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गोडसे ने ही ली थी महात्मा गांधी की जान, चौथी बुलेट थ्योरी के सबूत नहीं
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राष्ट्रपिता की हत्या में चौथी बुलेट दागने वाले रहस्यमय व्यक्ति की भूमिका की जांच अब दोबारा नहीं होगी। नियुक्ति वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेन्द्र शरण ने महात्मा गांधी हत्याकांड के दस्तावेज का परीक्षण करने के बाद पाया है कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि उनकी हत्या नाथूराम गोंडसे के अलावा किसी और व्यक्ति द्वारा की गई।
अधिवक्ता शरण ने कहा, कि अभिनव भारत के स्वयंभू संस्थापक और वीर सावरकर के समर्थक पंकज फडनिस की गढ़ी चौथी बुलेट की कहानी कहीं से प्रमाणित नहीं होती है। फडनिस का दावा था कि महात्मा गांधी पर चार गोलियां चलाई गई थीं, जिसमें एक रहस्यमय व्यक्ति द्वारा दागी गई चौथी बुलेट ने उनकी जान ली।
आरोप निरर्थक व आधारहीन
शरण को जांच में अधिवक्ता संचित गुरु और समर्थ खन्ना ने सहयोग किया। करीब चार पृष्ठों के ट्रायल कोर्ट के रिकार्ड और 1969 में जीवन लाला कपूर जांच आयोग की रिपोर्ट के परीक्षण के बाद न्यायालय को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हत्याकांड में कुछ विदेशी एजेंसियों के शामिल होने के आरोप निरर्थक व आधारहीन हैं। उनका साक्ष्य के रूप में कोई आधार नहीं है।
कोर्ट को तय करना है मामला चले की नहीं
शरण द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर तैयार की गई इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट से कोर्ट को यह तय करना है कि क्या इस मामले में नये सिरे से जांच कराने की जरूरत है अथवा नहीं। कोर्ट ने इस परीक्षण का आदेश फडनिस की इस याचिका पर दिया था कि महात्मा गांधी की हत्या गोंडसे की गोली से नहीं हुई थी और मामले की नए सिरे से जांच कराई जाए।
याचिका में ये कहा गया था
याचिका में कहा गया था, कि महात्मा गांधी की हत्या का इस मराठी व्यक्ति पर आरोप का कानून और तथ्यों में कोई आधार नहीं है। याचिका में महात्मा गांधी की हत्या के षडयंत्र के खुलासे के लिए नए सिरे से जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि दुनिया भर के तमाम अखबारों में लिखा गया था कि महात्मा गांधी पर चार गोलियां दागी गई थीं और चौथी गोली का रहस्य बना हुआ है।
शरण की रिपोर्ट में दलील ख़ारिज
याचिका में उठाई गई बातों को खारिज करते हुए शरण ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वह गोलियां जो महात्मा गांधी के शरीर से मिलीं, वह पिस्तौल जिससे यह गोलियां दागी गईं और हमलावर जिसने यह गोलियां दागीं तथा वह विचारधारा जो कि हत्या का कारण बनी इन सभी की ठीक प्रकार से शिनाख्त हो चुकी है। कोई ऐसी सामग्री प्रकाश में नहीं आई है जिससे महात्मा गांधी की हत्या के मामले को दोबारा से खोलने या पुनः जांच करने की जरूरत हो।