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महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद: सरकारों की बड़ी मांग, देश का नक्शा बदलने में जुटे
मुख्यमंत्री ठाकरे के बयान के बाद कर्नाटक की तरफ से भी नया दावा ठोका गया। राज्य के उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने अपने एक बयान में कहा कि मुंबई को कर्नाटक में शामिल किया जाना चाहिए और नहीं तो कम से कम उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाना चाहिए।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। इसे लेकर दोनों राज्यों की सरकार के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक उनके राज्य की सीमा से लगते कर्नाटक के मराठी भाषी बहुल इलाकों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए। ठाकरे के इस बयान का कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री ने पलटवार किया है।
कर्नाटक ने कहा मुंबई पर हमारा अधिकार
मुख्यमंत्री ठाकरे के बयान के बाद कर्नाटक की तरफ से भी नया दावा ठोका गया। राज्य के उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने अपने एक बयान में कहा कि मुंबई को कर्नाटक में शामिल किया जाना चाहिए और नहीं तो कम से कम उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुंबई कर्नाटक का हिस्सा है। कर्नाटक के मराठी भाषी लोग मुंबई को कर्नाटक में शामिल करने की इच्छा रखते हैं। मुंबई पर हमारा अधिकार है।
उद्धव ठाकरे ने की कर्नाटक सरकार की आलोचना
लक्ष्मण सावदी का ये बयान उद्धव ठाकरे के बयान के बाद आया है। दरअसल, दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पर लिखी पुस्तक विमोचन के मौके पर ठाकरे ने कर्नाटक सरकार की मराठी भाषी आबादी पर कथित अत्याचार को लेकर आलोचना की और कहा कि इन इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करने के मामले में जीतने के लिए लड़ने की जरूरत है। इस दौरान ठाकरे ने कहा था कि कोर्ट में मामला होने के बाद भी कर्नाटक सरकार ने जानबूझकर विवादित बेलगाम क्षेत्र का नाम बदल दिया।
कर्नाटक ने बेलगाम का नाम बदलकर उसे अपनी दूसरी राजधानी घोषित कर दी, जो कि कोर्ट की अवमानना है। उन्होंने कहा कि मराठी भाषियों पर हो रहे अत्याचारों के मद्देनजर हमारी सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपील करेगी कि जब तक मामला कोर्ट में है तब तक वह इस हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करे। अब कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री ने इस बयान का जवाब दिया है और कहा है कि मुंबई को कर्नाटक में शामिल किया जाना चाहिए। मुंबई पर हमारा अधिकार है।
(फोटो- सोशल मीडिया)
क्या है दोनों राज्यों के बीच विवाद की वजह?
आपको बता दें कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बेलगाम को लेकर विवाद चल रहा है। यह शहर कर्नाटक में है, लेकिन महाराष्ट्र काफी समय से इस पर अपना हक जताता आया है। महाराष्ट्र ना केवल बेलगाम बल्कि करवार और निप्पनी समेत कर्नाटक के कई हिस्सों पर भाषा के आधार पर अपना दावा जताता है। दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद का यह मामला कई सालों से सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है।
ये सीमा विवाद आजादी से भी पहले का है। दरअसल, देश आजाद होने से पहले महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य नहीं थे। उस दौरान बॉम्बे प्रेसीडेंसी और मैसूर स्टेट हुआ करते थे। कर्नाटक के अभी के कई हिस्से उस वक्त बॉम्बे प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आया करते थे। आजादी के बाद जब राज्यों का बंटवारा हुआ और साल 1956 में भा राज्य पुनर्गठन कानून लागू हुआ तो बेलगाम को मैसूर स्टेट का हिस्सा बना दिया गया। इसी के बाद इस विवाद में तेजी आई।
बेलगाम पर हक जताया है महाराष्ट्र
साल 1973 में मैसूर स्टेट का नाम बदल दिया गया और कर्नाटक रख दिया गया। लेकिन महाराष्ट्र भाषा के आधार पर कर्नाटक के इस हिस्से पर अपना हक जताता है। दरअसल, बेलगाम में मराठी बोलने वालों की संख्या काफी ज्यादा है, ऐसे में महाराष्ट्र इसे अपना हिस्सा बनाने की मांग करता आया है। यह मांग राज्य पुनर्गठन के समय से ही हो रही है।
अब 2019 में उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस मुद्दे ने फिर से तूल पकड़ लिया है। महाराष्ट्र एकीकरण समिति के नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से इस मुद्दे पर ध्यान देने की मांग की और दो सदस्यों की एक समिति बना दी।
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