TRENDING TAGS :
Manipur Vivad Ka Itihas: राष्ट्रपति शासन क्या होता है, मणिपुर में इस शासन की आवश्यकता क्यों पड़ी, क्या है पूरा विवाद आइए जानते हैं
Manipur Me Rashtrapati Sasan Kyu Laga: मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता क्यों हुई...
Manipur Me Rashtrapati Sasan Kyu Laga
Manipur Vivad History in Hindi: भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत, केंद्र और राज्य सरकारें संविधान के अनुसार कार्य करती हैं। किन्तु, जब कोई राज्य सरकार संविधान के अनुरूप कार्य करने में असमर्थ हो जाती है, तब भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है। हाल ही में, मणिपुर में भी राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा के कारण राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि राष्ट्रपति शासन क्या होता है, इसे कब लागू किया जाता है और मणिपुर में इस शासन की आवश्यकता क्यों पड़ी।
राष्ट्रपति शासन क्या है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत, यदि किसी राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ होती है, तो राष्ट्रपति उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।
इस स्थिति में, राज्य की कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति के अधीन हो जाती हैं, और राज्यपाल उनके प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं। राज्य विधानसभा को निलंबित या भंग किया जा सकता है, और संसद राज्य के लिए कानून बनाने का कार्य संभालती है।
राष्ट्रपति शासन लागू करने के प्रमुख कारण
- संवैधानिक तंत्र की विफलता: जब राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर पाती है।
- राज्यपाल की रिपोर्ट: यदि राज्यपाल अपनी रिपोर्ट में उल्लेख करते हैं कि राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से विफल हो चुका है।
- अनुच्छेद 365: जब कोई राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करने में विफल रहती है।
- विधानसभा में बहुमत का अभाव: जब किसी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता और सरकार गठन असंभव हो जाता है।
राष्ट्रपति शासन लागू करने की प्रक्रिया
राज्यपाल, राज्य की स्थिति का मूल्यांकन कर राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजते हैं।यदि केंद्र सरकार और राष्ट्रपति को लगता है कि राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है, तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है।
इस स्थिति में राज्य की कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति के अधीन आ जाती हैं और राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं।राज्य की विधानसभा को या तो निलंबित कर दिया जाता है या भंग कर दिया जाता है।
राष्ट्रपति शासन की अवधि
प्रारंभ में राष्ट्रपति शासन दो महीने के लिए लागू होता है।संसद की स्वीकृति मिलने के बाद इसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है।यदि विशेष परिस्थितियाँ हों, तो इसे अधिकतम तीन वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।
मणिपुर का विवाद: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मणिपुर पूर्वोत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जहाँ विभिन्न जातीय और सांस्कृतिक समूह रहते हैं।
यह क्षेत्र दशकों से जातीय संघर्ष, उग्रवाद और राजनीतिक अस्थिरता से जूझता रहा है।
मणिपुर विवाद के प्रमुख कारण:
जातीय संघर्ष: मणिपुर में मुख्य रूप से दो प्रमुख समुदाय रहते हैं - मेइती और कुकी। 2023 में, जब मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की माँग की गई, तो कुकी समुदाय ने इसका विरोध किया। इससे दोनों समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई।
संवैधानिक संकट: मणिपुर में लगातार राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई थी। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद सरकार बनाने में असफलता ने राष्ट्रपति शासन लागू करने का मार्ग प्रशस्त किया।
न्यायालय का फैसला: मणिपुर उच्च न्यायालय के एक आदेश में मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का सुझाव दिया गया था। इससे कुकी समुदाय में असंतोष बढ़ा और व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए।
अलगाववादी आंदोलन और उग्रवाद: दशकों से मणिपुर में अलगाववादी संगठनों की गतिविधियाँ चल रही हैं, जो राज्य को भारत से अलग करने की माँग करते हैं।
मई 2023 में भड़की हिंसा
हिंसा की शुरुआत 3 मई 2023 को हुई, जब कुकी समुदाय ने उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया।इस दौरान 250 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग विस्थापित हो गए।
केंद्र सरकार ने शांति स्थापित करने के लिए अर्धसैनिक बलों को तैनात किया।हिंसा पर नियंत्रण पाने में राज्य सरकार की असफलता के कारण राष्ट्रपति शासन की संभावना प्रबल हुई।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, जो मेइती समुदाय से हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हैं, ने 9 फरवरी 2025 को इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद, राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई, और नए मुख्यमंत्री के चयन में असफलता के कारण 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने के पीछे कई कारण थे:
- सरकार की अक्षमता: मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह सरकार जातीय हिंसा को रोकने और राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही।
- राजनीतिक अस्थिरता: मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद नए मुख्यमंत्री के चयन में असफलता ने राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न किया।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: उत्तर-पूर्वी राज्यों में सीमा पार आतंकवाद का खतरा हमेशा बना रहता है। केंद्र सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू किया।
- कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति: हिंसा के चलते हजारों लोग बेघर हुए और कई स्थानों पर कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- कर्फ्यू और इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध: कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू किया गया।
- सुरक्षा बलों की तैनाती: केंद्र सरकार ने सेना और अर्धसैनिक बलों को राज्य में तैनात किया।
- शांति वार्ता: केंद्र सरकार ने मेइती और कुकी समुदायों के नेताओं के साथ बातचीत कर समाधान निकालने की कोशिश की।
- राहत शिविरों की स्थापना: हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविर खोले गए।
- राजनीतिक दलों के साथ बैठकें: विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श किया गया कि स्थायी समाधान कैसे निकाला जाए।
मणिपुर का राजनीतिक भविष्य
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के लागू होने के बाद राज्य में राजनीतिक अस्थिरता दूर करने के लिए निम्नलिखित संभावनाएँ हो सकती हैं:
- शांति बहाली और चुनाव: केंद्र सरकार स्थिति को नियंत्रित करने के बाद नए चुनाव करा सकती है।
- स्थायी समाधान: जातीय संघर्ष को रोकने के लिए सरकार विशेष नीति ला सकती है।
- संवैधानिक सुधार: आरक्षण और प्रशासनिक सुधारों को लागू किया जा सकता है।
- केंद्र सरकार का हस्तक्षेप: भविष्य में केंद्र सरकार इस क्षेत्र में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकती है।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद
राज्य की सभी प्रशासनिक शक्तियाँ राज्यपाल के पास होंगी राज्य की विधान सभा निलंबित रहेगी।केंद्र सरकार शांति बहाली के लिए कड़े कदम उठा सकती है।
केंद्र सरकार का कहना है कि यह निर्णय राज्य में कानून व्यवस्था बहाल करने और स्थिरता लाने के उद्देश्य से लिया गया है।
भाजपा के सामने चुनौती
भाजपा को अब मणिपुर में नया नेतृत्व चुनने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। पार्टी को ऐसा नेता चुनना होगा जो दोनों समुदायों के बीच संतुलन स्थापित कर सके और राज्य में शांति बहाल करने में सक्षम हो।
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के कारण राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। राज्य की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा आगे की रणनीति पर जल्द ही निर्णय लिया जा सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा कब तक नया मुख्यमंत्री चुन पाती है और राज्य में सामान्य स्थिति कब तक लौटती है।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होना एक संवैधानिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे तब लागू किया जाता है जब राज्य सरकार अस्थिर हो जाती है। वर्तमान में, यह देखा जाना बाकी है कि केंद्र सरकार शांति बहाल करने और राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए कौन-कौन से कदम उठाएगी। मणिपुर का विवाद जटिल है, और इसे सुलझाने के लिए दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता होगी।