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महर्षि महेश योगी: भक्तों को योग के जरिए सिखाया उड़ना, दुनियाभर में थे फॉलोअर्स
यही नहीं महर्षि योगी की एक बात ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। दरअसल, उन्होंने दावा किया था कि वो अपने भावातीत ध्यान के माध्यम से भक्तों को उड़ना सिखा सकते हैं।
नई दिल्ली: ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (भावातीत ध्यान) की शुरुआत करने वाले महर्षि महेश योगी (Maharishi Mahesh Yogi) की आज (5 फरवरी) को पुण्यतिथि (Death Anniversary) है। आज ही के दिन साल 2008 में उन्होंने 91 साल की उम्र में नीदरलैंड्स स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली थी। दुनियाभर में योग और ध्यान यानी मेडिटेशन को फैलाने का श्रेय महर्षि महेश योगी को ही जाता है।
जानें महर्षि योगी के बारे में
छत्तीसगढ़ के पांडुका गांव में जन्में महर्षि योगी का असली नाम महेश प्रसाद वर्मा (Mahesh Prasad Varma) था। इन्हें ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती ने बाल ब्रह्मचारी की उपाधि देकर महर्षि महेश योगी नाम दिया। स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से ही महर्षि योगी ने 13 साल तक सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त की थी। बता दें महर्षि योगी की शुरू से ही योग और मेडिटेशन की ओर रुचि थी। इसके लिए उन्होंने शिक्षा भी ली थी।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
दुनियाभर में बनाए फॉलोअर्स
देश ही नहीं बल्कि विदेशों की भी बड़ी बड़ी हस्तियां उन्हें अपना गुरु मानती हैं। ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन के जरिए महर्षि योगी ने दुनियाभर में अपने फॉलोअर्स बनाए थे। महर्षि योगी के ऋषिकेश आश्रम में देश-विदेश के लोग आकर रहा करते थे। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह आश्रम खूबसूरत होने के साथ अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस था। हालांकि अब ये जंगल में बदल चुका है।
बताया था पश्चिमी देशों में क्यों हैं ज्यादा अनुयायी
विदेशों में हिप्पी संस्कृति के बीच महर्षियोगी ने अपने योग और मेडिटेशन के अनोके तरीके से लोगों के बीच एक खास जगह बनाई। वहीं विदेशों में अपने ज्यादा अनुयायी होने पर योगी का कहना था कि पश्चिमी देशों के लोग किसी भी चीज के पीछे साइंटिफिक रिजन देखते हैं तो उसे तुरंत अपना लेते हैं। मेरा ट्रांसेंडेंटल मेडिटेसन योग के सिद्धांतो पर कायम रहते हुए पूरी तरह वैज्ञानिक है।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
योग के जरिए सिखाया उड़ना
यही नहीं महर्षि योगी की एक बात ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। दरअसल, उन्होंने दावा किया था कि वो अपने भावातीत ध्यान के माध्यम से भक्तों को उड़ना सिखा सकते हैं। उनके भक्त फुदकते हुए उड़ने की कोशिश किया करते थे और इसे फ्लाइंग योगा कहा जाता था। इसे योगी ने ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन सिद्धी प्रोग्राम का नाम दिया था। उनका कहना था कि यह थिअरी रिसर्च के बाद विकसित की गई है। हालांकि कई लोगों ने बाद में आरोप लगाया था कि महर्षि ने उन्हें उड़ने के दावे से मूर्ख बनाया है।
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