TRENDING TAGS :
Manmohan Singh Death: आखिर कैसे PM बनने में कामयाब हुए मनमोहन सिंह, सोनिया ने क्यों दूसरे दिग्गजों पर दी थी तरजीह
Manmohan Singh Death: सोनिया गांधी ने उस समय कांग्रेस के पांच बड़े नेताओं पर मनमोहन सिंह को तरजीह दी थी और उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का फैसला किया था।
Manmohan Singh Death: देश में आर्थिक सुधारों के नायक माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह नहीं रहे। 92 साल की उम्र में गुरुवार की रात उनका दिल्ली एम्स में निधन हो गया। 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की जीत के बाद सोनिया गांधी का देश का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा था मगर सोनिया के इनकार के बाद देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर मनमोहन सिंह की ताजपोशी हुई थी।
सोनिया गांधी ने उस समय कांग्रेस के पांच बड़े नेताओं पर मनमोहन सिंह को तरजीह दी थी और उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का फैसला किया था। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह के पक्ष में यह फैसला क्यों किया था।
इन पांच नेताओं को माना जा रहा था पीएम पद का दावेदार
2004 में हुए लोकसभा चुनाव का नतीजा भी काफी हैरान करने वाला था। अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में एनडीए को अपनी बड़ी जीत का भरोसा था मगर चुनाव परिणाम यूपीए के पक्ष में रहे। चुनाव नतीजे की घोषणा के बाद सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई थीं कि आखिरकार कौन देश का प्रधानमंत्री बनेगा। सोनिया गांधी का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा था मगर सोनिया के इनकार के बाद कई अन्य नामों को लेकर अटकलें लगने लगीं।
सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने से इनकार करने के बाद कांग्रेस के पांच अन्य दिग्गज नेताओं को इस पद का दावेदार माना जा रहा था। इन नेताओं में प्रणब मुखर्जी, अर्जुन सिंह, एनडी तिवारी, शिवराज पाटिल और पी चिदंबरम का नाम शामिल था।
माना जा रहा था कि सोनिया गांधी इनमें से किसी एक नेता के नाम पर अपनी सहमति जता सकती हैं। पीएम बनने के लिए जोड़-तोड़ भी शुरू हो गई थी मगर सोनिया गांधी ने अपने फैसले से सबको हैरान कर दिया था।
सोनिया के फैसले पर चौंक गए थे सभी नेता
दिग्गज नेता रामविलास पासवान अपनी बायोग्राफी ‘संघर्ष, साहस और संकल्प’ में इस बात का खुलासा भी किया है। पासवान के मुताबिक 10 जनपथ पहुंचने पर हम लोगों को यह जानकारी मिली कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री नहीं बन रही हैं। जल्द ही यह खबर मीडिया में फ्लैश होने लगी और यूपीए के सभी नेता इस खबर को लेकर अचंभित थे।
अब हमें इस बात का बेसब्री से इंतजार था कि आखिरकार कौन देश का प्रधानमंत्री बनेगा। तभी कांग्रेस की ओर से हमें इस बाबत सूचित किया गया। जो नाम सामने आया, वह काफी चौंकाने वाला था और वह नाम था डॉक्टर मनमोहन सिंह का। मनमोहन सिंह उस समय राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे और सोनिया गांधी ने उन्हीं के नाम पर मुहर लगाई थी।
आखिर सोनिया ने मनमोहन को क्यों चुना
मनमोहन सिंह के पक्ष में सोनिया गांधी के फैसले के पीछे कई महत्वपूर्ण फैक्टर थे। मनमोहन सिंह के पक्ष में सबसे बड़ा कारण यह था कि उनका किसी भी गुट से कोई संबंध नहीं था। उस समय कांग्रेस में उत्तर और दक्षिण के साथ कई तरह के गुट सक्रिय थे मगर मनमोहन सिंह इन सभी गुटों से दूर थे। केंद्र में नरसिम्हा राव की सरकार के समय इसी गुटबाजी के कारण कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा था और सोनिया गांधी अब कोई खतरा मोल लेने के लिए तैयार नहीं थीं।
मनमोहन सिंह का राजनीतिक व्यक्ति न होना भी उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ। दरअसल 2004 में राहुल गांधी की सियासी पिच पर एंट्री हो गई थी। कांग्रेस नेता उनके पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में जुटे हुए थे। ऐसे में सोनिया गांधी किसी राजनीतिक व्यक्ति को यह महत्वपूर्ण पद देकर राहुल गांधी की राह में मुश्किलें नहीं पैदा करना चाहती थीं।
वित्त मंत्री के रूप में किया था बेहतर काम
मनमोहन सिंह के पक्ष में फैसला होने के पीछे उनके कामकाज को भी बड़ा कारण माना जाता रहा है। देश के वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की थी। देश को आर्थिक संकट से बाहर निकलने में उनकी बड़ी भूमिका मानी जाती रही है। 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आर्थिक नीति और रोजगार के संबंध में कई बड़े वादे किए थे जिन्हें पूरा करने के लिए मनमोहन सिंह जैसे विजनरी नेता की जरूरत थी।
सियासी जानकारों का कहना है कि इन्हीं सब कारणों से मनमोहन सिंह कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की दावेदारी को दरकिनार करते हुए प्रधानमंत्री बनने में कामयाब हुए थे। आगे चलकर 2009 के लोकसभा चुनाव में यूपीए की जीत के बाद भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने मनमोहन सिंह के पक्ष में ही फैसला लिया था।