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Maharashtra Crisis: उद्धव से विधायक ही नहीं पार्टी के कई सांसद भी नाराज, शिवसेना का संकट गहराया
Maharashtra Crisis: मुख्यमंत्री ठाकरे भी सीएम के सरकारी आवास वर्षा को छोड़कर अपने पुश्तैनी घर मातोश्री चले गए हैं। बागी नेता शिंदे अपने साथ 46 विधायकों के होने का दावा कर रहा है।
Maharashtra Crisis: महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना (Shiv Sena) में हुई बगावत के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गहरे संकट में फंसे दिखाई दे रहे हैं। शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बगावत का झंडा उठाने वाले विधायक किसी भी सूरत में झुकने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि समझौते की गुंजाइश खत्म होती दिख रही है। मुख्यमंत्री ठाकरे भी सीएम के सरकारी आवास वर्षा को छोड़कर अपने पुश्तैनी घर मातोश्री चले गए हैं। बागी नेता शिंदे अपने साथ 46 विधायकों के होने का दावा कर रहा है।
शिवसेना में पैदा हुआ यह संकट सिर्फ विधायकों को लेकर ही नहीं है। उद्धव की कार्यशैली को लेकर विधायकों के साथ पार्टी के सांसदों में भी नाराजगी दिख रही है। पार्टी के 19 में से करीब 9 सांसद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से नाराज बताए जा रहे हैं। महिला सांसद भावना गवली तो खुलकर सामने आ गई हैं। उन्होंने तो बाकायदा शिंदे के समर्थन में पार्टी नेतृत्व को चिट्ठी तक लिख डाली है।
राउत बोले-इस्तीफा नहीं देंगे उद्धव
शिवसेना के सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र में पैदा हुआ सियासी संकट अब जिस मोड़ पर पहुंच चुका है, वहां आर-पार का फैसला होना तय माना जा रहा है। महाराष्ट्र की सियासत के लिए आज का दिन काफी अहम माना जा रहा है। कल दिनभर चली सियासी उठापटक के बाद देर शाम ठाकरे ने सीएम आवास छोड़ने का फैसला किया।
इससे साफ हो गया है कि ठाकरे अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। हालांकि उद्धव के करीबी सांसद संजय राउत का कहना है कि ठाकरे इस्तीफा नहीं देंगे और जरूरत पड़ने पर सदन में अपना बहुमत सिद्ध कर देंगे।
पवार भी संकट सुलझाने में फेल
अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हैं कि वे कैबिनेट की बैठक बुलाकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश करते हैं या सदन में बागियों से दो-दो हाथ करने की रणनीति अपनाते हैं। हालांकि अब इस पूरे प्रकरण में राज्यपाल की भूमिका भी अहम हो गई है।
सियासी संकट सुलझाने के मास्टर माने जाने वाले शरद पवार भी मौजूदा सियासी हालात में फेल होते नजर आ रहे हैं। पवार ने कल ठाकरे के साथ लंबी बैठक की थी मगर इस बैठक में भी महाराष्ट्र के सियासी संकट को टालने का कोई फार्मूला नहीं निकल सका।
बागियों के समर्थन में सांसद की चिट्ठी
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए मुसीबत बढ़ाने वाली बात यह है कि उनसे न केवल विधायक बल्कि पार्टी के सांसद भी नाराज बताए जा रहे हैं। शिवसेना के 19 में से 9 सांसदों के नाराज होने की बात सामने आई है। हालांकि इनमें से एक कई सांसद अभी खुलकर अपनी बात नहीं कह रहे हैं और सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं। जानकारों के मुताबिक शिंदे गुट का प्रभुत्व स्थापित होने के बाद ये सांसद भी खुलकर सामने आ सकते हैं।
वैसे वाशिम की शिवसेना सांसद भावना गवली तो बागी विधायकों के समर्थन में खुलकर सामने आ गई हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बागी नेता एकनाथ शिंदे के समर्थन में चिट्ठी तक लिख डाली है। उनका कहना है कि बागी विधायकों की मांग पर विचार किया जाना चाहिए और बगावत करने वाले विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
हिंदुत्व के रास्ते पर चलने की मांग
उद्धव ठाकरे के खिलाफ बागी तेवर दिखाने वाले नेता शिंदे की मांग है कि शिवसेना को बाला साहब ठाकरे के हिंदुत्व के रास्ते नहीं छोड़ना चाहिए। वे महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस को छोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन करने की मांग पर अड़े हुए हैं। पार्टी सांसद भावना गवली ने भी शिंदे की इस मांग का समर्थन किया है। उन्होंने भी मांग की है कि पार्टी को हिंदुत्व के रास्ते पर चलते हुए बागी नेता की इस मांग को पूरा करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।
दूसरी ओर उद्धव समर्थकों का गुट गवली के इस पत्र के पीछे दूसरा कारण बता रहा है। उद्धव समर्थक नेताओं का कहना है कि गवली मनी लांड्रिंग के मामले में फंसी हुई हैं। उन्हें जांच एजेंसियों के निशाने पर आने का डर सता रहा है और इसी कारण वे भाजपा से गठबंधन की वकालत कर रही हैं। उन्हें लग रहा है कि भाजपा से गठबंधन होने की स्थिति में वे जांच एजेंसियों के निशाने पर आने से बच सकती हैं।
आखिर क्यों नाराज हैं पार्टी के सांसद
जानकार सूत्रों का कहना है कि उद्धव से नाराज अधिकांश सांसद उत्तरी महाराष्ट्र,मराठवाड़ा और कोकण इलाके के हैं। बागी नेता एकनाथ शिंदे के बेटे और थाने से सांसद श्रीकांत शिंदे ने तो शुरुआत से ही विरोध का झंडा बुलंद कर रखा है। पार्टी के कुछ और सांसद अपने क्षेत्रों में विकास का काम न होने और शिवसेना की घटती ताकत को लेकर नाराज बताए जा रहे हैं।
उनका मानना है कि एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन करने के बाद शिवसेना अपने मूल रास्ते से ही भटक गई है। ऐसी स्थिति में पार्टी को आगे चलकर सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है। उद्धव से नाराज सांसद वेट एंड वॉच की स्थिति में दिख रहे हैं। पार्टी पर यदि शिंदे गुट का प्रभुत्व स्थापित हुआ तो ये सांसद उद्धव का साथ छोड़कर शिंदे गुट के साथ खड़े हो सकते हैं। हालांकि इन सांसदों को दलबदल विरोधी कानून का डर भी सता रहा है और माना जा रहा है कि उद्धव का साथ छोड़ने के बावजूद ये सांसद शिवसेना से अलग नहीं होंगे।