बढ़ाने में जुटी हुई है। फडणवीस इस मामले में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व राज्य भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ लगातार मंथन करने में जुटे हुए हैं।
बागी गुट को मान्यता मिलना आसान नहीं
दरअसल महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनाव के बाद हुए अजित पवार प्रकरण को लेकर भाजपा इस बार काफी सतर्क भूमिका में दिख रही है। विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि झिरवाल की ओर से 16 बागी विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी किया जा चुका है। सियासी जानकारों का मानना है कि विधानसभा उपाध्यक्ष की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद भाजपा ताजा घटनाक्रम पर मंथन कर रही है। दरअसल पार्टी को बागी गुट को मान्यता मिलने का इंतजार है। विधानसभा उपाध्यक्ष के रुख से मान्यता मिलना आसान नहीं माना जा रहा है।
भाजपा शिवसेना विधायक दल और पार्टी संगठन में टूट का बेसब्री से इंतजार कर रही है ताकि उसके बाद महाराष्ट्र में बड़ा सियासी खेल खेला जा सके। बागी गुट की ओर से असली शिवसेना होने और शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे के रास्ते पर चलने का दावा तो किया जा रहा है मगर उद्धव खेमा लगातार इसका करारा जवाब देने की कोशिश में जुटा हुआ है। ऐसे में महाराष्ट्र का सियासी संकट लगातार उलझता जा रहा है।
पवार को भी सियासी हकीकत का एहसास
महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सहयोगी दल अब वेट एंड वॉच की भूमिका में दिखाई पड़ रहे हैं। शिवसेना में बगावत के बाद सरकार बचाने का दावा करने वाले एनसीपी मुखिया शरद पवार की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पवार को भी अब बागी विधायकों की ताकत का एहसास हो चुका है और वे भी अभी इस बात को महसूस करने लगे हैं कि उद्भव सरकार को बचाने के लिए विधायकों का जरूरी आंकड़ा जुटाना आसान काम नहीं है।
शिवसेना की ओर से शनिवार को पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई थी मगर इस बैठक में भी उम्मीद के मुताबिक के नेताओं के न पहुंचने के कारण शिवसेना का संकट और गहरा गया है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की ओर से पार्टी के हिंदुत्व के एजेंडे पर लौटने की बात तो कही गई है मगर ऐसी स्थिति में एनसीपी और कांग्रेस के साथ पार्टी का सामंजस्य नहीं बैठ पाएगा। ऐसे में महाविकास अघाड़ी गठबंधन के अस्तित्व पर भी सवाल खड़ा होने लगा है।
पर्दे के पीछे अमित शाह भी सक्रिय
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की बागी नेता एकनाथ शिंदे से बड़ोदरा में हुई मुलाकात की खबरें तो बाहर आई हैं मगर इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं में हुई सियासी चर्चा का ब्योरा अभी तक नहीं मिल सका है। हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर इस मुलाकात की पुष्टि भी नहीं हो सकी है। वैसे इतना जरूर है कि राज्य में भगवा सरकार के गठन की दिशा में पर्दे के पीछे जोरदार कोशिशें चल रही हैं।
भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह भी इस पूरे प्रकरण में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। फडणवीस-शिंदे की मुलाकात के दौरान शाह के भी बड़ोदरा में ही मौजूद होने का पता चला है।
इस बार जल्दबाजी में नहीं है भाजपा
भाजपा नेतृत्व इस मामले में तनिक भी जल्दबाजी में नहीं है और माना जा रहा है कि शिवसेना में पूरी तरह टूट होने के बाद ही पार्टी अपनी रणनीति का खुलासा करेगी। शिंदे गुट के पास 38 विधायकों का समर्थन है और यह गुट लगातार कांग्रेस-एनसीपी से शिवसेना का गठबंधन तोड़ने की मांग पर अड़ा हुआ है।
बागी गुट का कहना है कि हमने पार्टी नहीं छोड़ी है मगर इस गुट ने उद्धव ठाकरे की जगह शिंदे को शिवसेना विधायक दल का नेता बताया है। इस गुट की ओर से दो तिहाई विधायकों के समर्थन का दावा किया जा रहा है और अब सबकी निगाहें आज होने वाले सियासी घटनाक्रम पर लगी हुई हैं।anshuman