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Manipur Violence Update: मणिपुर हिंसा पर बड़ा अपडेट, अभी नहीं थमा मामला, फिर इतने दिन बंद रहेगा इंटरनेट
Manipur Violence Update: सरकार को आशंका है कि सोशल मीडिया के जरिए फिर से लोगों की भावनाएं भड़काने की कोशिश की जा सकती है, इसलिए पांच दिन और इंटरनेट सेवा स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।
Manipur Violence Update: उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में दो समुदायों के बीच टकराव के बाद हिंसा भड़क गई थी। तीन दिन तक चले हिंसा के दौर में जमकर आगजनी और पत्थरबाजी की गई। राज्य में उपद्रवियों पर सेना और पुलिस ने काबू पा लिया है और पिछले कई दिनों से शांति कायम है। लेकिन माहौल अभी भी तनावपूर्ण बना हुआ है। जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने कुछ और दिनों के लिए इंटरनेट बंद करने का निर्णय लिया है। दरअसल, सरकार को आशंका है कि सोशल मीडिया के जरिए फिर से लोगों की भावनाएं भड़काने की कोशिश की जा सकती है, इसलिए पांच दिन और इंटरनेट सेवा स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।
मणिपुर डीजीपी के दफ्तर से जारी हुए इस आदेश में 15 मई को आई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि राज्य के संवेदनशील क्षेत्रों जहां हिंसा हुई थी, वहां अब भी तनाव पसरा हुआ है और लोग पलायन कर रहे हैं। कुछ इलाकों से हिंसा और आगजनी की खबरें भी आई हैं। इस बात की आशंका बनी हुई है कि असामाजिक तत्व सोशल मीडिया का इस्तेमाल भड़काऊ ऑडियो-वीडियो के प्रसारण के लिए कर सकते हैं, जिससे एकबार हिंसा के भड़कने का खतरा है।
कल यानी मंगलवार 16 मई को जारी हुए इस आदेश में आगे कहा गया कि जनहित में कानून व्यवस्था बनाए रखने, देश विरोधी और असामाजिक तत्वों की साजिश और गतिविधियों को विफल करने, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखऩे और किसी भी नुकसान को रोकने के लिए अभी भी पर्याप्त उपाय करना जरूरी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के जरिए झूठी अफवाहों और दुष्प्रचार को रोकने के लिए इंटरनेट पर लगी पाबंदी को और पांच दिन बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में आज होगी मामले की सुनवाई
मणिपुर में हुई भीषण हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। इस मामले में अब तक तीन याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। मणिपुर बार एसोसिएशन ने हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व वाली जांच समिति बनाने की अपील की है। शीर्ष अदालत में आज मणिपुर हिंसा से जुड़ी दो याचिकाओं पर सुनवाई होगी, जिसे मणिपुर ट्रायबल फोरम और हिल एरिया कमेटी ने दायर किया था। इन दोनों के अलावा तीसरी याचिका बीजेपी विधायक दिंगांगलुंग गंगमेई की ओर से भी सर्वोच्च न्यायालय में लगाई गई है, जिसमें मणिपुर हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय के लोगों को एसटी आरक्षण देने की मांग पर विचार करने को कहा गया है।
3 मई को भड़की थी हिंसा
मणिपुर की बहुसंख्यक आबादी मैतेई और आदिवासी समुदाय कुकी के बीच एसटी आरक्षण को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। बीते तीन मई को अचानक इस विवाद ने हिंसक टकराव का रूप ले लिया और देखते ही देखते आधा मणिपुर हिंसा की आग में जलने लगा। कुल 16 में से 10 जिलों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। दोनों समुदाय के लोगों को अपने घर-बार छोड़कर पड़ोस के राज्यों में शरण लेना पड़ा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हिंसा में करीब 71 लोगों की जान गई और 230 जख्मी हो गए। करीब 1700 घरों को दंगाईयों ने जला दिया। हिंसा के करीब दो हफ्ते बाद भी राज्य में हालात सामान्य नहीं हुए हैं।