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मोरबी हादसे को लेकर ममता हमलावर, मोदी सरकार को घेरा, सीबीआई और ईडी पर खड़े किए सवाल
उन्होंने कहा कि गुजरात में हुआ हादसा काफी गंभीर मामला है और मैं इस हादसे को लेकर कोई राजनीति नहीं करूंगी। मैं पीएम मोदी पर भी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती क्योंकि यह उनका राज्य है मगर इस गंभीर मामले में जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
Mamata on Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी पुल पर हुए हादसे को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस हादसे को लेकर टालमटोल की कोशिश में जुटी हुई है जबकि इस मामले में जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। उन्होंने ईडी और सीबीआई की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ये दोनों एजेंसियां इस मामले के गुनहगारों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही हैं। ममता ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है और इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने सवाल किया कि क्या ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियां सिर्फ आम लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हैं? उल्लेखनीय है कि गुजरात में मच्छु नदी पर बने मोरबी पुल पर हुए हादसे में रविवार को करीब 135 लोगों की मौत हो गई थी। दो दिन तक इस मुद्दे पर खामोशी के बाद अब ममता ने मोदी सरकार को घेरते हुए केंद्रीय एजेंसियों पर सवाल खड़े किए हैं।
हादसे में जवाबदेही तय करने की मांग
उन्होंने कहा कि गुजरात में हुआ हादसा काफी गंभीर मामला है और मैं इस हादसे को लेकर कोई राजनीति नहीं करूंगी। मैं पीएम मोदी पर भी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती क्योंकि यह उनका राज्य है मगर इस गंभीर मामले में जवाबदेही तय की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हादसे में तमाम लोगों की जान चली गई और कई लोग अभी तक लापता हैं जिनका कुछ भी अता-पता नहीं चल रहा है। उन्होंने कहा कि आम आदमी की जिंदगी राजनीति से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसलिए मैं इस मुद्दे को लेकर राजनीति किए जाने के पक्ष में नहीं हूं। वैसे इस मामले के दोषियों को सजा जरूर मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाना चाहिए। यह एक बड़ा हादसा है और इस हादसे के अपराधियों को कभी बख्शा नहीं जा सकता।
स्टालिन से ममता की मुलाकात महत्वपूर्ण
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से ममता बनर्जी की प्रस्तावित मुलाकात को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। ममता की तरफ स्टालिन भी समय-समय पर मोदी सरकार पर हमला करते रहे हैं। 2024 की सियासी जंग से पहले ममता और स्टालिन की इस मुलाकात के दौरान भाजपा के खिलाफ विपक्ष का मजबूत गठबंधन बनाने पर चर्चा हो सकती है। हालांकि ममता ने स्टालिन को अपना राजनीतिक मित्र बताते हुए कहा कि मैं उनसे शिष्टाचार मुलाकात करने वाली हूं। ममता ने सीएए का डटकर विरोध करने की बात भी कही।
दूसरी ओर सियासी जानकारों का मानना है कि ममता भीतर ही भीतर भाजपा के खिलाफ मजबूत मोर्चा बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। हालांकि अभी वे इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से बच रही हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसी कोशिश में जुटे हुए हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि ममता और स्टालिन की इस मुलाकात में क्या सियासी खिचड़ी पकती है।