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Mahua Moitra : लोकसभा से निष्कासित किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महुआ मोइत्रा
Mahua Moitra: टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने लोकसभा से निष्कासित किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
Mahua Moitra. टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने लोकसभा से निष्कासित किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बीते गुरूवार को लोकसभा में कैश फॉर क्वेरी मामले की जांच करने वाली एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसके बाद बंगाल की कृष्णानगर सीट से लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित कर दिया गया था। महुआ पर कारोबारी से पैसे और गिफ्ट लेकर संसद में सवाल पूछने के गंभीर आरोप हैं।
एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा पर लगे आरोपों को सही पाया था और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए संसद से निष्कासित करने की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट पर चर्चा के बाद यह ध्वनिमत से पारित हो गई थी। स्पीकर ओम बिरला ने कहा था, यह सदन समिति के निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अनैतिक और अशोभनीय था। इसलिए उनका संसद में बने रहना उचित नहीं है।
महुआ ने फैसले पर क्या कहा था ?
महुआ मोइत्रा ने इस फैसले को लेकर बीजेपी पर जोरदार हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि मैं 49 साल की हूं। मैं अगले 30 सालों तक आपसे संसद के अंदर और बाहर हर जगह लड़ूंगी। ये आपके अंत की शुरूआत है। महुआ को इस मसले पर अन्य विपक्षी पार्टियों का भी भरपूर साथ मिला। सोनिया गांधी समेत तमाम बड़े चेहरों ने संसद परिसर में उनके समर्थन में प्रदर्शन किया था। विपक्ष ने सरकार पर एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पढ़ने का समय नहीं देने का आरोप लगाया है, जिस पर सोमवार को भी लोकसभा में हंगामा होने के आसार हैं।
क्या है पूरा मामला ?
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर को 'री-इमरजेंस ऑफ नेस्टी कैश फॉर क्वेरी इन पार्लियामेंट' नाम से एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें आरोप लगाया गया कि पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को सदन में सवाल पूछने के लिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से गिफ्ट और कैश मिला। गोड्डा सांसद ने स्पीकर को लिखे लेटर के साथ एडवोकेट जय अनंत देहाद्रई की चिट्ठी भी लगाई थी।
रियल एस्टेट कारोबारी दर्शन हीरानंदानी ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा था कि उनके पास महुआ मोइत्रा का लोकसभा का लॉगिन आईडी और पासवर्ड था। इससे वे खुद ही महुआ की तरफ से सवाल डालते थे। कारोबारी द्वारा आगे कहा गया कि महुआ का मकसद पीएम मोदी को बदनाम करना था। कारोबारी ने 19 अक्टूबर को जो एफिडेविट कमेटी को सौंपा था, उसमें ये बातें दर्ज थीं।
महुआ ने अगले दिन यानी 20 अक्टूबर को सरकार पर दर्शन के सिर पर बंदूक रखवाकर एफिडेविट साइन करवाने का आरोप लगाया था। 9 नवंबर को एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयारी की थी, जिसमें महुआ को संसद से निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी। शीतकालीन सत्र शुरू होन के बाद इसे लोकसभा में पेश किया गया। महुआ ने इस मामले को झूठा बताते हुए बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और अपने पूर्व प्रेमी जय अनंत के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा ठोक रखा है।