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संसद में छा गई यह खूबसूरत महिला सांसद, 10 मिनट में किया कमाल
संसद में पहली बार चुनकर आईं तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने मंगलवार को लोकसभा में शानदार भाषण दिया। महुआ ने अपने 10 मिनट के भाषण से लोगों के मन में अपनी छाप छोड़ दी। जेपी मॉर्गन में काम कर चुकी महुआ मोइत्रा को बैंकिंग के क्षेत्र में महारत हासिल है।
नई दिल्ली: संसद में पहली बार चुनकर आईं तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने मंगलवार को लोकसभा में शानदार भाषण दिया। महुआ ने अपने 10 मिनट के भाषण से लोगों के मन में अपनी छाप छोड़ दी। जेपी मॉर्गन में काम कर चुकी महुआ मोइत्रा को बैंकिंग के क्षेत्र में महारत हासिल है।
लोकसभा में महुआ मोइत्रा ने हिंदी के कवि रामधारी सिंह दिनकर, उर्दू के शायर राहत इंदौरी और आजादी की लड़ाई लड़ने वाले सेनानी मौलाना आजाद का जिक्र किया और अपने भाषण में जिस तरह बीजेपी पर हमाल किया उसकी खूब चर्चा हो रही है।
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एनआरसी, बेरोजगारी, फेक न्यूज, मीडिया की स्वतंत्रता, किसान, राष्ट्रवाद समेत अनेक मुद्दों पर उन्होंने अपने तथ्यों और तर्कों से बीजेपी सरकार पर निशाना साधा। 2019 लोकसभा चुनाव के बारे में महुआ मोइत्रा ने कहा कि ये पूरा चुनाव वॉट्सऐप और फेक न्यूज पर लड़ गया।
संसद में पहली बार बोलते हुए उन्होंने सात संकेतों का जिक्र किया और अमरीका के 'होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम' की मेन लॉबी में साल 2017 में प्रदर्शित एक पोस्टर का हवाला दिया।
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महुआ मोइत्रा के लोकसभा में भाषण के मुख्य बिंदु
-मजबूत और कट्टर राष्ट्रवाद से देश के सामाजिक ताने-बाने को आधात पहुंचा है। इस तरह के राष्ट्रवाद का नजरिया काफी संकीर्ण और डराने वाला है।
-देश में मानव अधिकारों के हनन की कई घटनाएं घट चुकी हैं। सरकार के हर स्तर पर मानव अधिकारों का हनन हो रहा है। देश में ऐसा माहौल बनाया गया है जिसमें नफरत के आधार पर हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं।
-महुआ ने संसद में मीडिया के सरकारी नियंत्रण पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मीडिया को इस हद तक नियंत्रित किए जाने की कोशिशें हो रही हैं जितना सोचा भी नहीं जा सकता।
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-देश में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर शत्रु खड़ा करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। ‘हर कोई इस बेनामी ‘काले भूत’ से डर रहा है।
-सरकार और धर्म के एक दूसरे से संबंधो पर भी उन्होंने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सिटिजन अमेंडमेंट बिल के जरिए एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
-इस सरकार ने सभी बुद्धिजीवियों और कलाकारों का तिरस्कार किया है। मोदी सरकार ने विरोध को दबाने की सारी कोशिशें की हैं। उन्होंने दावा किया 2019 के चुनावों में 60 हजार करोड़ खर्च हुए और सिर्फ एक पार्टी ने इसका 50% फीसदी खर्च किया।