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India News: मालदीव मामले में इजराइल भी अब भारत के सपोर्ट में, गिर सकती है सरकार

इसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय फलक पर राजनय धमक ही कहेंगे कि उनकी आलोचना के चलते मालदीव की सरकार पर गंभीर संकट के बादल मंडराने लगे है। हर जगह मालदीव बायकॉट का संदेश जा रहा है।

Aakanksha Dixit
Written By Aakanksha Dixit
Published on: 11 Jan 2024 10:51 AM IST
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India-Maldives source : social media 

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India News : इसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय फलक पर राजनय धमक ही कहेंगे कि उनकी आलोचना के चलते मालदीव की सरकार पर गंभीर संकट के बादल मंडराने लगे है। मालदीव के राष्ट्रपति के खिलाफ वहाँ की संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने की विपक्ष तैयारी कर बैठा है। संसद की गणित बताती है कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं है। भारत के पक्ष में इज़रायल के खुल कर आने के बाद मालदीव की सरकार गिरने की आशंका और बलवती हो गयी है।

भारत के लक्षदीव बनाम मालदीव की कहानी अब किसी से छिपी नहीं है। हर जगह मालदीव बायकॉट का संदेश जा रहा है। भारत और मालदीव के बीच में इस कड़वाहट भरे रिश्ते की शुरुआत मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के पहले से ही हो गयी थी। राष्ट्रपति बनने के 2 महीने पहले ही उन्होंने यह कहा था कि जिस दिन मैं राष्ट्रपति बनूँगा, एक हफ्ते में ही भारतीय सेना को मालदीव से निकाल दूंगा। साफ़ है कि इन्ही के द्वारा ही 'इंडिया आउट' कैंपेन चलाया गया था। गौरतलब है कि मालदीव भारत के दक्षिण पश्चिम किनारे पर बसा एक आईलैंड देश है। जिसकी आबादी 6 लाख के आसपास है। उसी के ऊपर उत्तर की तरफ बसा हुआ है लक्षद्वीप जो कि भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश हैं।

कैसे शुरू हुआ ये मामला

हाल ही में यह मामला तब शुरू हुआ जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप की यात्रा की। लोगों ने कहा कि मालदीव को टक्कर देने के लिए लक्षद्वीप की यात्रा प्रधानमंत्री के द्वारा केवल इस कारण की गई है, क्योंकि मुइज्जू को यह सबक सिखाना है कि मालदीव से अगर भारत बाहर चला गया तो भारतीयों के पास ऑप्शंस की कमी नहीं है। मालदीव की तरह हमारा लक्षद्वीप भी बहुत खूबसूरत है। भारत की तरफ से यात्रा करके वहां के टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मालदीव का टूरिज्म सिर्फ भारतीयों की वजह से ही बढ़ा हुआ था क्योंकि भारत का हर छठा नागरिक अपनी छुट्टियां मनाने के लिए मालदीव को प्राथमिकता देता था।

सपोर्ट में आया पूरा भारत देश

प्रधानमंत्री की इस पहल में जब पूरा भारत उतर आया और बायकॉट मालदीव और एक्सप्लोर इंडियनद्वीप के हैशटैग चलने लगे तो मालदीव की सरकार ने भी कई मंत्रियों, जिन्होंने भारत विरोधी कुछ बयान बाजी कर दी थी, को निलंबित करना पड़ा। उसके बाद से ही मुद्दा यह निकाल कर आया कि मालदीव के राष्ट्रपति को ही क्यों न पद से हटा दिया जाए। इसी बीच इस मुद्दे पर भारत के पक्ष में इजरायल के समर्थन की खबर भी बाहर निकाल कर आई। इजराइल खुद बाहर निकाल कर आया और लक्षद्वीप मामले में भारत का पूर्णतया समर्थन किया।

क्या है पूरी कहानी

कहानी शुरू होती है जब भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लक्ष्यद्वीप की यात्रा की गई। लोगों ने कहा कि लक्ष्यद्वीप की यात्रा प्रधानमंत्री ने इसलिए की है ताकि मालदीव के राष्ट्रपति को सबक सिखाया जा सके। जो वहां इंडिया आउट कैंपेन चला रहे हैं । अगर वाकई भारतीयों ने मालदीव के स्थान पर लक्षद्वीप को चुन लिया तो आपका टूरिज्म सिस्टम बहुत हद तक बिगड़ जाएगा। वहां के कुछ मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक बयान दे दिए। जिससे भारत की जनता में गजब का रोष पनपा। मालदीव के तीन मंत्रियों को पद से हटा दिया गया। जिनके नाम हैं मरियम शिउना, मालशा शरीफ और महजूम माजिद। सोशल मीडिया पर शुरू हुए विवाद की वजह से भारत में लोगों ने मालदीव की न सिर्फ जमकर आलोचना की है, बल्कि अपनी ट्रिप भी कैंसिल कर दी है।

