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Manmohan Singh: मुझे बड़ी गाड़ियों में चलना पसंद नहीं, मनमोहन सिंह को मारुति 800 से था लगाव...उनकी सुरक्षा में रहे मंत्री असीम अरुण ने बताया यादगार किस्सा
Manmohan Singh: तीन साल तक मनमोहन सिंह की सुरक्षा में तैनात रहे यूपी सरकार में मंत्री असीम अरुण ने उनके साथ रहने के दौरान एक प्रेरणादायक स्टोरी का जिक्र किया है और सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर इस यादगार कहानी को साझा किया है।
Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनका गुरुवार रात को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के बाद उनसे जुड़े कई किस्से और कहानियां इस समय चर्चा में हैं। मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री रहे और दस साल तक प्रधानमंत्री रहे। उनके काम करने का अंदाज तो निराला था ही साथ ही उनका व्यवहार भी काफी सौम्य और सरल था। वे अक्सर शांत ही रहते थे। उनके बातों में काफी गंभीरता होती थी।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में भारतीय जनता पार्टी के नेता और यूपी सरकार में मंत्री असीम अरुण ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक प्रेरणादायक यादें साझा की हैं। असीम अरुण ने अपनी पोस्ट में बताया कि वह 2004 से तीन साल तक प्रधानमंत्री के सुरक्षा घेरे में रहे। उन्होंने प्रधानमंत्री की सुरक्षा के सबसे नजदीकी दस्ते, क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम (ब्च्ज्) का नेतृत्व किया।
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, डॉ. साहब की अपनी एकमात्र कार मारुति 800 थी, जो प्रधानमंत्री आवास में खड़ी रहती थी। हालांकि, सुरक्षा के कारण उन्हें हमेशा बीएमडब्ल्यू जैसी आधुनिक सुरक्षा वाली गाड़ियों का उपयोग करना पड़ता था।
मारुति 800 से बहुत गहरा जुड़ाव था
असीम अरुण कहते हैं कि मनमोहन सिंह को अपनी पुरानी मारुति 800 से काफी गहरा लगाव था। डॉ. सिंह अक्सर ये कहते थे, मुझे इन बड़ी गाड़ियों में चलना पसंद नहीं। मेरी असली गाड़ी तो यही है। यह उनके सरल और मिडिल क्लास लाइफ स्टाइल से जुड़े होने को दर्शाता है, लेकिन एसपीजी टीम उन्हें बार-बार समझाती कि बीएमडब्ल्यू जैसी गाड़ियां उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी हैं। इसके बावजूद, जब भी डॉ. सिंह कारकेड के साथ निकलते और उनकी मारुति 800 खड़ी रहती, तो वह उसे देखना नहीं भूलते।
कर्तव्यों और आदर्शों के प्रति समर्पित थे मनमोहन
ऐसा लगता था कि मानो वह खुद को याद दिला रहे हों कि वह एक साधारण व्यक्ति हैं और आम आदमी की भलाई के लिए काम करना ही उनका असली दायित्व है। इस घटना ने यह साफ कर दिया कि डॉ. मनमोहन सिंह न केवल एक महान नेता थे, बल्कि अपने कर्तव्यों और आदर्शों के प्रति पूरी तरह समर्पित भी थे। उनकी विनम्रता और मिडिल क्लास मूल्यों से उनका जुड़ाव, उनके नेतृत्व की सादगी को दर्शाता है।