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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता को लेकर एमवीए में घमासान, शिवसेना के फैसले पर कांग्रेस ने जताई नाराजगी

Maharashtra Politics: शिवसेना में बगावत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता के रूप में अंबादास दानवे की नियुक्ति को लेकर एमवीए में विवाद पैदा हो गया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 12 Aug 2022 11:59 AM IST
Maharashtra Politics News
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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (फोटों न्यूज नेटवर्क)

Maharashtra Politics News: शिवसेना में बगावत के बाद मुश्किल में फंसे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अब महाविकास अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) में भी घिर गए हैं। महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता के रूप में अंबादास दानवे की नियुक्ति को लेकर एमवीए में विवाद पैदा हो गया है। कांग्रेस ने उद्धव के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए गहरी नाराजगी जताई है। पार्टी का कहना है कि सहयोगियों से विचार-विमर्श किए बिना उद्धव ने यह कदम उठाया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का भी कहना है कि उद्धव को कोई भी फैसला लेने से पहले गठबंधन के साथियों से चर्चा करनी चाहिए।

शिवसेना में हुई बड़ी बगावत के बाद मौजूदा समय में उद्धव अपनी पार्टी का अस्तित्व बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में सहयोगी दलों की नाराजगी से उद्धव की मुसीबतें और बढ़ गई हैं।

पटोले ने जताई दावेदारी

महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने दानवे की नियुक्ति पर गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि विधान परिषद में विपक्ष के नेता के पद पर कांग्रेस की दावेदारी बनती है। विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद शिवसेना के पास है जबकि विपक्ष के नेता का पद एनसीपी के पास है। ऐसे में विधान परिषद में विपक्ष के नेता का पद कांग्रेस को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिवसेना ने इस बाबत फैसला लेने से पहले कांग्रेस के साथ कोई चर्चा नहीं की और दानवे की नियुक्ति का ऐलान कर दिया गया।

गठबंधन पर उठाए सवाल

पटोले ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए शिवसेना के साथ गठबंधन पर ही सवाल उठा दिए। उन्होंने कहा कि शिवसेना के साथ कांग्रेस का गठबंधन कभी भी प्राकृतिक नहीं था। शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे और एनसीपी के नेता शरद पवार की ओर से इस बाबत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अनुरोध किए जाने के बाद ही यह गठबंधन आकार ले सका था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन स्थायी नहीं है। अगर इसी तरह का कांग्रेस की अनदेखी की गई तो हमें निश्चित रूप से इस गठबंधन के बारे में सोचना होगा।

विधान परिषद का यह गणित

वैसे यदि विधान परिषद के आंकड़े को देखा जाए तो मौजूदा समय में महाराष्ट्र विधान परिषद में शिवसेना के 12 सदस्य हैं जबकि कांग्रेस और एनसीपी के 10-10 सदस्य हैं। उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद छोड़ते समय विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा देने की घोषणा तो जरूर की थी मगर अभी तक उन्होंने आधिकारिक रूप से परिषद से इस्तीफा नहीं दिया है। वैसे विधान परिषद में शिवसेना के तीन सदस्यों ने शिंदे गुट के प्रति समर्थन जताया है और ये सदस्य जल्द ही शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं।

ऐसे में शिवसेना की सदस्य संख्या कांग्रेस और एनसीपी से कम हो जाएगी। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हाल में विधान परिषद के सभापति को पत्र लिखा था और इसमें विपक्ष के नेता के तौर पर दानवे के नाम की सिफारिश की गई थी। डिप्टी चेयरमैन नीलम गोरहे ने उद्धव के इस मांग को स्वीकार कर लिया था और 9 अगस्त को दानवे की इस पद पर नियुक्ति हो गई थी। अब इस नियुक्ति को लेकर गठबंधन में शामिल दलों के बीच सियासी घमासान छिड़ गया है।

शिवसेना ने दिया कांग्रेस को जवाब

एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में शिवसेना के सांसद विनायक राउत ने नाना पटोले के बयान को गंभीरता से न लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि पटोले ने यह बयान तो दे दिया है मगर उन्हें एक छोटी सी बात नहीं समझ में आ रही है। विधान परिषद में जिस दल के सदस्यों की संख्या ज्यादा होगी, उस दल को ही अपने एमएलसी को विपक्ष के नेता बनाने का मौका मिलेगा। विधान परिषद में शिवसेना के सदस्यों की संख्या ज्यादा है और इसलिए शिवसेना का सदस्य ही विपक्ष का नेता बनेगा।

शिवसेना के एक और नेता ने पटोले के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने कहा कि पटोले ने शिवसेना के जख्म पर नमक छिड़कने का काम किया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे पार्टी का अस्तित्व बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं और ऐसे माहौल में कांग्रेस शिवसेना को कमजोर बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। इस मुद्दे को लेकर छिड़े सियासी घमासान का असर आने वाले दिनों में दिख सकता है।



Prashant Dixit

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