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Maharashtra Politics: फडणवीस की पवार से नजदीकी मगर शिंदे से दूरी, कैबिनेट विस्तार से भी निकला बड़ा संदेश
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार हो गया है। सभी मंत्रियों शपथ दिला दी गई है।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति की बड़ी जीत के बाद नए मुख्यमंत्री के फैसले और फिर कैबिनेट विस्तार में भी काफी मशक्कत करनी पड़ी है। मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर काफी दिनों तक ऊहापोह की स्थिति बनी रही और जब मुख्यमंत्री के पद पर देवेंद्र फडणवीस की ताजपोशी हुई तो फिर मंत्रालय को लेकर खींचतान की खबरें आने लगी।
राज्य में डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने वाले शिंदे की ओर से गृह मंत्रालय की मांग की जा रही थी मगर भाजपा उस मांग को पूरा करने के लिए तैयार नहीं दिखी। मुख्यमंत्री का पद हाथ से निकलने के बाद से ही शिंदे की बॉडी लैंग्वेज के सियासी मायने निकाले जाने लगे थे। रविवार को मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान भी फडणवीस और शिंदे के बीच दूरी दिखी जबकि दूसरे डिप्टी सीएम अजित पवार और फडणवीस के बीच अच्छी ट्यूनिंग दिखी।
शपथ ग्रहण समारोह की सियासी गलियारों में चर्चा
नागपुर में रविवार को करीब 33 साल बाद कैबिनेट विस्तार का कार्यक्रम आयोजित किया गया। भाजपा, शिवसेना के शिंदे गुट और एनसीपी के अजित पवार गुट से जुड़े तीन दर्जन से अधिक विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह की तस्वीर भी बहुत कुछ कहती हुई दिखी।
दरअसल मंच पर राज्यपाल के एक ओर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार के साथ बैठे हुए थे जबकि दूसरे डिप्टी सीएम शिंदे राज्यपाल के दूसरी ओर फडणवीस से काफी दूर बैठे हुए थे। इस नजारे को देखकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं होती रहीं। शिंदे का भाव भी कुछ अलग ही संकेत दे रहा था। मुख्यमंत्री फडणवीस और डिप्टी सीएम शिंदे के बीच रिश्तों को लेकर भी तमाम सवाल उठाए जाने लगे। हालांकि दोनों नेताओं की ओर से अभी तक इस तरह का कोई बयान नहीं दिया गया है।
भाजपा ने नहीं पूरी की शिंदे की आस
सियासी जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र में महायुति की बड़ी जीत के बाद शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की आस लगा रखी थी मगर 132 सीटों पर भाजपा की जीत के बाद पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस बार शिंदे को मुख्यमंत्री पद देने के लिए राजी नहीं था। कई दिनों की खींचतान के बाद शिंदे ने बयान दिया था कि वे मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल नहीं है। हालांकि इसे उनका मजबूरी में दिया गया बयान माना गया था।
मुख्यमंत्री पद हाथ से निकलने के बाद शिंदे ने गृह मंत्रालय की आस पाल रखी थी मगर भाजपा नेतृत्व उनकी यह आस भी पूरी करने के लिए तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का करना है कि दो दिनों में विभागों का बंटवारा किया जाएगा मगर यह बात तय मानी जा रही है कि फडणवीस गृह मंत्रालय अपने पास ही रखेंगे। भाजपा का यह कदम भी शिंदे के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
अजित के साथ फडणवीस की अच्छी ट्यूनिंग
एक ओर फडणवीस की शिंदे के साथ खींचतान की स्थिति दिख रही है तो दूसरी ओर डिप्टी सीएम अजित पवार के साथ उनकी अच्छी ट्यूनिंग दिख रही है। अजित पवार के साथ फडणवीस एक बार पूर्व में भी मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। हालांकि उस समय तीन दिन बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
इस बार महायुति की जीत के बाद ही पवार ने स्पष्ट कर दिया था कि वे मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की बात भी पहले ही कह डाली थी। पवार ने भाजपा नेतृत्व के साथ बातचीत के दौरान भी फडणवीस को ही राज्य का मुख्यमंत्री बनाने की मजबूत वकालत की थी। पवार शुरुआत से ही फडणवीस के समर्थन में थे और उन्होंने आखिर तक अपना यही रवैया बरकरार रखा।
दूसरी ओर शिंदे के साथ फडणवीस के रिश्तों में मुख्यमंत्री पद को लेकर ही खींचतान शुरू हो गई। अब गृह मंत्रालय की मांग पूरी न किए जाने के बाद यह खींचतान और बढ़ती हुई दिख रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की सियासत में आने वाले दिनों में बड़ी उठापटक दिख सकती है।