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सात समुद्र पार जासूसी के केस में फंसे भारतीय दंपति, मिलेगी ये बड़ी सजा

जर्मनी में कश्मीरी और सिख समूहों की जासूसी करने और यह जानकारी भारतीय खुफिया एजेंटों को मुहैया कराने के आरोपों में फ्रैंकफर्ट में एक भारतीय दंपति फंस गया है।

Aditya Mishra
Published on: 21 Nov 2019 1:01 PM GMT
सात समुद्र पार जासूसी के केस में फंसे भारतीय दंपति, मिलेगी ये बड़ी सजा
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बर्लिन: जर्मनी में कश्मीरी और सिख समूहों की जासूसी करने और यह जानकारी भारतीय खुफिया एजेंटों को मुहैया कराने के आरोपों में फ्रैंकफर्ट में एक भारतीय दंपति फंस गया है। इस मामले में दोषी पाए जाने पर दंपत्ति को 10 साल की जेल की सजा हो सकती है। यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट में गुरुवार को दी गई है।

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जर्मनी में विदेशी खुफिया एजेंट होने के लगे थे आरोप

मनमोहन एस. और उनकी पत्नी कंवल जीत के. पर इस साल अप्रैल में जर्मनी में विदेशी खुफिया एजेंट होने के आरोप लगाए गए थे। जर्मनी के कश्मीरी और सिख समूहों की जासूसी करने के आरोपी दोनों भारतीय नागरिकों का मुकदमा फ्रैंकफर्ट के उच्च क्षेत्रीय न्यायालय में शुरू हुआ है। यह जानकारी जर्मनी के सरकारी स्वामित्व वाले सार्वजनिक अंतरराष्ट्रीय प्रसारक डॉयचे वेले ने दी।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2015 से 50 वर्षीय मनमोहन पर कथित तौर पर जर्मनी में सक्रिय कश्मीरी अलगाववादी और सिख समूहों के बारे में जानकारी प्राप्त करने और इसे भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के अधिकारियों को देने का आरोप है, जो फ्रैंकफर्ट में भारतीय दूतावास में तैनात थे।

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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जुलाई 2017 से, उनकी पत्नी 51 वर्षीय, केट के भी इस अभियान में शामिल हो जाने का संदेह है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अपनी इस सेवा के बदले में, दंपति ने रॉ से कुल 7,974 अमरीकी डालर प्राप्त किए।

सुनवाई की अगली तारीख 12 दिसंबर निर्धारित की गई है। यदि दंपति को दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है।

जर्मनी में सिख एक धार्मिक अल्पसंख्यक हैं। कई जर्मन सिखों की जड़ें पंजाब से हैं और यहां जर्मनी में उनकी संख्या 15,000 से 21,000 के बीच है। ब्रिटेन और इटली के बाद जर्मनी की यूरोप में तीसरी सबसे ज्यादा सिख आबादी है।

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