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Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में बदल गया नजारा, लोकसभा चुनाव में लगा था झटका मगर इस बार महायुति की सुनामी
Maharashtra Election 2024: लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में पूरी तरह बदलाव हुआ है।
Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे से साफ है कि लोकसभा चुनाव के बाद राज्य के सियासी हालात पूरी तरह बदल गए हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ महायुति की सुनामी दिखी है। महायुति ने अपनी ताकत दिखाते हुए महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) को काफी पीछे धकेल दिया है। लोकसभा चुनाव के नतीजे से महाविकास अघाड़ी गठबंधन इस बार काफी उत्साहित नजर आ रहा था मगर विधानसभा के चुनाव परिणाम ने गठबंधन के नेताओं को पूरी तरह निराश कर दिया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से तीस सीटों पर इंडिया गठबंधन की जीत हुई थी जबकि एनडीए के खाते में सिर्फ 17 सीटें आई थीं। सांगली लोकसभा क्षेत्र में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल करने वाले विशाल पाटिल भी बाद में कांग्रेस के पक्ष में आ गए थे। इस बड़ी कामयाबी के बाद एमवीए को इस बार विधानसभा चुनाव से काफी उम्मीदें थी मगर महाराष्ट्र के मतदाताओं ने गठबंधन को करारा झटका दिया है।
कड़ा मुकाबला नहीं, महायुति की सुनामी
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के नतीजे में सत्तारूढ़ महायुति की सुनामी दिख रही है। चुनाव से पहले महायुति और एमवीए के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा था मगर चुनाव के नतीजे के रुझान के मुताबिक महायुति ने 221 सीटों पर बढ़त बना रखी है जबकि एमवीए 55 सीटों पर सिमट रहा है। इस नतीजे से यह पता चलता है कि न केवल भाजपा बल्कि उसके दोनों सहयोगी दलों शिवसेना के शिंदे गुट और एनसीपी के अजित पवार गुट को मतदाताओं का भारी समर्थन हासिल हुआ है।
मतदाताओं ने शिवसेना (यूबीटी) के मुखिया उद्धव ठाकरे और एनसीपी नेता शरद पवार के मुकाबले एकनाथ शिंदे और अजित पवार को ज्यादा समर्थन दिया है। बारामती विधानसभा क्षेत्र में शरद पवार की ओर से पूरा जोर लगाए जाने के बावजूद अजित पवार अपनी ताकत दिखने में कामयाब हुए हैं।
लोकसभा चुनाव में MVA ने दिया था बड़ा झटका
लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में कांग्रेस की अगुवाई में एमवीए के तीनों दलों को बड़ी कामयाबी मिली थी। यदि महाराष्ट्र के नतीजे को विभिन्न दलों की ताकत के नजरिए से देखा जाए तो सबसे ज्यादा तेरह लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) ने नौ और शरद पवार की एनसीपी ने आठ सीटों पर जीत हासिल की थी।
दूसरी ओर यदि बात एनडीए की की जाए तो भाजपा लोकसभा चुनाव के दौरान सिर्फ नौ सीटों पर सिमट गई थी। एकनाथ शिंदे की शिवसेना को सात और अजित पवार की एनसीपी को एक सीट पर कामयाबी मिली थी। पवार फैमिली का गढ़ माने जाने वाले बारामती में अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को हार का सामना करना पड़ा था जबकि शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने जीत हासिल की थी। बारामती में भी इस बार नजारा बदल गया है और अजित पवार ने बड़ी बढ़त बना ली है। चुनाव नतीजे से साबित होता है कि लोकसभा चुनाव के बाद महायुद्ध के नेताओं की ओर से की गई मेहनत ने काफी रंग दिखाया है। इसी का नतीजा है कि महाराष्ट्र के हर इलाके में महायुद्ध को मतदाताओं का भारी समर्थन और आशीर्वाद मिला है।
इस बार फेल हो गया MVA का फॉर्मूला
लोकसभा चुनाव के दौरान महाविकास अघाड़ी गठबंधन मराठा, दलित, मुस्लिम की सोशल इंजीनियरिंग में कामयाब दिखा था। संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर छिड़ी चर्चा ने विपक्ष को बड़ा फायदा पहुंचाया। विपक्षी दलों ने अपनी चुनावी सभाओं में लगातार इस मुद्दे को गरमाए रखा था जिसका बड़ा फायदा भी मिला था।
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव से पहले मराठा आरक्षण को लेकर जबर्दस्त आंदोलन चला था और इसका सीधा फायदा महाविकास अघाड़ी गठबंधन को हुआ। मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जारंग ने कई दिनों तक अनशन किया था और उनका रुख एनडीए के पूरी तरह खिलाफ दिखा।
वैसे इस बार के विधानसभा चुनाव के दौरान महाविकास अघाड़ी गठबंधन सोशल इंजीनियरिंग में पूरी तरह फेल साबित हुआ है। ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारों के दम पर भाजपा ने आक्रामक हिंदुत्व की बिसात बिछाई। महाविकास अघाड़ी गठबंधन इसका जवाब देने में पूरी तरह फेल साबित हुआ। मराठा आरक्षण आंदोलन का भी असर नहीं दिखा। मनोज जारंग पाटिल ने पहले विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया था मगर बाद में उन्होंने चुनाव से दूरी बना ली। मराठवाड़ा में भी भाजपा की अगुवाई में सत्तारूढ़ महायुति ने बड़ी जीत हासिल करते हुए एमवीए को बैकफुट पर धकेल दिया है।