विदेश मंत्रालय ने किया जवाब तलब

भारतीय मंत्रियों को जब इस बारे में पता चला तो विदेश मंत्रालय की तरफ से मालदीव के मंत्रियों से जवाब तलब किया गया। विदेश मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा कि हम भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसी कोई भी बात बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने सिर्फ अपने भारतीय द्वीप को सुंदर कहा था। उन्होंने कहीं पर भी एंटी मालदीव या बॉयकॉट मालदीव जैसी किसी भी बात का प्रचार प्रसार नहीं किया।

मालदीव वर्सेज़ लक्षदीप

इस मामले ने पूरे दुनिया में एक रफ्तार पकड़ ली और हर जगह मालदीव वर्सेस लक्षद्वीप होने लगा। इसकी वजह से टूरिज्म क्षेत्र में एक नया मोड़ आ गया। देशभर की सभी टूरिज्म कंपनियों ने अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप का अपने तरीके से प्रचार प्रसार किया। यही नहीं 20 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि लक्षद्वीप को गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किया गया है।

भारत की एक प्रतिष्ठित टूरिज्म कंपनी मेकमाय ट्रिप के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्यदीप जाने के बाद इस जगह को 3400 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने ऑन प्लेटफॉर्म सर्च किया है। लोगों में भारत के समुद्र तटों को लेकर इतना क्रेज है कि इसके लिए कंपनियों ने बहुत से ऑफर्स और डिस्काउंट तक देना शुरू कर दिया है ताकि भारतीय पर्यटक यहां आए और टूरिज्म को बढ़ावा मिले।

टाटा ग्रुप खोलेगा होटल

जब इस मामले ने इतनी गर्माहट पकड ली है, तो टाटा ग्रुप इन सब चीजों में कैसे पीछे रह सकता था। उसने लक्ष्यदीप पर दो ताज होटल खोलने की भी घोषणा कर दी। सुहेली और कदमत नामक लक्ष्यद्वीप की जगह पर यह होटल खोले जाएंगे। उन्होंने यहां तक कहा है कि ताज सुहेली के अंदर हम 110 कमरे 60 बीचेस विलास और 50 वॉटर विलास बनाएंगे। वहीं ताज कदमत में हम 110 रूम 75 बीचेज विलास और 35 वॉटर विलास बनाएंगे। मतलब जिस चीज का लाभ को उठाने के लिए लोग मालदीव जाते थे। अब उन्हें वह सब सुविधा लक्षद्वीप में मिलेंगी।

मामले में इजराइल का पूरा सपोर्ट

इन सब मामलों के बीच एंट्री होती है इजराइल की। इजराइल ने कहा लक्षद्वीप वाकई बहुत सुंदर जगह है। लेकिन वहां बस एक ही चीज की दिक्कत है, वह है पीने के पानी की। क्योंकि समंदर चारों तरफ से खारा पानी लिए हुए हैं। तो ऐसी जगह पर समुद्र के पानी को ही साफ करके पीने के पानी के रूप में प्रयोग किया जाता है और इजराइल इस काम में उस्ताद है। आपको बता दे इजराइल जहां पर बसा हुआ है वह पूरी तरीके से मरुस्थलीय क्षेत्र है। लेकिन एक तरफ भूमध्य सागर भी है। इजराइल भूमध्य सागर के पानी को ही साफ करके पीने के पानी के रूप में प्रयोग में लाता है। इस प्रक्रिया को डिजेलिएशन कहते हैं। मतलब इसमें पानी में से नमक को निकाल कर अलग किया जाता है और उसको पीने योग्य बनाया जाता है।

इजराइल इस मामले में ऐसे ही नहीं आया है उसे जानबूझकर मालदीव के मंत्रियों द्वारा घसीटा गया। फिर इसराइल पीछे कैसे रहता। उसने प्रधानमंत्री के समर्थन में ट्वीट करते हुए बोला कि "हम तो साल भर में ही वहां पर डिजेलिएशन थीम की शुरुआत करने वाले थे। लेकिन अब हम यह कल से ही शुरू कर देंगे।" आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इजराइल और भारत के संबंध हमेशा से ही बहुत अच्छे रहे हैं और इजरायल भारत के साथ खुद को सुरक्षित महसूस करता है। इजराइल के लिए भारत हमेशा से पर्यटन का केंद्र रहा है।

