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महाराष्ट्र में मंडी परिषद का एकाधिकार खत्म,व्यापारी सीधे किसानों से कर पाएंगे डील

Anoop Ojha
Published on: 1 Nov 2018 2:17 PM IST
महाराष्ट्र में मंडी परिषद का एकाधिकार खत्म,व्यापारी सीधे किसानों से कर पाएंगे डील
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मुम्बई: बिहार के बाद अब महाराष्ट्र देश का दूसरा राज्य हो गया है जहां किसानों-उत्पादकों को मंडियों से बाहर अपने समस्त कृषि उत्पाद खरीदने-बेचने की अनुमति दे दी गई है। देवेन्द्र फणनवीस सरकार द्वारा 25 अक्टूबर को जारी अध्यादेश के जरिए महाराष्ट्र कृषि उत्पाद विपणन एक्ट 1963 में संशोधन किया गया है।

इस एक्ट के जरिए समस्त कृषकों के लिए ये अनिवार्य था कि वे फसल कटने के बाद अपने समस्त कृषि उत्पाद संबंधित कृषि मंडियों में ही बेचेंगे।अब एक्ट में संशोधन के बाद एपीएमसी यानी मंडी परिषदों की सुपरवाइजरी शक्तियों को सीमित कर दिया गया है। मंडी परिषदों की सुपरवाइरी शक्तियां अब मात्र उनके बाजार प्रांगण तक ही सीमित रहेंगी। मंडी परिषद बाहर के बाजार क्षेत्रों में कृषि उत्पाद व पशुधन की मार्केटिंग को अब नियंत्रित नहीं कर पाएंगी।

अब व्यापारी या खाद्य प्रोसेसर सीधे किसानों से डील कर पाएंगे। व्यापारी को उत्पाद खरीदने के लिए और किसानों को अपना माल बेचने के लिए मंडी जाने की मजबूरी नहीं होगी। खरीदार सीधे खेत पर ही विक्रेता से सौदा कर पाएंगे। इसमें मंडी परिषद की कोई भूमिका नहीं रह जाएगी।

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बिहार ने 206 में एपीएमसी एक्ट को ही पूरी तरह खत्म कर दिया था। फणनवीस सरकार ने ऐसा तो नहीं किया है लेकिन एपीएमसी का अपने मंडी प्रांगण से बाहर वजूद खत्म कर दिया है। मंडी प्रांगण में हुई खरीद - ïफरोख्त पर 0.8 से 1 फीसदी तक का मंडी शुल्क पहले की तरह लगता रहेगा। लेकिन मंडी परिसर के बाहर के सौदों पर ऐसा शुल्क नहीं लगाया जा सकेगा। फणनवीस सरकार ने इसके पहले अप्रैल 2016 में एपीएमसी के अधिकार क्षेत्र से फलों व सब्जियों को बाहर कर दिया था। आज महाराष्ट्र में अनार व अंगूर का80 फीसदी उत्पाद खेत पर बिक जाता है। लेकिन बाकी फसलों में ऐसा नहीं है क्योंकि एपीएमसी नियम के तहत खरीदार को मार्केट फीस देनी पड़ती है चाहे सौदा मंडी परिसर में किया गया हो या कहीं और।

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नए सुधार से दो चीजें होने की उम्मीद है - सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन और एक्सपेलर यूनिट वालों, दाल मिलों, कपास यूनिटों, पशु आहार निर्माताओं तथा अन्य बड़े प्रोसेसर्स और व्यापारियों को किसानों से सीधे डील करने का मौका मिलेगा। चूंकि किसी सौदे पर एपीएमसी का कोई शुल्क नहीं लगेगा सो किसानों को इसका कुछ लाभ मिल सकता है। किसानों को भी अपना माल मंडी तक ले जाने के झंझट व भाड़े - तुलाई आदि के खर्च से मुक्ति मिलेगी। किसान को अब जहां बढिय़ा दाम मिलेगा वह वहीं अपना माल बेच सकेगा।

दूसरे यह कि किसानों व व्यापरियों को आकर्षित करने के लिए मंडी परिषदों को अपने कामकाज को सुधारना होगा, मंडियों में संसाधन व सुविधाएं बढ़ानी होंगी।

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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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