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Manipur Violence History: मणिपुर में क्या है विवाद की असली वजह, क्यों दो जनजाति आपस में बन चुके हैं जान के दुश्मन

Manipur Violence History: पिछले डेढ़ साल से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जंग जारी है। अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं ।

AKshita Pidiha
Written By AKshita Pidiha
Published on: 14 Nov 2024 3:59 PM IST
Manipur violence
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Manipur violence   (photo: social media )

Manipur Violence History: मणिपुर में डेढ़ साल से चल रही हिंसा खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।सोमवार को सुरक्षबलों के साथ मुठभेड़ में कम से कम 11 संदिग्ध मारे गए हैं।सीआरपीएफ के दो जवान भी घायल हुए जिसमें से एक की हालत गंभीर है।

पूरे जिरिबाम जिले में शासन द्वारा अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है।उग्रवादियों द्वारा सीआरपीएफ कैंप और पुलिस स्टेशन पर भी हमले किए जा रहे हैं।मुठभेड़ के बाद से पांच नागरिक लापता है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उग्रवादी लापता नागरिकों को अपने साथ ले गए हैं या फिर खुद कहीं डर से छुपे हुए हैं।

पिछले डेढ़ साल से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जंग जारी है। अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं ।दरअसल यह मामला हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए एक आदेश की वजह से और बढ़ता जा रहा है ।हाई कोर्ट की ओर से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के बाद आल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ने रैली निकाली थी, जिसके बाद हिंसा भड़क गई। उसके बाद से ही इस उत्तर पूर्वी राज्य में हिंसा का खौफनाक दौर देखा जा रहा है।

आखिर मैतेई और कुकी समुदाय कैसे होते हैं ?क्यों उनकी वजह से मणिपुर राज्य में इतना उबाल है ? क्यों इन दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे के जान के दुश्मन बन गए हैं ?

हालत इतनी खराब है कि राज्य में शांति स्थापित करने के लिए सरकार को सेना की मदद लेनी पड़ती है ।इसके बावजूद राज्य में आए दिन हिंसा और आगजनी जैसे प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं । इस राज्य की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि यहां के लोग अन्य कई राज्यों में शरणार्थी के रूप में रहने के लिए मजबूर है। पिछले साल दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड करने के बाद मणिपुर में हिंसा को और बल मिला ।यहां तक कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को भी हस्तक्षेप करना पड़ा था।इस पूरे मामले ने देश को आक्रोशित कर दिया था ।सब कुछ जानते हैं विस्तार से-

कौन है कुकी

कुकी एक जनजाति है जो भारत के उत्तर राज्य मणिपुर और मिजोरम के दक्षिण पूर्वी भाग में रहती है। यह विशेषतः बांग्लादेश और म्यांमार में पाई जाने वाली जनजाति हैं। अरुणाचल प्रदेश को छोड़ दिया जाए तो यह समुदाय लगभग उत्तर पूर्व भारत के करीब सभी राज्यों में मौजूद है। इस समुदाय के लोग अधिकतर ईसाई धर्म को मानते हैं।मणिपुर की कुल आबादी के अधिकांश हिस्से में नागा और कुकी जनजातियां रहती हैं ।यह लगभग 90 फ़ीसदी भूमि पर निवास करते हैं।


मैतेई कौन है

मणिपुर राज्य के 10 फ़ीसदी भूमि क्षेत्र में रहने वाली यह जनजाति हिंदू धर्म को मानती है ।2011 की जनगणना के मुताबिक मैतेई राज्य की आबादी का लगभग 64.6 प्रतिशत है।इसके बाद भी मणिपुर की भूमि पर 10 फ़ीसदी हिस्से पर ही उनका कब्जा है।


मैतेई समुदाय का तर्क

मैतेई समुदाय मानता है कई सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकीयों को युद्ध में लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद से यह स्थानीय निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती की। इस वजह से ड्रग तस्करी के मामले में मणिपुर एक बड़ा ट्रायंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है।


मैतेई समुदाय की सियासत है मजबूत

पकड़ मैतेई समुदाय को मणिपुरी भी कहा जाता है। यह सियासत में भी अपनी मजबूत पकड़ रखता है । राज्य की विधानसभा में मैतेई का प्रतिनिधित्व अधिक है ।यही नहीं यहां के मौजूदा मुख्यमंत्री और वीरेंद्र सिंह भी मैतेई समुदाय से आते हैं ।यानी की सियासी रूप से यह राज्य मैतेई समुदाय का अधिक है ।क्योंकि राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 40 सिर्फ इंफाल घाटी क्षेत्र से हैं और इन क्षेत्रों में अधिकतर मैतेई समुदाय के लोगों का कब्जा है ।कहते हैं मैतेई अधिक शिक्षित होते हैं और राज्य के व्यापार और राजनीति में कुकी और अन्य जनजातियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।


