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Maharashtra Election: महाराष्ट्र की सियासत का दिलचस्प है इतिहास, मुंबई फतह करने वाले को ही मिलती है राज्य की सत्ता
Maharashtra Election: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुंबई की 36 विधानसभा सीटों को काफी अहम माना जा रहा है।
Maharashtra Election: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुंबई की 36 विधानसभा सीटों को काफी अहम माना जा रहा है। इन विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए सत्तारूढ़ महायुति और महाविकास अघाड़ी गठबंधन दोनों ने पूरी ताकत लगाई है।
महाराष्ट्र में चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दलों को मुंबई की सीटों की अहमियत पता है। मुंबई की अधिक से अधिक सीटों को जीतने का प्रयास अनायास नहीं है। दरअसल लंबे समय से महाराष्ट्र का राजनीतिक इतिहास काफी दिलचस्प रहा है और मुंबई की सीटों पर जीत हासिल करने वाला ही महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होता रहा है।
मुंबई जीतने वाला ही सत्ता पर काबिज
महाराष्ट्र में करीब 46 वर्षों से यह सिलसिला चल रहा है कि मुंबई में अपनी ताकत दिखाने वाला महाराष्ट्र की सत्ता पाने में कामयाब रहता है। महाराष्ट्र में 1978 से ही ऐसा ट्रेंड दिखता रहा है। 1978 में जनता पार्टी के सबसे ज्यादा विधायक चुन कर आए थे और उसके बाद उसी गठबंधन की सरकार बनी थी। 1980 से 1985 तक मुंबई में कांग्रेस अपनी ताकत दिखाने की में कामयाब रही और महाराष्ट्र की सत्ता पर भी कांग्रेस का ही जादू दिखा।
महाराष्ट्र में 90 के दशक के दौरान भाजपा और शिवसेना के गठबंधन ने मुंबई में कांग्रेस की सत्ता को चुनौती देनी शुरू कर दी। 1995 के चुनाव के दौरान भाजपा और शिवसेना ने मुंबई की अधिकांश सीटों पर कब्जा कर लिया और इसी के साथ यह गठबंधन महाराष्ट्र की सत्ता पर भी काबिज हो गया। 1999 में भी शिवसेना और भाजपा ने मुंबई में ताकत दिखाने के साथ ही महाराष्ट्र में भी अपनी ताकत दिखाई।
पिछले चुनाव में भी दिखा था यही नजारा
2004 और 2009 के चुनाव के दौरान कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन भारी पड़ा। इस दौरान मुंबई में कांग्रेस अपनी ताकत दिखाने में कामयाब रही। 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने महाराष्ट्र में अपने दम पर चुनाव लड़ा। पार्टी ने मुंबई की अधिकांश सीटों पर ताकत दिखाने के साथ ही महाराष्ट्र की सत्ता पर कब्जा कर लिया।
2019 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में भाजपा और अविभाजित शिवसेना के बीच गठबंधन था। मुंबई में सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद यह गठबंधन ही महाराष्ट्र में सत्ता का पहला हकदार था। हालांकि बाद में मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों के बीच मतभेद पैदा हो गए और उनकी सियासी रहे अलग हो गई। बाद में शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से अपनी सरकार बना ली। हालांकि शिवसेना में हुई बगावत के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और भाजपा के समर्थन से शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद हासिल करने में कामयाब रहे।
मुंबई की सीटों पर इस बार घमासान
महाराष्ट्र में इस बार के विधानसभा चुनाव में भी मुंबई की 36 विधानसभा सीटों के लिए जबर्दस्त घमासान दिख रहा है। इन सीटों पर उद्धव गुट और कांग्रेस की ओर से भाजपा, शिंदे सेना और अजित पवार की एनसीपी को कड़ी चुनौती मिल रही है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे ने भी कई सीटों पर अपने मजबूत प्रत्याशी उतार कर दूसरे राजनीतिक दलों के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं।
मुंबई में ही उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे, मिलिंद देवड़ा, राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे, बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी, नवाब मलिक और उनकी बेटी सना मलिक जैसे सियासी दिग्गजों की किस्मत का फैसला होना है। इन सीटों पर इतना कांटे का मुकाबला हो रहा है कि सियासी जानकार भी चुनाव नतीजे को लेकर ऊहापोह की स्थिति में फंसे हुए हैं।