प्रधानमंत्री हो तो ऐसा

मात्र दो दिन की यात्रा के लिए वह लक्ष्यदीप गए थे। मगर इस मामले ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि आज भी ट्रेंड बना हुआ है और भारत धीरे-धीरे पर्यटन स्थल में बाकी देशों के मुकाबले ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा है। भारत और मालदीव के तल्ख होते रिश्तों के बीच इजराइल ने जो घोषणा की उस पर उसने 9 जनवरी 2024 के दिन लक्षदीप पर वाटर डिजेलिएशन प्लांट का काम शुरू भी कर दिया है।

मालदीव की पूर्व रक्षामंत्री भी भारत के समर्थन में बोली

मालदीव की पूर्व रक्षा मंत्री मारिया दीदी ने भारत के समर्थन में आकर कहा कि यह मालदीव की नाकामी है। उन्होंने कहा कि हम एक छोटा देश हैं इस बात से हम इनकार नहीं करते हैं। हमारी सीमाएं भारत के साथ लगी हुई है। भारत हमारे लिए इस प्रकार है जिस प्रकार भारत में 911 पर कॉल करने पर उन्हें मदद मिलती है उसी प्रकार अगर हम पर किसी भी प्रकार की कोई मुसीबत आती है और हमें मदद चाहिए हो, तो भारत हमारे लिए 911 कॉल की तरह है। मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के इस कदम के कारण उन्होंने भारत के साथ इस फैसिलिटी को नुकसान पहुंचाया है।

राष्ट्रपति मुइज्जू निकले चीन की यात्रा पर

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने 3 मंत्रियों को पद से हटाकर अपने लिए एक बैरियर तो बना लिया है । लेकिन भारत और मालदीव के रिश्तों को तवज्जो न देकर वह अपनी पांच दिवसीय यात्रा के लिए चीन निकल गए। चीन में उनका बहुत अच्छे से स्वागत किया गया। लेकिन अगर हम इस बात पर गौर करें कि भारत मालदीव के इस बिगड़ते रिश्ते में चीन की एंट्री हो जाती है, तो यह भारत के लिए काफी चुनौती पूर्ण साबित हो सकता है। जब मालदीव के राष्ट्रपति चीन पहुंचे तो चीन का भारत के खिलाफ बोलना तो बनता ही है। उन्होंने भारत को यह ज्ञान दे दिया कि भारत को अपना दिल बड़ा रखना चाहिए और छोटे देशों के सेल्फ रिस्पेक्ट को ठेस नहीं पहुंचना चाहिए।

खैर कोई बात नहीं हमने इस ज्ञान को सुन लिया । क्योंकि हमें ज्ञान देने वाले वह लोग हैं, जो हंबनटोटा लूट कर बैठे हुए हैं। हमें ज्ञान देने वाले वह लोग हैं जो खुद पाकिस्तान को हथियार सप्लाई किया करते हैं, तो ऐसे में उनका ज्ञान सुनने ना सुनने से भारत की नीतियों पर किसी प्रकार का फर्क नहीं पड़ता है। मालदीव यह भूल गया है कि इंडिया वर्ष 2013 में जहां मालदीव में बिल्कुल भी टूरिज्म नहीं करता था। वहीं वर्ष 2023 आते-आते इंडिया टॉप 10 कंट्रीज में नंबर वन पर था जिसने मालदीव में सबसे ज्यादा टूरिज्म भेजा था। मालदीव को यह बात समझनी चाहिए कि वह इंडिया के साथ ऐसा रुख इख्तियार करके अपना ही नुकसान कर रहा है। यही नहीं मालदीव के सभी टूरिज्म कंपनी ने भारत का साथ देते हुए कहा है कि वह मंत्रियों द्वारा कहीं बातों को इग्नोर कर दे और हमारे साथ टूरिज्म का संपर्क बनाए रखें। हम मालदीव के वक्तव्य के साथ नहीं है हम भारत के साथ हैं। मालदीव में ऐसे बहुत से लोग हैं जो भारत को चाहते हैं और उनके साथ संबंध बनाए रखना चाहते हैं।

Aakanksha Dixit

Aakanksha Dixit

Content Writer

नमस्कार मेरा नाम आकांक्षा दीक्षित है। मैं हिंदी कंटेंट राइटर हूं। लेखन की इस दुनिया में मैने वर्ष २०२० में कदम रखा था। लेखन के साथ मैं कविताएं भी लिखती हूं।

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