कुकी और मैतेई में आखिर विवाद क्या है

ऐसे तो कुकी और नागा लोग पारंपरिक रूप से एक दूसरे के विरोधी होते हैं। लेकिन जब मामला मैतेई और कुकी समुदाय के बीच होता है तो यह दोनों आपस में एक साथ होकर मैतेई के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं।यही कारण है कि मैतेई समुदाय को इन दोनों जनजातियों से लड़ना होता है।शुरुआत की बात करें तो कुकी को मणिपुर की पहाड़ियों में मैतेई राजाओं ने बसाया था ताकि घाटी पर आक्रमण करने पर कुकी एक बफर के रूप में काम कर सकें।1993 में मणिपुर में भयंकरहिंसा देखी गई थी जिसमें 100 से अधिक कुकी को नागाओं ने मार दिया था।

पर वर्तमान में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच संघर्ष की असली वजह आरक्षण है। दरअसल पहाड़ियों में रहने वाले कुकी समुदाय सरकार की अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल है । लेकिन मैतेई समुदाय नहीं है। मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर कुकी और नागा समुदाय का कहना है कि विकास के रूप में अधिकांश भाग मैतेई समुदाय को ही मिलता है और ऐसे में यदि इन्हें एसटी का दर्जा मिल गया तो सारी नौकरियां और लाभ इन्हें ही मिलेगा। यह विवाद तब और बढ़ गया जब हाई कोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने के लिए राज्य सरकार से केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजने को कहा।


मणिपुर का दोगला कानून भी है विवाद की वजह

मणिपुर में हिंसा और विवाद की एक और वजह यह भी है कि वहां रहने वाले मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही जमीन खरीद सकते और रह सकते हैं । उन्हें पहाड़ी में रहने और जमीन खरीदने की इजाजत नहीं है जबकि पहाड़ियों में रहने वाले कुकी और नागा घाटी में भी रह सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं। इस बात को लेकर भी मैतेई समुदाय चिंता में है। मैतेई समुदाय का कहना है कि यह सिर्फ नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का मुद्दा नहीं है । बल्कि यह पैतृक जमीन संस्कृति और पहचान का मसला है।


कॉंग्रेस सांसद ने हमला बोला

मणिपुर हिंसा के बीच कांग्रेस सांसद डॉक्टर ए बिमोल अकोइजाम ने 10 सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा। उन्होंने पूछा कि इस तरह का संकट यदि मुख्य राज्यों जैसे यूपी,बिहार ,पंजाब, महाराष्ट्र में होता तब भी केंद्र सरकार हिंसा को ऐसे ही जारी रहने देते। आगे कहा मुझे अफसोस है कि केंद्र के लिए मणिपुर में लोगों का जीवन कोई मायने नहीं रखता।


प्रधानमंत्री ने क्या कहा-

जुलाई में प्रधानमंत्री ने राज्यसभा के संबोधन में कहा कि हमें सामान्य स्थिति लाने के लिए राजनीति से ऊपर उठना होगा।मणिपुर में आंख में घी डालने की कोशिश कर रहे तत्वों को रुक जाना चाहिए।एक समय आएगा जब मणिपुर उन्हें नकार देगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जानकारी देते हुए बताया अभी तक 11000 FIR दर्ज की गई है और 500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की ओर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में 10 बार मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा था वैसी स्थिति अब नहीं है।

भूगौलिक स्थिति

पूरा मणिपुर 22327 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है इसका 10 प्रतिशत भाग ही घटी है बाकी 89 फ़ीसदी इलाका पहाड़ी है ।मणिपुर राज्य के टोटल आबादी 38 लाख है, जिसमें 53 प्रतिशत मैतेई समुदाय है जो कि ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं और 40 फ़ीसदी आबादी नागों और कुकी जनजाति की है जो की पहाड़ी जिलों में रहते हैं ।

क्या यह ड्रग्स की लड़ाई है

मणिपुर में अफीम की अवैध खेती जबरदस्त तरीके से होती है।लगभग साढ़े 15000 एकड़ की जमीन पर अफीम की खेती की जाती है।इनमें से 13000 एकड़ से ज्यादा जमीन पर उनके समुदाय के लोग अफीम की खेती करते हैं और बाकी 23 एकड़ पर नागा जनजाति की खेती करते हैं।

सरकारी कोशिशें

सरकार ने 2017 में इसके खिलाफ अभियान शुरू किया था।इसमें बताया गया था कि 2017 से 2023 के बीच ड्रग्स के सिलसिले में किस समुदाय के कितने लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सामने आया कि एनटीपीएस एक्ट के तहत ढाई हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसमें से अधिकतर लोग कुकी समुदाय के थे ।वही 1000 से ज्यादा लोग मुस्लिम थे ।381 लोग मैतेई समुदाय के थे ।मणिपुर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर दिलीप कुमार सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि कुकी समुदाय लंबे समय से अफीम की खेती करते आ रहे हैं जिसकी वजह से मणिपुर में बड़ा ड्रग डीलर खड़ा हुआ था। लेकिन जब सरकार ने इसमें हस्तक्षेप कर उसे नष्ट करने की कोशिश की उसके बाद से इन दोनों समुदाय में आक्रोश पैदा हुआ।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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