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Manmohan Singh: जब अमेरिका से इस डील के लिये सरकार गिराने को भी तैयार हो गये थे मनमोहन सिंह, जानिये क्या हुआ था

Manmohan Singh: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह, का गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें कमजोर माना गया, लेकिन जब बात आई भारत-अमेरिका परमाणु समझौते की, तो उन्होंने ऐसी दृढ़ता दिखाई कि पूरी दुनिया चौंक उठी।

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Newstrack Network
Published on: 27 Dec 2024 12:53 PM IST (Updated on: 27 Dec 2024 7:44 PM IST)
Civil Nuclear Agreement 2008
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Civil Nuclear Agreement 2008 (Photo: Social Media)

Manmohan Singh: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह, का गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। एक ऐसी शख्सियत, जिनका भारतीय राजनीति में योगदान अनमोल है। 1991 में जब उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में देश में ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, तब भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा ही बदल गई। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें कमजोर माना गया, लेकिन जब बात आई भारत-अमेरिका परमाणु समझौते की, तो उन्होंने ऐसी दृढ़ता दिखाई कि पूरी दुनिया चौंक उठी।

‘कमजोर’ माने जाने वाले प्रधानमंत्री, जिन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों को मात देते हुए, भारत के हित में अहम फैसले लिए। भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील, परमाणु प्रतिबंधों को खत्म करने के लिए किए गए कदम, एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुए। यह वह क्षण था, जब मनमोहन सिंह ने अपनी राजनीतिक चतुराई और दूरदृष्टि से देश को एक नई दिशा दी।

मनमोहन सिंह के नेतृत्व में, वामपंथी दलों की तमाम विरोध के बावजूद, भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील को पारित किया गया। वामदलों के नेताओं सुरजीत और ज्योति बसु ने शुरुआत में उनका समर्थन किया था, लेकिन करात के नेतृत्व में इस समर्थन में कटौती हुई। बावजूद इसके, मनमोहन सिंह ने अपने स्पष्ट दृष्टिकोण और रणनीति से भारत को अमेरिका के और करीब किया।

सोनिया भी नहीं थी सहमत

अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील को लेकर पहले मनमोहन सिंह के प्रस्ताव पर उनके आलोचक खुश नहीं थे, और कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया था। इस विरोध के बीच खुद सोनिया गांधी भी मनमोहन सिंह के इस फैसले से सहमत नहीं थीं। ऐसा कहा जाता है कि सोनिया गांधी का यह रुख मनमोहन सिंह को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था। वे उनसे इतने नाराज हो गए थे कि इस्तीफा देने तक की धमकी दे डाली थी। हालांकि, यह स्थिति नहीं आई क्योंकि मनमोहन सिंह अपने शालीन और सौम्य स्वभाव के कारण न केवल सरकार को बचाने में सफल हुए, बल्कि डील को भी अंतिम रूप देने में कामयाब रहे।

सपा बनी संकटहर्ता

यूपीए सरकार को समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी, खासकर मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह, ने अहम भूमिका निभाई। अमर सिंह ने चाणक्य की तरह इस संकट को सुलझाया, जबकि मुलायम सिंह का राजनीतिक कौशल बेजोड़ साबित हुआ। ये तीन नेता- डॉ. मनमोहन सिंह, मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह- जिनकी सोच और रणनीति ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी, अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी धरोहर हमारे साथ हमेशा रहेगी।




Shivam Srivastava

Shivam Srivastava

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