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पंजाब में भाजपा विधायक की पिटाई के बाद अब सांसद सुभाष चंद्रा को धमकी

राज्यसभा सदस्य सुभाष चंद्र को धमकी देने में रवि आजाद नामक के शख्स का नाम सामने आया है। जिसने किसानों और युवाओं से सुभाष चंद्रा को रविवार को एक कार्यक्रम में भाग लेने से रोकने की अपील की है।

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Published on: 28 March 2021 11:36 AM GMT
पंजाब में भाजपा विधायक की पिटाई के बाद अब सांसद सुभाष चंद्रा को धमकी
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पंजाब में भाजपा विधायक के साथ दुर्व्यवहार का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा को धमकी मिलने से हड़कंप मच गया है।

नई दिल्ली: पंजाब में भाजपा विधायक के साथ दुर्व्यवहार का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा को धमकी मिलने से हड़कंप मच गया है। कथित तौर पर पंजाब में भाजपा विधायक के साथ दुर्व्यवहार कथित रूप में आंदोलन कर रहे किसानों ने किया है। इस मामले में करीब 300 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। गौरतलब है कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने भाजपा नेताओं को कार्यक्रमों में न बुलाने, उनका बहिष्कार करने का आह्वान किया हुआ है।

हिंसा भड़काने की कोशिश

राज्यसभा सदस्य सुभाष चंद्र को धमकी देने में रवि आजाद नामक के शख्स का नाम सामने आया है। जिसने किसानों और युवाओं से सुभाष चंद्रा को रविवार को एक कार्यक्रम में भाग लेने से रोकने की अपील की है।

रवि आजाद ने सुभाष चंद्रा को रोकने के लिए किसानों से अपने लट्ठ तैयार रखने की अपील की है। आजाद ने एक वीडियो संदेश में कहा है, वही हाल सुभाष चंद्रा का करना है, किसी भी कीमत पे कार्यक्रम ये नहीं करने देना है। आजाद वीडियो के जरिए हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।

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रिपोर्टों के अनुसार, नारंग को किसान यूनियनों के झंडे लेकर प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया था। पंजाब के पुलिस अधीक्षक गुरमेल सिंह को भी नारंग को स्थिति से बचाने के प्रयास में चोटें आई थीं। अबोहर से भाजपा विधायक अरुण नारंग पार्टी प्रेस कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में मलोट गए थे, जहां कुछ आंदोलनकारियों और प्रदर्शनकारियों ने उनको घेर कर रोक दिया।

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पुलिस से भी की हाथापाई

इस दौरान उन पर कालिख डाली गई और उनके कपड़े फाड़ दिये गए। जब पुलिस पार्टी ने उन्हें मौके से हटाने की कोशिश की तो हाथापाई में एसपी मुख्यालय गुरमेल सिंह को सिर, कोहनी और पैर पर चोटें आईं।

नारंग ने इस घटना के खिलाफ राज्यपाल को ज्ञापन दिया और मुख्यमंत्री आवास पर धरना भी दिया। हजारों किसान 26 नवंबर 2020 से नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच ग्यारह दौर की वार्ता गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है।

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